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वैदिक ज्योतिष में कुंडली दोष/DOSHA IN ASTROLOGY

कुंडली दोष

साधारणतया लोग अपने जीवन में मिलने वाली हर निराशा, दुःख और असफलता का दोष अपनी कुंडली में व्याप्त कुंडली दोष (कुण्डली दोष) पर मढ़ देते हैं। जीवन में जो कुछ भी बुरा या अवांछित होता है, उसे बिना सोचे-समझे, बड़े आराम से कुंडली दोष पर डाल दिया जाता है। पर क्या कभी यह सोचने का प्रयास किया कि वाकई आपकी कुंडली में कोई दोष है या फिर आपको डराने के आशय से किसी व्यवसायी ज्योतिष या पोंगें पंडित ने ज़बरदस्ती आपकी कुंडली में यह दोष उत्पन्न किया है। ग्रह या कुंडली दोष आपकी कुंडली में मौजूद हो भी सकते हैं। वास्तव में ये कुंडली दोष क्या हैं? क्या वे वास्तव में हर बार आपको बुरा ही प्रभाव देते हैं? यह पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है कि क्या कुंडली दोष वास्तव में कुंडली में मौजूद हैं या किसी अशिक्षित ज्योतिषी या पंडित जी द्वारा आपकी कुंडली में थोपा गया है। 

कुंडली के दोष से सम्बंधित जानकारी पाने के लिए विषय की गहराई में उतरने की आवशयकता है। कुंडली में दोषों की प्रासंगिकता, प्रकार, सामान्य प्रभाव और उनके प्रभावी उपचार जानने के लिए आगे पढ़ें।

 

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कुंडली दोष क्या है और यह जन्म कुंडली में कैसे बनता है?

 

  • दोष से अभिप्राय, जैसा कि हम सामान्य शब्दों में समझते हैं, किसी वांछनीय वस्तु में किसी कमी या नकरात्मकता का होना है। जन्म कुंडली में दोष जीवन में किसी महत्वपूर्ण पहलू की कमी को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, एक जातक को वैवाहिक आनंद या सफल करियर या अच्छे स्वास्थ्य या और भी अन्य किसी चीज़ की कमी जीवन में हो सकती है। इन सभी कमियों का ज़िम्मेदार, कुंडली में उपस्थित दोषों को ही ठहराया जा सकता है। इतना ही नहीं, बल्कि जब हम अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बाद भी वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते हैं या जीवन में बार-बार असफलताओं का सामना करते हैं, तो इसका मूल कारण भी कुंडली दोष ही होते हैं।

  • इस पृथ्वी पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसकी कुंडली किसी भी प्रकार के दोष से सर्वथा मुक्त हो। इसलिए, जन्म कुंडली दोष से डरने जैसी कोई बात नहीं है और जो बात महत्वपूर्ण है वह यह है की आपकी कुंडली में किस तीव्रता से कुंडली दोष का निर्माण हुआ है। आपका कुंडली दोष कितना प्रबल है? प्रस्तुत वेबसाइट पर ही आप अपनी जन्म की मूल जानकारी दे कर आसानी से अपने कुंडली दोष का प्रकार पता लगा सकते हैं। कुंडली दोष की ऑनलाइन जांच करना बहुत ही सरल है। जिसे आप कुछ ही सेकंड में इस वेबसाइट की मदद से जांच सकते हैं।

  • कुंडली दोष से अभिप्राय जन्म कुंडली में ग्रहों का अशुभ स्थानों व प्रभावों में होना है। जब भी कोई ग्रह राहु, केतु, शनि और मंगल जैसे पाप ग्रहों के प्रभाव में होता है तो हमारी कुंडली में दोष का निर्माण होता है। ग्रहों के खराब या त्रिक भाव में होने से भी कुंडली दोष बनता है। हालाँकि, कुंडली दोष, ग्रह के केंद्र या त्रिकोण भाव में होने पर भी बन सकता है। उदाहरण के लिए चतुर्थ भाव में स्थित मंगल यानि केंद्र भाव व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष बनाता है। कुंडली दोष अनेक प्रकार का हो सकता है और एक विद्वान ज्योतिषी को यह जानना बहुत आवश्यक है कि दोष कितना प्रभावी है? कभी कभी कुंडली दोष इतना प्रबल नहीं होता कि व्यक्ति को कोई भी बुरा परिणाम दे पाए।

कुंडली में दोष के प्रकार

कुंडली में दोष के प्रकार

 

प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथों में कई प्रकार के कुंडली दोषों का विवरण है। आमतौर पर पाए जाने वाले और प्रमुख कुंडली दोष इस प्रकार हैं:

 

मंगल दोष

मंगल दोष को आमतौर पर हम में से अधिकांश लोगों द्वारा सबसे भयावह दोष के रूप में देखा जाता है। कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में यदि मंगल हो तो मंगल दोष बनता है। यह दोष विशेष रूप से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में आपसी सामंजस्य की कमी, प्रेम का अभाव, छोटी-छोटी बातों पर मन मुटाव, अन्य मानसिक परेशानी और कभी कभी विवाह में होने वाली देरी के लिए भी ज़िम्मेदार होता है। लेकिन साथ ही इस दोष की गंभीरता या तीव्रता का पता लगाना भी बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हर व्यक्ति मंगल दोष से समान रूप से प्रभावित नहीं होता। मांगलिक कुंडली के अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग परिणाम होते हैं और यह उनकी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और कुंडली में मंगल की ताकत या स्थिति पर निर्भर करता है। इसके अलावा, मंगल दोष व्यक्ति के जीवन में उम्र के विभिन्न चरणों में अलग-अलग परिणाम देता है। मंगल दोष का सुगमता से पता लगाने के लिए आप इस वेबसाइट के माध्यम से, कुंडली दोष कैलकुलेटर का प्रयोग भी कर सकते है।  

 

काल सर्प दोष 

राहु और केतु दो छाया ग्रह हैं जो काल सर्प दोष के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि राहु और केतु की व्यक्ति की कुंडली में उपस्थिति उसके पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार होती है और वह अपनी विभिन्न भावों व राशियों में उपस्थिति से व्यक्ति को अच्छे या बुरे फल प्रदान करता है। यह दोनों ग्रह सदैव एक दूसरे के ठीक विपरीत 180 डिग्री के अक्ष पर स्थित होते हैं। जिन घरों में ये कुंडली में पाए जाते है, यह माना जाता है कि जातक के उन घरों के सम्बंधित कुछ कर्म अपूर्ण रह जाते हैं जिन्हे उसे इस जन्म में पूरा करना है। कुंडली दोष सुनते ही जो दोष सबसे ऊपर आता है वह है काल सर्प दोष। यह सबसे अधिक प्रचलित कुंडली दोष है जो राहु-केतु के कुंडली में प्लेसमेंट के आधार पर, 12 प्रकार का हो सकता है। काल सर्प दोष व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, दुख, असफलता, दरिद्रता, किसी महत्वपूर्ण विषय की कमी और अन्य भयानक परिणाम देने के लिए जाना जाता है।

 

नाडी दोष 

नाड़ी दोष एक और महत्वपूर्ण कुंडली दोष है जिसका पता मुख्यतः मांगलिक कुंडली मिलान के समय लगाया जाता है। नाड़ी दोष मुख्य रूप से किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करने के लिए विख्यात है। कुंडली मिलान के समय, यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही है, तो उन्हें नाड़ी दोष से पीड़ित कहा जाता है और आमतौर पर उन्हें एक-दूसरे से शादी करने की अनुमति नहीं होती है। नाडी दोष अष्टकूट मिलन के अनुसार आठ गुणों में से एक है और कुल 36 अंकों में से 8 अंक रखता है। नाड़ी दोष वर वधु के मध्य आकर्षण की कमी, स्वास्थ्य से सम्बन्धी परेशानियां, संतान प्राप्ति में बाधा, और आपसी असहमति पैदा कर सकता है। नाड़ी दोष एक सुखी वैवाहिक जीवन के सपने को चकनाचूर कर सकता है इसीलिए यह सलाह दी जाती है की विवाह से पहले कुंडली मिलान अवश्य करवाएं और नडी दोष का पता लगने पर उचित कदम उठाएं।

 

पितृ दोष 

पितृ दोष कुंडली में निहित एक अन्य व्यापक रूप से जाना जाने वाला कुंडली दोष है जो एक व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं और कष्ट उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। सामान्य भाषा में इसे पितरों का श्राप भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है की हमारे पूर्वजों के द्वारा किए गए बुरे कार्यों के कारण यह पितृ दोष उनके अग्रजों की कुण्डली में आता है और उन्हें अपने पूर्वजों के बुरे कर्मों का हर्ज़ाना भुगतना पड़ता है। इसे कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति से पहचाना जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ दोष तब बनता है, जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों ने अपने जीवन में कोई पाप किया हो। अब व्यक्ति को अपने पूर्वजों के इन कुकर्मों का फल कठोर दंड से भुगतना पड़ता है। पितृ दोष आयुष्य व स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। व्यक्ति के जीवन में धन व सुख की कमी बनी रहती है और वह गंभीर बीमारियों या दुर्घटनाओं का शिकार बन सकता है। व्यक्ति के जीवन में सदैव खुशीओं व समृद्धि का अभाव रहता है।

 

अंगारक दोष

अंगारक दोष एक ऐसा दोष है जो कुंडली के 12 भावों में से किसी भी भाव में राहु और मंगल की युति से बनता है। यह दोष व्यक्ति पर प्रतिकूल और हानिकारक प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है, खासकर जब यह त्रिक भावों में बनता है या जब जन्म कुंडली में राहु और मंगल अशुभ स्थिति में होते हैं। ज्योतिष में मंगल और राहु दोनों को ही अशुभ ग्रह माना गया है और इसलिए इनकी युति भी अत्यंत अशुभ है। अंगारक दोष आग का प्रतीक है और व्यक्ति की कुंडली में चरित्र दोष का भी निर्माण करता है। ऐसा व्यक्ति अत्यधिक आक्रामक होता है और नैतिकता से परे रहते हुए यौन गतिविधियों में लिप्त रह सकता है।  

 

गुरु चांडाल दोष

गुरु चांडाल दोष जन्म कुंडली में गुरु और राहु की युति के कारण बनता है। बृहस्पति को ज्योतिष में गुरु यानी शिक्षक माना जाता है जबकि राहु एक राक्षस है। कुंडली के किसी भी घर में इनकी युति व्यक्ति पर अशुभ प्रभाव डालती है। एक दूसरे के नक्षत्र में होने पर भी गुरु चांडाल दोष का निर्माण होता है। इस दोष के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नैतिक और धार्मिक मूल्यों की कमी होती है और वह सामान्य शिष्टाचार से काफी दूर रहता है। ऐसा व्यक्ति या तो नास्तिक हो जाते हैं या अपने धर्म के प्रति अति- भावनाशील हो जाता है। वह अपने धर्म की मान्यताओं को जबरन दूसरों पर थोपना चाहता है और धार्मिक परंपराओं के नाम पर दूसरों को नुकसान पहुंचाने में भी नहीं हिचकिचाते। ऐसे व्यक्ति बहुत तीव्र दिमाग के होते हैं और उड़ती चिड़िया के पर भी गिनने में सक्षम होते हैं। गुरु चांडाल दोष वैसे तो कलयुग में व्यक्ति को अत्यंत प्रभावी व चतुर बनता है पर साथ ही साथ अत्यंत सनकी भी माना जाता है। कुंडली दोष ऑनलाइन पर जाकर आप निश्चिन्त हो सकते हैं की कहीं आपकी कुंडली में कोई दोष तो नहीं।    

 

घातक दोष

यह तब बनता है जब कुंडली में शनि व मंगल की युति होती है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में दुर्घटनाओं की संभावनाओं को बढ़ावा देता है। मंगल शनि की राशि मकर में ही उच्च होता है अतः इस योग के कारण व्यक्ति अत्यंत उद्यमी व असहनशील बन जाता है। उसकी यही आक्रामकता उसे दुर्घटनाओं का शिकार बना सकती है।  

विष दोष

शनि और चंद्रमा की युति कुंडली में विष दोष बनाती है। इस दोष के कारण व्यक्ति हमेशा बेचैन रहता है और बिना वजह चिंता करता रहता है। व्यक्ति निराशावादी बन जाता है और हमेशा भारी तनाव में रहता है। यदि राहु कुंडली में शनि पर प्रभाव डाले या युति करे तो कुंडली में श्राप दोष का निर्माण हो जाता है जो जातक को विष दोष से भी पीड़ित करता है। 

 

केमद्रुम दोष

केमद्रुम दोष तब बनता है जब चंद्रमा के दोनों ओर कोई ग्रह न हो। ज्योतिष में चंद्रमा मन, वित्त और माता का कारक है। यह योग व्यक्ति को कमजोर बनाता है और उसके जीवन में सुविधाओं, धन और संबंधों का अभाव होता है। यह अत्यंत नकारात्मक दोष है।

अन्य लोकप्रिय दोषों में श्रापित दोष, शनि दोष, शकट योग आदि शामिल हैं। दोष की तीव्रता की जाँच एक अनुभवी ज्योतिषी द्वारा की जानी चाहिए, जो जन्म कुंडली दोष निवारण के लिए पूजा, जप, हवन, दान, रत्न, मन्त्र, यंत्र व रुद्राक्ष आदि से सम्बंधित उपायों का सुझाव देता है। हालांकि, सबसे प्रभावी उपाय, अपने कर्मों पर नियंत्रण और जीवन में सही मार्ग का अनुसरण करना है। जीवन में सही कर्मों का चुनाव कर हम अपने भूत, वर्तमान व भविष्य को संवार सकते हैं।    

 

कुंडली दोष क्यों बनता है?

 

हिंदू दर्शन कर्म सिद्धांत में विश्वास करता है और यह सर्वसम्मत है कि हमें अपने पिछले कर्मों के कारण ही इस जीवन में भाग्य या दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। यदि हमने कोई पाप किया है या कुछ अस्वीकार्य किया है, तो हमें इस वर्तमान जीवन में कुंडली दोष के रूप में ऐसे उनका परिणाम भुगतना पड़ता है। कुंडली दोष ही जीवन के किसी भी महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्रभावित कर हमें हमारे बुरे कृत्यों का फल देते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपने पिछले जन्म में अपनी माँ के साथ बुरा व्यवहार किया है, तो आपको उसी का परिणाम चंद्रमा के पीड़ित होने से बने विष योग के रूप में मिल सकता है। चन्द्रमा माँ का कारक है। अब, आपकी जन्म कुंडली में विष योग की उपस्थिति के कारण आप लगातार परेशान रहते हैं और अपनी माँ से कोई सुख प्राप्त नहीं कर पाते। यह अंततः आपकी मानसिक शांति और आपकी मां के साथ संबंधों को प्रभावित करता है। इसी तरह, कुंडली में मांगलिक दोष आपके वैवाहिक जीवन के आनंद को नष्ट कर देता है। इस प्रकार, हमारे पिछले कर्मों के कारण कुंडली दोष बनते हैं और हमें इस वर्तमान जीवन में अपने कर्मों का भुगतान करना पड़ता है।

कुंडली दोष से प्रभाव और अपेक्षा

कुंडली दोष से आप किन प्रभावों की अपेक्षा कर सकते हैं?

 

कोई भी व्यक्ति या तो ऑनलाइन कुंडली दोष जांच के द्वारा या किसी ज्योतिषी के पास जाकर कुंडली दोषों की जांच करवा सकता है। आपकी कुंडली के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के आधार पर कुंडली दोष का पता लगाया जाता है। कुंडली दोष आपको निम्न प्रभाव दे सकते हैं – 

  • जीवन में बार-बार असफल होना

  • जीवन में अनादर और अपमान

  • संबंधों का स्थायी नुकसान

  • वित्तीय अस्थिरता

  • करियर में समस्या

  • मानसिक अस्थिरता और लगातार तनाव

  • स्वास्थ्य और धन की हानि

  • शादी में समस्या

  • संतान प्राप्ति में समस्या

  • जीवन में प्यार और सम्मान की कमी

  • परिवार के किसी सदस्य या दोस्तों का समर्थन न होना x

  • जीवन में अकेलापन 

 

कुंडली दोष निवारण हेतु उपाय

 

अक्सर ज्योतिषी कुंडली दोष से पीड़ित जातकों को विभिन्न प्रकार के उपाय सुझाते हैं। एक बार जब वे दोष की पहचान कर लेते हैं तो वे आपको उपचारों की एक लंबी सूची थमा देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि हर प्रकार के कुंडली दोषों से छुटकारा पाने के लिए सही कर्म करने और नैतिक मूल्यों को अपनाने का रास्ता चुनना चाहिए। यदि आप अपने व्यवहार में सुधार नहीं लाते है और ज्योतिषी उपायों को बिना सोचे-समझे करते जाते हैं तो यकीन मानिए आपको कोई फल प्राप्त नहीं होगा।

 

यह समझना महत्वपूर्ण है कि एक व्यक्ति अपने स्वयं के कर्मों के कारण दयनीय स्थिति में है और यह जानना आवश्यक है कि आपके पिछले कर्मों में से किस कर्म ने इस वर्तमान जीवन में परेशानी पैदा की है। केवल एक आध्यात्मिकता से जुड़ा ज्योतिषी ही ऐसी सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम होता है। वह आपके ग्रहों की स्थिति के माध्यम से गहराई तक जाकर उसमे छिपे हुए अर्थ को बाहर ला सकता है।

 

यदि हम अपने कर्मों को नहीं बदलते, तो हम कितने भी उपाय कर लें, हमें राहत नहीं मिलेगी। सबसे पहले, कुछ दोषों के मूल कारण को समझना और फिर उसके बुरे प्रभावों को कम करने के लिए कर्म करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति गुरु चांडाल योग के साथ पैदा होता है। हो सकता है कि आपकी कुंडली में यह दोष इसलिए आया हो क्योंकि आपने पिछले जन्म में अपने शिक्षकों या गुरुओं को चोट पहुँचाई या उनका अपमान किया हो। अब गुरु चांडाल योग का प्रभाव यह है कि व्यक्ति गुरुओं का आदर करने से इंकार कर देता है और धर्म विरोधी व्यक्ति होता है। यह गुरु चांडाल योग का सामान्य प्रभाव है। अब, जब व्यक्ति किसी ज्योतिषी से मिलता है तो दो चीजें होंगी। या तो ज्योतिषी ढोंग कर रहा होगा या फिर वह ऐसे योग के कारण और परिणाम आपको समझाएगा। व्यक्ति को तुरंत शिक्षकों का सम्मान करना शुरू कर देना चाहिए और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर देना चाहिए। इस प्रकार के कर्म सुधार से गुरु चांडाल योग का प्रभाव कम हो जाता है और व्यक्ति अशुभ फल से मुक्त हो जाता है। विवाह के लिए कुंडली दोष को उसी तरह से पता लगाया और ठीक किया जा सकता है।

 

यह प्राथमिक उपाय है और दान, रत्न धारण करना, यंत्रों की पूजा करना, मंत्रों का जाप करना या रुद्राक्ष धारण करना आदि सभी उपाय बाद में आते हैं। यदि कोई वास्तव में कुंडली दोष से छुटकारा पाना चाहता है, तो सबसे अच्छा उपाय अपने कर्म को सुधारना है। अन्यथा कुछ भी आपको नहीं बचा सकता है और आप व्यर्थ उपाय करने की कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया में फंस जाएंगे। यदि आप इन दोषों को ठीक नहीं करते हैं तो वह अगले जन्म में और भी प्रबल हो कर आपका स्वागत करेंगें। इस प्रकार यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक बार आपकी कुंडली दोष की पहचान हो जाने के बाद आप लगातार उसमें सुधार करें।

FAQ

आप अपनी कुंडली के दोष जानने के लिए ज्योतिषीय परामर्श ले सकते हैं। एक ज्योतिषी आपकी कुंडली का विश्लेषण कर आपको आपकी कुंडली के दोषों के बारे में बता सकता है। और साथ ही साथ उनसे उबरने के उपाय भी सुझा सकता है।

कुंडली मैं कई प्रकार के दोष होते हैं। कुंडली दोषों के लिए शास्त्रों में पूजा व दान पुण्य करना बताया गया है। एक ज्योतिषी आपको बता सकता है कि किस दोष के लिए आपको कौन सी पूजा या क्या दान-पुण्य करना है। आपको अपने जीवन में भी कुछ बदलाव लाने की भी आवशयकता होती है जो केवल एक ज्योतिषी ही बता सकता है।

विवाह के लिए अनेक दोष महत्वपूर्ण हैं। आप विवाह में क्या तकलीफ महसूस कर रहे हैं, जैसे विवाह में देरी, साथी से मन मुटाव, घर में कलह, तलाक की स्थिति आदि पर निर्भर करेगा कि आपकी कुंडली में कौन सा दोष प्रभावी है। मुख्यतः मंगल दोष, विवाह में अनेक परेशानियों का कारण बनता है।

किसी भी दोष को सबसे खतरनाक कहना अनुचित है। कुंडली में कोई भी दोष हो सकता है। इसका खतरनाक होना इस बात पर निर्भर करेगा कि यह आपके जीवन में कितनी परेशानी ला रहा है। कभी कभी बड़ा दोष इतना नुक्सान नहीं करता जितना कोई शुभ ग्रह एक विपरीत स्थिति में आपको नुक्सान दे सकता है। अतः कुंडली विश्लेषण करवाए जो आपको यह जानने में सहायक होगा, कि कौन सा दोष आपके लिए खतरनाक है।

यदि दुर्लभ दोषों की बात की जाये तो बहुत कम लोग राजभंग दोष के बारे में जानते हैं। यदि आपको अधिकतर ज्योतिषियों ने बताया है की आपकी कुंडली में अच्छे योग हैं और फिर भी आप कोई लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, या संघर्षों का सामना कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपकी कुंडली का राजभंग दोष आपके लिए परेशानियां ला रहा हो।

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