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हनुमान जयंती | When is Hanuman Jayanti 2021?

हनुमान जयंती 2021

जानिये हनुमान जयंती और उसका महत्व 

हनुमान जयंती भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक है। यह वहे समय होता है जब शक्ति, भक्ति, बल एवं बुद्धि के स्वरूप भगवान श्री हनुमान जी का पृथ्वी पर जन्म हुआ था। हनुमान जयंती के दिन भक्तों एवं श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक कार्यक्रमों, अनुष्ठानों, रामायण एवं सुंदरकांड पाठ इत्यादि का आयोजन किया जाता है। 

इस शुभ दिवस के अवसर पर धर्म नगरियों में स्नान-दान की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।  हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान जी का षोडशोपचार रूप से पूजन किया जाता है, सिंदूर एवं चमेली का तेल भगवान को अर्पित किया जाता है, दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है।

भगवान शिव के अवतार हैं हनुमान 

हनुमान जयंती हिंदुओं का अत्यंत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है, धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं एवं कथाओं से ज्ञात होता है की भगवान शिव के अंश स्वरूप हनुमान जी का पृथ्वी पर जन्म हुआ था, त्रेतायुग में भगवान श्री राम के दास स्वरूप हनुमान जी ने उनका साथ निभाया और भक्ति-निष्ठा एवं मित्रता की कभी न समाप्त होने वाली कथा का सूत्रपात हुआ। इस शुभ समय पर किए जाने वाले धार्मिक कृत्य एवं अन्य अनुष्ठान अत्यंत ही प्रभावशाली होते हैं।

हनुमान जयंती के अलग-अलग रुप 

हनुमान जयंती का पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। पूरे देश में भगवान हनुमान के जन्मोत्सव की तिथि और मुहूर्त में भी अंतर देखने को मिलता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार अलग-अलग समय पर इसको मनाए जाने का विधान है। वहीं उत्तर भारत और दक्षिण भारत में हनुमान जयंती की तिथियों में अंतर देखने को मिलता है। 

कुछ स्थानों में हनुमान जयंती का पर्व चैत्र मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। तो कुछ स्थानों पर हनुमान जयंती का पर्व वैशाख माह की दशमी, ज्येष्ठ माह की दशमी के दिन भी मनाया जाता है।कुछ स्थानों पर यह जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है, इस के अतिरिक्त कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन निशीथ व्यापिनी समय पर हनुमान जयंती मनाने की परंपरा चली रही है। 

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हनुमान जयंती का पर्व काफी दिनों तक चलता रहता है। 41 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्ति, आस्था और विश्वास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। 

हनुमान जयंती पर प्राप्त होंगी अष्ट सिद्धि और नौ निधियां

हनुमान जी को आठ सिद्धियों और नौ निधियों को प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं। यह आठ सिद्धियां और नौ निधियां जीवन में सभी प्रकार की इच्छाओं को पूर्ण करने वाली होती हैं। यह सृष्टि की अमूल्य सिद्धियां हैं जिसे पाने के लिए प्रत्येक जीव जन्म जन्मांतर तक की तपस्या द्वारा इन्हें पाने के लिए लालायित रहता है। हनुमान जयंती का ये पर्व हम सभी के जीवन में इन सिद्धियों एवं निधियों के आगमन के लिए अत्यंत ही सहज रूप से कार्य कर सकता है। 

क्या होती है अष्ट सिद्धि

किसी भी वस्तु को सिद्ध कर लेने द्वारा वह वस्तु साध्य का कार्य करती है। सिद्धि की प्राप्ति सभी के मन की इच्छा होती है, यह एक ऎसी साधना है जिसके द्वारा व्यक्ति का चहुंमुखी विकास संभव हो पाता है। आध्यात्म के उच्च स्तर को पाने की बात हो या जीवन में सुख-संतोष की प्राप्ति का मार्ग सभी में इन सिद्धियों के द्वारा आगे बढ़ा जा सकता है। हनुमान जी द्वारा प्रदान की जाने वाली सिद्धियां इस प्रकार हैं - अणिमा सिद्धि , महिमा सिद्धि, गरिमा सिद्धि, लघिमा सिद्धि, प्राप्ति सिद्धि, प्राकाम्‍य सिद्धि, ईशित्व सिद्धि और वशित्व सिद्धि नामक आठ सिद्धियां होती हैं जो भगवान हनुमान की भक्ति से प्राप्त की जा सकती हैं।  

नव निधियां

नव निधियों में पद्म निधि, महापद्म निधि, नील निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि, मकर निधि, कच्छप निधि, शंख निधि और खर्व मिश्र निधि के नाम प्रमुख हैं। यह सभी हनुमान जी द्वारा आशीर्वाद स्वरुप भक्त को प्राप्त हो सकती हैं। 

हनुमान जयंती व्रत द्वारा दूर होंगे सभी कष्ट

हनुमान जी का जन्म दिवस का महत्व प्रत्येक रूप में दिखाई देता है। इस दिन का प्रत्येक क्षण अलौकिक होता है। हनुमान जयंती के अवसर पर पूजा पाठ एवं व्रत-उपवास करने का भी विशेष महत्व होता है। हनुमान जी के निमित्त किए जाने वाले मंत्र जाप एवं पाठ इत्यादि कार्य व्यक्ति के जीवन में मौजूद सभी कष्टों को दूर करने वाले होते हैं और सभी समस्याओं का निवारण होता है।

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