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जयंती क्या होती है और इसका क्या महत्व होता है

जब आप जयंती के शब्द के अर्थ की तलाश करते होंगे तो आपको अनेकों अर्थ प्राप्त होंगे। वैदिक मान्यताओं में  जयंती को पुण्य एवं फलदायी माना गया है। विजय प्रदान करने वाला आशीर्वाद जयन्ती होता है। किसी शक्ति का देह रूप में प्रकट होना जयंती होता है, किसी महत्वपूर्ण घटना का होना और शुभ योग का बनना जयंती भी जयंती कहलाता है। ऐसे बहुत से अर्थ हमें जयंती के रूप में प्राप्त होते हैं।

"ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।"

इस मंत्र में मां के अनेक नामों में एक नाम जयंती भी है अर्थात जय प्रदान करने वाली शक्ति हैं मां दुर्गा।  इसी तरह से ईश्वर एवं सृष्टि की शक्तियों ने इस पृथ्वी पर अनेकों रूप में अवतार लिया है, और उनके पृथ्वी पर हुए इस प्रादुर्भाव के महत्वपूर्ण समय को भी जयंती का नाम दिया गया है।

जयंती है एक विशेष योग

जयंती एक विशेष योग भी होता है, जब महान विभूतियाँ एवं ईश्वरीय स्वरूप अवतरित होते हैं। जन्माष्टमी पर्व के साथ भी जयंती शब्द जुड़ा हुआ है। जयंती नामक योग का वर्णन हमें भगवान श्री कृष्ण जन्म की घटना में प्राप्त होता है।विष्णु रहस्य का एक श्लोक इस योग की पुष्टि करता है – 

"अष्टमी कृष्णपक्षस्य रोहिणीऋक्षसंयुता।

भवेत्प्रौष्ठपदे मासि जयन्ती नाम सा स्मृता  "

इस प्रकार जयंती शब्द के अनेकों स्वरुप हैं, पर एक अर्थ में यह शब्द अपनी सार्थकता को शुभता स्वरूप में ही दर्शाता है। ऐसे में इस दिवस को मनाने से व्यक्ति के जीवन में भी शक्ति, समृद्धि, सुख का आगमन होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। सकारात्मक ऊर्जा का आगमन जीवन को आलोकित कर देता है और नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है।  

श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा है जयंती पर्व

जयंती हमें विजय एवं सुख का आशीर्वाद देने वाली होती है साथ ही यह वही समय होता है जो हमारी यह श्रद्धा और विश्वास को उन से जोड़ता है जिनके प्रति हम इस जयंती को मनाते हैं। यह समय हमारा उन महान दैवीय शक्तियों और विभूतियों के प्रति अगाध भक्ति सम्मान को प्रकट करने का भी होता है। इसलिए जयंती को पर्व, उत्सव, अनुष्ठान इत्यादि अनेकों रूप से मनाया जाता रहा है।

आईये कुछ महत्वपूर्ण जयंतियों के बारे में जानते हैं

धार्मिक महत्व से जुड़ी जयंतियों में हनुमान जयंती, शनि जयंती, गीता जयंती, सीता जयंती इत्यादि को भारत वर्ष में मनाया जाता है। इन जयंतियों में विभिन्न विभिन्न रुपों से पूजा अनुष्ठान इत्यादि कार्य किए जाते हैं।  इस समय पर देश भर में एवं धार्मिक स्थलों पर मेलों, अनुष्ठानों, पूजा पाठ इत्यादि का आयोजन होता है। हर राज्य में इसे अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है।

दश महाविद्या जयन्तियां

दश महाविद्या जयंती शक्ति की साधना के लिए सबसे उत्तम समय होता है। इन दस महाविद्या जयंतियों में महाविद्या काली जयंती, महाविद्या तारा जयंती, महाविद्या ललिता जयंती, महाविद्या भुवनेश्वरी जयंती, महाविद्या त्रिपुर भैरवी जयंती, महाविद्या छिन्नमस्तिका जयंती, महाविद्या धूमावती जयंती, महाविद्या बगलामुखी जयंती, महाविद्या मातंगी जयंती, महाविद्या कमला जयंती शक्ति साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस होते हैं।

दशावतार जयन्तियां

भगवान श्री विष्णु ने भक्तों के उद्धार एवं धर्म की स्थापना हेतु प्रत्येक युग में अवतार लिए हैं। भगावन श्री हरि के कुछ अवतारों को दश अवतार जयंती के रुप में मनाया जाता रहा है। इन रुपों को जयंती के रुप में भी मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। श्री विष्णु जी की प्रमुख जयंतियां इस प्रकार हैं - मत्स्य जयंती, कूर्म जयंती, वराह जयंती, नरसिंह जयंतीवामन जयंती, श्री रामनवमी राम जयंती, कृष्ण जन्मोत्सव जयंती , परशुराम जयंती, बुद्ध जयंती और कल्कि जयंती इत्यादि प्रमुख जयंतियां हैं जो भक्तों द्वारा संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती हैं।

सिद्ध महापुरुषों एवं गुरुओं की जयंती

भारत वर्ष सिद्ध महापुरुषों, गुरुओं एवं साधु संतों का स्थान रहा है। इन्हीं में स्थान आता है सिख समुदाय के दस गुरुओं की जयंतियों का जिसमें गुरु नानक जयंती, गुरु अंगद देव जयंती, गुरु अमर दास जयंती, गुरु रामदास जयंती , गुरु अर्जन देव जयंती गुरु हरगोबिन्द सिंह जयंती, गुरु हर राय जयंती, गुरु हरकिशन साहिब जयंती, गुरु तेग बहादुर सिंह जयंतीगुरु गोबिंद सिंह जयंती को भारत वर्ष में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।

इसी प्रकार गुरु परंपरा की श्रेणी में भी जयंती पर्व आज भी मनाया जाता है। विभिन्न संप्रदायों शैव सम्प्रदाय, वैष्णव सम्प्रदायशाक्त सम्प्रदाय, सौर संप्रदाय, नाथ संप्रदाय में गोरखनाथ जयंती दत्तात्रेय जयंती, महर्षियों में वाल्मीकि जयंती, नारद जयंती, व्यास जयंती  एवं भक्ति मार्गी संतों जिनमें रामानंद, कबीर, रैदास, सूरदास आदि साधु संतों के जन्म अवतरण समय को जयंती के रुप में मनाया जाता रहा है। जयंती का रुप चाहे कोई भी हो यह शुभ घटना समय है जो मनुष्य और सृष्टि में सभी को प्रभावित करता रहा है। 

सृष्टि के कल्याण से जुड़ा है जयंती और शुभ फल का महत्व

जयंती एक ऐसा समय होता है जब उन सिद्धियों, शक्तियों एवं आध्यात्मिक शक्ति के साथ आप संबंध स्थापित कर सकते हैं। जयंती को किसी न किसी रूप में मनाया जाता रहा है इसका धार्मिक पक्ष हो या सामाजिक यह हर रुप में महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह उन से जुड़ा समय होता है जिन पवित्र आत्माओं ने, हमारी आस्थाओं में मौजूद सिद्ध पुरुषों ने अथवा ईश्वर ने भी मनुष्य रूप धारण करके पृथ्वी पर जन्म लिया और अपनी शुभता द्वारा संपूर्ण सृष्टि एवं विश्व के कल्याण हेतु कार्य किए। भारत में जयंती एक विस्तृत अर्थ में दिखाई देती है, सिद्ध पुरुषों की जयंती मनाने की परंपरा देखी जा सकती है। भगवान के विभिन्न रुपों को जयंती स्वरूप मनाया जाता है, अत: जयंती वह समय होता है जो हमारे जीवन के प्रत्येक स्वरूप से जुड़ा हुआ है यह हमें धार्मिक, आध्यात्मिक, मानसिक सभी तरह से पुष्ट करने वाला समय होता है।

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