मुख्य पृष्ठ हिंदू अनुष्ठान आश्विन में श्राद्ध क्यों किया जाता है?

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अश्विन मास में श्राद्ध का पालन क्यों किया जाता है?

श्राद्ध

यदि अमावस्या/Amavasya का दिन पूर्वजों के आहार का दिन होता है तो आश्विन मास की तिथियों पर श्राद्ध/ Shraddh क्यों किए जाता है?  इसका जवाब यह है कि अमावस्या का श्राद्ध/Shraddh पूर्वजों के दैनिक भोजन के समान होता है, लेकिन अश्विन मास/Ashwin month का 'पितृपक्ष' पूर्वजों का एक भव्य पर्व है जो अन्य सामाजिक त्योहारों के समान ही होता है। इसलिए इस समय पर आयोजित श्राद्ध को 'पार्वण श्राद्ध' कहा जाता है। इस दौरान, सभी पूर्वज अपने परिजनों से मिलने के लिए स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपनी संतानों द्वारा, सम्मान सहित अर्पण किए गए सामानों से तृप्त होकर, उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

ज्योतिष अनुसार क्या है पितृ पक्ष?/ What is Pitru Paksha according to astrology?

ज्योतिषीय गणनाओं/astrological calculation के अनुसार, इस सूर्य अपनी वर्तमान स्थिति में, मेष राशि के दस डिग्री के सर्वोच्च स्तर पर और तुला राशि दस डिग्री के निम्नतम स्तर पर स्थित होता है। अर्थात मेष राशि में सूर्य, पृथ्वी की परिक्रमा से दूरी पर और तुला राशि में हमेशा पृथ्वी की परिक्रमा के समीप होता है। पृथ्वी पर किए जाने वाले यज्ञ सर्वप्रथम सूर्य तक पहुंचते हैं, और फिर वहां से 'अधिकृत' स्थानों तक जाते हैं। देवों के सूर्य की परिक्रमा में स्थित होने के कारण, भौतिक अग्नि में दी गई 'हवन' की आहुति, देवताओं के लिए तृप्ति का स्रोत होती है। लेकिन पूर्वजों के लिए, उदयविधि अग्नि में दी गई 'हवन' की आहुति, पहले सूर्य की परिक्रमा तक पहुंचती है और फिर सूर्य मंडल से चंद्रमंडल तक जाती है।

पितृ पक्ष का वैज्ञानिक महत्व/ Scientific importance of Pitru Paksha

सभी वैज्ञानिकों द्वारा ज्ञात ही है कि चन्द्रमा स्वयं प्रकाशित नहीं होता, बल्कि सूर्य चन्द्रमा को प्रकाशित करता है, जिसे 'सुषुम्ना' कहा जाता है। जिस प्रकार हमारे पूर्वज, उपरोक्त दोनों मंडलों के संबंधों के कारण, अमावस्या/Amavasya के दिन अर्पित की गई वस्तुओं को प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार कन्या राशि की दसवीं डिग्री से तुला राशि की दसवीं डिग्री सूर्य की अत्यंत निम्न परिक्रमा में स्थित होती है। अर्थात पृथ्वी और चंद्रमा के सूर्य के निकटतम होने के कारण 'कन्यागत' श्राद्ध करना भी वैज्ञानिक रूप से लाभकारी होता है।

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