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जन्म कुंडली में यौन स्वास्थ्य, इच्छाएं और आदतों के संकेत

सेक्स

सेक्स स्वास्थ्य, इच्छाओं और संभोग की आदतों का पता आपकी कुंडली/Sex health, desires and habits as per birth chart से लगाया जा सकता है। पुरुष की कुंडली में शुक्र और महिला की कुंडली में मंगल के आकलन से इस भाव का पता लगाया जा सकता है। यह सभी ग्रह संभोग की आदतों और इससे जुड़ी सभी बातों के बारे में बता सकते हैं। ज्योतिषी/Astrologer इस विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए दोनों पुरुष और महिला के कुंडलीँ/Birth Chart में इन कारकों का आकलन करते हैं।

महिला की कुंडली में चौथा भाव/Fourth House शुद्धता और संबंध को बताता है। वहीं इसी के साथ, पांचवा/Fifth House और नौवां भाव/Ninth House बच्चों का संकेत देता है। इसी प्रकार, महिला की कुंडली के सातवें भाव/Seventh House से उसके पति और उसके आकर्षण का पता चलता है। साथ में महिला के आठवें भाव Eighth House से शुभता का संकेत मिलता है। पहला भाव/First House सुंदरता को दर्शाता है। इसी प्रकार से पुरुषों की कुंडली भी उनके आने वाले या वर्तमान जीवन के बारे में बताता है। किसी व्यक्ति के कुंडली से पहला/First House, सातवां/Seventh House, पांचवा/Fifth House, ग्यारहवां/Eleventh House, और बारहवें भाव/Twelfth House यौन संबंधित प्रश्नों का उत्तर दे सकता है। जैसे – संभोग की आदतें, सेक्स स्वास्थ्य जीवन, और सेक्स इच्छाएं या कामेच्छा/sex habits, sex health life, and sex desires as per the birth chart of a person

विशिष्ट मार्गदर्शन के लिए, आप नीचे दिए गए तरीकों से संपर्क साध सकते हैं:

जन्म कुंडली में कम या ना मात्र यौन संबंध के संकेत/Indications of No or Low Sex in the birth chart

इस समस्या के अनगिनत कारण हो सकते हैं, लेकिन आपकी कुंडली/Kundali में इस समस्या के कुछ संकेत दिए गए हैं जिनसे किसी व्यक्ति की कुंडली/Birth Chart में कम या ना मात्र यौन संबंध का पता लगाया जा सकता है। यह ग्रहों के संयोजन हर व्यक्ति के हिसाब से अलग अलग हो सकते हैं, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी कुछ अलग संभोग की आदतें और इच्छाएं हो सकती है। हमने कितने ही ऐसे दंपत्ति देखें हैं जो अपने विवाहित जीवन को सुखी से व्यतीत कर रहे हैं वह भी बिना यौन संबंध या कम यौन संबंध के। कामेच्छा/Low Sex drive के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जिनको आपकी कुंडली से देखकर पता लगाया जा सकता है। इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।

  1. कामेच्छा/Libido or low sex drive

जन्म कुंडली में कम या ना मात्र यौन संबंध के संकेत/Indications of No or Low Sex in the birth chart

इस समस्या के अनगिनत कारण हो सकते हैं, लेकिन आपकी कुंडली/Kundali में इस समस्या के कुछ संकेत दिए गए हैं जिनसे किसी व्यक्ति की कुंडली/Birth Chart में कम या ना मात्र यौन संबंध का पता लगाया जा सकता है। यह ग्रहों के संयोजन हर व्यक्ति के हिसाब से अलग अलग हो सकते हैं, क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी कुछ अलग संभोग की आदतें और इच्छाएं हो सकती है। हमने कितने ही ऐसे दंपत्ति देखें हैं जो अपने विवाहित जीवन को सुखी से व्यतीत कर रहे हैं वह भी बिना यौन संबंध या कम यौन संबंध के। कामेच्छा/Low Sex drive के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जिनको आपकी कुंडली से देखकर पता लगाया जा सकता है। इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।

  1. कामेच्छा/Libido or low sex drive

  2. एक अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति जैसे पुराना दर्द/Chronic pain

  3. अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से पहले ज्यादा समय तक डेट करने की इच्छा रखना।

  4. विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाने से बचना।

उपर दिए गए किसी भी स्थिति का अर्थ यह नही है कि आपका संबंध खराब या असवस्थ है। यह इस बात का भी संकेत नहीं है कि आपका साथी आपसे प्रेम नहीं करता। कुछ लोगों के लिए यौन इच्छाएं उनके प्रेम संबंध का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। उन्हें अपने साथी के साथ यौन संबंध रखने की इच्छा बहुत प्रबल होती हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि प्रेम संबंध में यौन संबंध या इच्छा ज्यादा महत्व नहीं रखती और वह उस पर ज्यादा ध्यान भी नहीं देते।

समलैंगिकता/LGBT की तरह कामुकता का भी वर्णक्रम होता है। एक तरफ कुछ लोगों को यौन आकर्षण बहुत कम या ना मात्र होता है। यह अक्सर तब होता है जब दोनों साथी की इच्छाएं अलग अलग हो। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग होते हैं जो हर तरह के यौन सुख को प्राप्त करने की चाह रखते हैं।

हर व्यक्ति अलग होता है और उसके यौन संबंध की आदतें भी अलग अलग होती है। जिसके कारण उनकी यौन इच्छाओं में भी अंतर देखने को मिल सकता है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति के यौन स्वास्थ्य जीवन से संबंधित दृष्टिकोण भी भिन्न होते हैं, और हम किसी को भी गलत नहीं कह सकते।

नियमित सेक्स जीवन के लाभ/Benefits of a regular Sex Life

अभिराम/Pleasure के अलावा व्यक्ति को बहुत सारी चीजें हैं जो अंतरंगता/Intimacy से प्राप्त होती हैं। जैसे यह हर व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ उनके संबंध को भी सुधारता है। चलिए इसे समझने का प्रयास करते हैं।

सेक्स स्वास्थ्य जीवन: भावनात्मक

नियमित सेक्स जीवन के लाभ/Benefits of a regular Sex Life

अभिराम/Pleasure के अलावा व्यक्ति को बहुत सारी चीजें हैं जो अंतरंगता/Intimacy से प्राप्त होती हैं। जैसे यह हर व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ उनके संबंध को भी सुधारता है। चलिए इसे समझने का प्रयास करते हैं।

सेक्स स्वास्थ्य जीवन: भावनात्मक

हमारी भावना अंतरंग संबंध से बहुत ज्यादा जुड़ी हुई होती है, इसलिए सबसे पहले हमें हमारी सेक्स आदतों और यौन इच्छाओं के भावनात्मक लाभों को समझना चाहिए:

  1. बेहतर आत्मविश्वास जगाता है।
  2. अपने आप में मानसिक रूप से अच्छे बदलाव दिखते हैं।
  3. इस क्रिया के जरिए आप अपने साथी के साथ प्रेम और स्नेह को व्यक्त कर पाते हैं।
  4. यह तनाव को भी दूर करता है।

सेक्स स्वास्थ्य जीवन: शारीरिक

सेक्स स्वास्थ्य जीवन के कुछ छिपे हुए शारीरिक लाभ है, जो नीचे लिखे हुए हैं –

  1. यौन संबंध लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
  2. यह क्रिया शरीर से हर मिनट 3.6 कैलोरी का प्रयोग करती है जो एक अच्छी वर्जिश की श्रेणी में आता है।
  3. जो भी दंपत्ति नियमित सेक्स जीवन का आनंद लेते हैं, उन्हें हृदय से संबंधित कोई भी रोग होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
  4. जो व्यक्ति 50 से 90 वर्ष के बीच में हैं और वह अपने यौन जीवन का सुख लेते हैं तो उनका संज्ञानात्मक कार्य अच्छा होता है। इसका अर्थ है कि उन लोगों की बुद्धि अच्छी होती है।
  5. अध्ययनों से पता चला है कि सक्रिय कामेच्छा माइग्रेन जैसी स्थिति में जातक को राहत दे सकती है और सिरदर्द को शांत करने में भी मदद कर सकती है।

इन बिंदुओं से आप यह अर्थ नहीं निकाल सकते कि प्रेम/शारीरिक संबंध से परहेज आपको शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार कर सकता है। यह बस कुछ बिंदु है जो बताता है जो व्यक्ति यौन संबंध में सक्रिय रहता है, तो उसे बहुत सारे फायदे हो सकते हैं।

नोट – आपको इस बात का ख्याल रखना होगा कि किसी भी परिस्थिति में आपको इन बिंदुओं का लाभ तभी मिलेगा जब दोनों साथी की संबंध में सहमति हो। आपको हमेशा याद रखने की आवश्यकता है कि नहीं का मतलब नहीं होता है“NO MEANS NO.”

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित मेरे लेख को पढ़ने के लिए समाचार विभाग में जाए। इस लेख से आपको कुछ सामान्य प्रश्नोत्तर का सरल जवाब मिल जाएंगे।

जन्म कुंडली में स्वस्थ्य यौन संबंध के संकेत/Indication of Healthy Sex Life in Horoscope

हम सभी जानते हैं कि कुंडली/janam kundli के आकलन से जातक के जीवन के सभी पहलू के बारे में पता लगाया जा सकता है। कुंडली के आकलन से जातक की यौन संबंध की आदत, इच्छा और स्वास्थ्य जीवन के बारे में पता चल सकता है। कुंडली/Natal chart में कुछ विशिष्ट भाव और ग्रह है जो किसी जातक के यौन संबंध के बारे में बताते हैं। चलिए उनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारकों के बारे में जानते हैं –

यौन संबंध की आदतों में चंद्रमा की भूमिका/Role of Moon in Sex habits

चंद्रमा जातक की भावनात्मक जरूरतों के बारे में बताता है। आपकी जन्म कुंडली/Birth Chart में चंद्रमा आपके स्वस्थ संभोग जीवन, सेक्स की आदतों, और यौन इच्छाओं के भावनात्मक पहलू के बारे में बताता है। इस ग्रह की नियुक्ति यह परिभाषित करती है कि किसी व्यक्ति को शारीरिक संबंध में उस जातक को संतुष्ट होने की के लिए किस चीज की आवश्यकता पड़ती है। क्या उन्हें आंतरिक सुख की चाह है। चंद्रमा की प्रकृति ऐसी होती है कि आपके मन की यौन इच्छाएं आप तक ही रहती है। इसके परिणाम स्वरूप आपको अपने मन अनुसार वह नहीं मिलता जिसकी आप कामना करते हो। लेकिन कुंडली/Natal Chart के पूर्ण आकलन से इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।

जन्म कुंडली में स्वस्थ्य यौन संबंध के संकेत/Indication of Healthy Sex Life in Horoscope

हम सभी जानते हैं कि कुंडली/janam kundli के आकलन से जातक के जीवन के सभी पहलू के बारे में पता लगाया जा सकता है। कुंडली के आकलन से जातक की यौन संबंध की आदत, इच्छा और स्वास्थ्य जीवन के बारे में पता चल सकता है। कुंडली/Natal chart में कुछ विशिष्ट भाव और ग्रह है जो किसी जातक के यौन संबंध के बारे में बताते हैं। चलिए उनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारकों के बारे में जानते हैं –

यौन संबंध की आदतों में चंद्रमा की भूमिका/Role of Moon in Sex habits

चंद्रमा जातक की भावनात्मक जरूरतों के बारे में बताता है। आपकी जन्म कुंडली/Birth Chart में चंद्रमा आपके स्वस्थ संभोग जीवन, सेक्स की आदतों, और यौन इच्छाओं के भावनात्मक पहलू के बारे में बताता है। इस ग्रह की नियुक्ति यह परिभाषित करती है कि किसी व्यक्ति को शारीरिक संबंध में उस जातक को संतुष्ट होने की के लिए किस चीज की आवश्यकता पड़ती है। क्या उन्हें आंतरिक सुख की चाह है। चंद्रमा की प्रकृति ऐसी होती है कि आपके मन की यौन इच्छाएं आप तक ही रहती है। इसके परिणाम स्वरूप आपको अपने मन अनुसार वह नहीं मिलता जिसकी आप कामना करते हो। लेकिन कुंडली/Natal Chart के पूर्ण आकलन से इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।

चंद्रमा की स्थिति इस बात को दर्शाता है कि आपको अपने जीवन में कामवासना किस प्रकार चाहिए, आप किस प्रकार उसके लिए खुद को तैयार करेंगे और अपने यौन संबंध से पहले, उसके बाद और उस प्रक्रिया के दौरान कैसा महसूस करेंगे। यदि चंद्रमा की लालसा पूरी हो जाती है, तो आप ज्यादा खुश नहीं रह पाएंगे और अपने जीवन के महत्वपूर्ण पल का आनंद नहीं ले पाएंगे। यदि ऐसा नहीं होता, तो आपको इस क्रिया की लालसा ज्यादा हो सकती है।

यौन संबंधित आदतों में शुक्र की भूमिका/Role of Venus in Sex habits

जैसा कि हम बता चुके हैं कि जन्म कुंडली में चंद्रमा स्वस्थ सेक्स जीवन, सेक्स की आदतों, और यौन इच्छाओं के भावनात्मक पहलू के बारे में बताता है। लेकिन शुक्र और मंगल शारीरिक पहलु को दर्शाता है। आपको सबसे पहले समझना होगा कि हर प्रकार के यौन संबंध के दो महत्वपूर्ण पहलू होते हैं – अपने आप को आनंदित करना और अपने साथी को चरम सुख प्रदान करना।

शुक्र सबसे पहले आपके यौन इच्छाओं को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि वह उस पहलू के बारे में बताएं जिससे आपको संतुष्टि मिल सकती है। शुक्र से इस बात का पता चल सकता है कि आपके साथी को ऐसा क्या करना चाहिए कि आपको आनंद मिले। प्रेम का ग्रह इस बारे में संकेत दे सकता है कि आपके शरीर को किस चीज की आवश्यकता होती है। इसके साथ साथ शुक्र ग्रह यौन अनुकूलता के बारे में भी बताता है। इसका क्या अर्थ है? इसका मतलब यह है कि शुक्र की आपके कुंडली में नियुक्ती को देखकर इस बात के बारे में पता लगाना कि आपका साथी आपको यौन संबंध के दौरान कितना संतुष्ट कर सकता/सकती है। यदि किसी एक साथी की तरफ से अनुकूलता में समस्या का संकेत मिलता है तो यह संबंध लंबे समय तक नहीं चल पाएगा।

संभोग की आदतों में मंगल की भूमिका/Role of Mars in Sex habits

अब आते हैं शारीरिक संबंध के अगले कारक की तरफ। आपके साथी को क्या संतुष्ट कर सकता है? मंगल संबंध के इस तरफ के पहलू के लिए जिम्मेदार होता है। यह ग्रह इस बात का संकेत नहीं देता कि आपके साथी को क्या पसंद है (इस बात को शुक्र देखता है)। इस ग्रह के आकलन से आपके इस बात का पता चल जाएगा कि आपको अपनी क्षमता से अधिक ऐसा क्या करना चाहिए जिससे आप उन्हें संतुष्ट कर सकते हैं। मंगल की प्रकृति दूसरों की जरूरतों के अनुकूल या संवेदनशील नहीं होती है। इसलिए बहुत बार ऐसा देखा गया है कि लोगों को अपने साथी के साथ संबंध बनाने में दिक्कत होती है।

इस अनुकूलन की कुंजी समानुभूति है। इस स्थिति में आपके भावना का बाहर प्रकट होना बहुत मुश्किल होता है, विशेष रूप से ऐसा तब होता है जब मंगल शुक्र की दशा पर निर्भर करता है। इसका अर्थ यह है कि आप अपने साथी को उसी प्रकार से संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं जिस प्रकार आपको संतुष्टि मिलती है। ऐसी स्थिति में आप विफल भी हो सकते हैं। इसके सिवाय, आपको अपने साथी की यौन इच्छाओं को जानने में सफल होने के लिए आपको पुराने परीक्षण और त्रुटि पद्धति (trial and error method) का उपयोग करना चाहिए। इस पद्धति का नाम है अन्वेषण और निरीक्षण/Explore and observe पद्धति है। कुल मिलाकर, केवल मंगल को ही अनुकूल और अनुपालन करने की आवश्यकता है, क्योंकि आप शुक्र द्वारा परिभाषित अपनी अंतर्निहित यौन इच्छाओं और सेक्स आदतों को खुद बदल या ढाल सकते हैं। लेकिन जब आपको अपने साथी को संतुष्ट करने का तरीका मिल जाए, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं।

लेकिन परेशानी यह है कि मंगल ग्रह शायद ही कभी आसानी से जातक की बात रखने की प्रक्रिया को दर्शाता है। यदि आपकी कुंडली में मंगल उत्तम स्थान पर नियुक्त ना हो तो उस जातक को अपने साथी की संतुष्टि से कोई लेना देना नहीं होता है या हो सकता है कि वह अपने साथी के इच्छाओं को जानने का पूर्ण प्रयास ही ना करे। जो भी हो, लेकिन आपको समझना होगा कि यह लाल ग्रह कुछ हेरफेर कर सकता है, लेकिन जातक थोड़े से मेहनत और सूझबूझ से इससे बच सकता है। लेकिन जब मंगल की नियुक्ति ऐसे होती है जिसमें यह कभी भी बदल जाए, तो इस स्थिति में जातक के साथी की किस्मत उसका साथ देती है।

यौन संबंध मामलों में मंगल और शुक्र की संगतता/Mars Venus compatibility in Sex matters

एक साथी का मंगल और दूसरे साथी का शुक्र कुंडली के आकलन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। इसका विशेष रूप से तब प्रयोग किया जाता है जब दोनों साथियों की यौन संबंध, उनकी आदतें और कामेच्छा के बारे में उनकी कुंडली से पता लगाना होता है। आपके और आपके साथी की अनुकूलता से बारे में जानने के लिए ज्योतिषी आपके शुक्र और आपके साथी के मंगल के संबंध और इसकी विपरीतता की जांच की जाती है। यदि आप दोनों की कुंडली के मंगल और शुक्र ग्रह की जांच सही से हो जाती है तो यह आप दोनों के बीच यौन अनुकूलता को दर्शाता है। लेकिन यहां पर एक जटिलता है। जब शुक्र को वह नहीं मिलता जिसकी वह चाह रखता है तो मंगल अपने साथी को उत्तेजित करने की कोशिश भी नहीं करता।

इस बिंदु पर आकर कुछ दंपत्ति असफल हो जाते हैं और इसके कारण दोनों में निराशा बन जाती है जिससे दोनों एक दूसरे से अलग हो सकते हैं। फिरदोनों साथी समझौते की तरफ अपना रुख करते हैं। लेकिन जब आप अपनी कुंडली में शुक्र और मंगल के संबंध का पता लगा लेते हो, आपके और आपके साथी का रिश्ता कई उचाईयों पर उड़ने लगता है। मेरा विश्वास करें जब मैं कहता हूं कि यह साहसिक कदम सभी परेशानी और शर्मिंदगी से ऊपर है जो इसके साथ आती है।

यौन संबंध मामलों में मंगल और शुक्र की संगतता/Mars Venus compatibility in Sex matters

एक साथी का मंगल और दूसरे साथी का शुक्र कुंडली के आकलन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। इसका विशेष रूप से तब प्रयोग किया जाता है जब दोनों साथियों की यौन संबंध, उनकी आदतें और कामेच्छा के बारे में उनकी कुंडली से पता लगाना होता है। आपके और आपके साथी की अनुकूलता से बारे में जानने के लिए ज्योतिषी आपके शुक्र और आपके साथी के मंगल के संबंध और इसकी विपरीतता की जांच की जाती है। यदि आप दोनों की कुंडली के मंगल और शुक्र ग्रह की जांच सही से हो जाती है तो यह आप दोनों के बीच यौन अनुकूलता को दर्शाता है। लेकिन यहां पर एक जटिलता है। जब शुक्र को वह नहीं मिलता जिसकी वह चाह रखता है तो मंगल अपने साथी को उत्तेजित करने की कोशिश भी नहीं करता।

इस बिंदु पर आकर कुछ दंपत्ति असफल हो जाते हैं और इसके कारण दोनों में निराशा बन जाती है जिससे दोनों एक दूसरे से अलग हो सकते हैं। फिरदोनों साथी समझौते की तरफ अपना रुख करते हैं। लेकिन जब आप अपनी कुंडली में शुक्र और मंगल के संबंध का पता लगा लेते हो, आपके और आपके साथी का रिश्ता कई उचाईयों पर उड़ने लगता है। मेरा विश्वास करें जब मैं कहता हूं कि यह साहसिक कदम सभी परेशानी और शर्मिंदगी से ऊपर है जो इसके साथ आती है।

ज्योतिष का काम कुंडली/Birth Chart में व्यक्तिगत कारकों से समझकर तथ्यों का पता लगाना नहीं हैजबकि यह जातक की कुंडली में ग्रहों और भावों के प्रभाव को समझना है। यही बात इस विषय पर भी लागू होती है। इस विषय में जिस ग्रह की महत्वता सबसे ज्यादा है वह है – सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, और मंगल। इन ग्रहों के बहुत सारे संयोजन है, और हर संयोजन से जातक के यौन जीवन के बारे में बहुत सारी बातों का पता चल सकता है। इस बात में पूर्णतः सच्चाई है कि यौन संबंध में आपके साथी का भी उतना ही अहम किरदार होता है, जितना कि आपका। बस इसके बारे में आपको जन्म कुंडली के माध्यम से पता लगाना चाहिए।

कौन से राशि चिन्ह यौन संबंध में उत्तम होते हैं? Which Zodiac signs are the best in the bed?

हर व्यक्ति के जीवन में यौन संबंध की आदतें, कामेच्छा और यौन जीवन अलग अलग होती है। लेकिन फिर भी हम उनकी राशि को देखकर इस बात का अंदेशा लगा सकते हैं कि इनका यौन जीवन कैसा रहने वाला है। चलिए इस विषय में और गंभीरता से समझते हैं।

  1. अग्नि की विशेशता वाले राशि जैसे मेषसिंह और धनु वाले जातक के यौन इच्छाएं बहुत प्रबल होती है।
  2. पृथ्वी की राशि जैसे वृषभ, कन्या और मकर राशि के जातकों की इच्छाएं ज्यादा प्रबल नहीं रहेगी, लेकिन ठीक रहेगी।
  3. हवा की राशि जैसे मिथुन, तुला, और कुंभ राशि वाले जातकों का यौन संबंध के प्रति गुप्त झुकाव होगा। लेकिन वह अपनी इच्छाओं को व्यक्त नहीं होने देंगे।
  4. जल या शांत स्वभाव की राशि जैसे कर्क, मीन राशि वाले व्यक्ति यौन संबंध के मामले में बहुत ज्यादा मोहित नहीं होते हैं। लेकिन उनमें अत्यधिक भावुक भावनाएँ हो सकती हैं।

आप हमारे पेज पर मौजूद निःशुल्क कैलकुलेटर का प्रयोग करके इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।

यौन संबंधित समस्या के लिए ग्रह/Planets for Sex related Problems

हम सभी जानते हैं कि यौन संबंधी समस्या के लिए बहुत सारे मेडिकल कारण हैं। लेकिन आपको समझना होगा कि इन समस्याओं के लिए और भी कारण हो सकते हैं, जैसे ग्रहों के संयोजन/planetary combinations for sex related problems ऐसा कई बार देखा गया है कि अच्छी और स्वस्थ यौन जीवन और आदतें होने के बावजूद भी वह यौन संबंध में सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इसके अनगिनत कारण हो सकते हैं, लेकिन सेहत विज्ञान/Health Science के पास हर समस्या का समाधान है। लेकिन आपको समझना होगा कि कई बार इन समस्याओं के पीछे कोई ज्योतिषीय कारण भी हो सकता है जिसका समाधान ज्योतिष/Astrology में ही मिलेगा। चलिए उन सभी के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

जन्म कुंडली में नपुंसकता के संकेत/Indications of Impotency in the birth chart

शीघ्रपतन, स्तंभन दोष और कम शुक्राणु गिनती कुछ ऐसी समस्याएं है जो किसी व्यक्ति को यौन सुख लेने से वंचित कर सकता है। यह बीमारियां आमतौर पर कुछ शारीरिक समस्या, किसी हीन भावना, या किसी दुख या अवसाद के कारण हो सकती है। नपुंसकता कोई गंभीर समस्या नहीं है। ज्यादातर लोग इस समस्या को अपने साथियों से सुनने के बाद इस समस्या को बहुत भयावह स्थिति मानने लगते हैं। लेकिन आपको समझना होगा कि यह एक सामान्य स्थिति है जिसका उपचार संभव है। नीचे कुछ योग दिए गए हैं जो इस समस्या से संबंध रखते हैं

यौन संबंधित समस्या के लिए ग्रह/Planets for Sex related Problems

हम सभी जानते हैं कि यौन संबंधी समस्या के लिए बहुत सारे मेडिकल कारण हैं। लेकिन आपको समझना होगा कि इन समस्याओं के लिए और भी कारण हो सकते हैं, जैसे ग्रहों के संयोजन/planetary combinations for sex related problems ऐसा कई बार देखा गया है कि अच्छी और स्वस्थ यौन जीवन और आदतें होने के बावजूद भी वह यौन संबंध में सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इसके अनगिनत कारण हो सकते हैं, लेकिन सेहत विज्ञान/Health Science के पास हर समस्या का समाधान है। लेकिन आपको समझना होगा कि कई बार इन समस्याओं के पीछे कोई ज्योतिषीय कारण भी हो सकता है जिसका समाधान ज्योतिष/Astrology में ही मिलेगा। चलिए उन सभी के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

जन्म कुंडली में नपुंसकता के संकेत/Indications of Impotency in the birth chart

शीघ्रपतन, स्तंभन दोष और कम शुक्राणु गिनती कुछ ऐसी समस्याएं है जो किसी व्यक्ति को यौन सुख लेने से वंचित कर सकता है। यह बीमारियां आमतौर पर कुछ शारीरिक समस्या, किसी हीन भावना, या किसी दुख या अवसाद के कारण हो सकती है। नपुंसकता कोई गंभीर समस्या नहीं है। ज्यादातर लोग इस समस्या को अपने साथियों से सुनने के बाद इस समस्या को बहुत भयावह स्थिति मानने लगते हैं। लेकिन आपको समझना होगा कि यह एक सामान्य स्थिति है जिसका उपचार संभव है। नीचे कुछ योग दिए गए हैं जो इस समस्या से संबंध रखते हैं

  1. शुक्र का शनि के साथ दसवें भाव/Tenth House में युति, या फिर शनि का शुक्र से छठे/Sixth House या बारहवें भाव/Twelfth House में नियुक्ती।
  2. विषेशज्ञ मानते हैं कि, बुध, शनि और राहु नपुसंक के ग्रह है जो किसी भी व्यक्ति की यौन संबंध, आदतें और कामेच्छा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब शनि कन्या लग्न में नियुक्त हो और बुध और राहु या केतु (सातवें भाव में विराजमान हो) के युति के संयोजन से प्रभावित हो।
  3. जब शनि दूसरे भाव/Second House में स्थित हो, मंगल सातवें भाव/Seventh House में और चंद्रमा सूर्य से दसवें भाव (Tenth House में मौजूद हो।
  4. जब बुध, शनि, और राहु युति में हो और यह सातवें भाव/Seventh House में विराजमान हो।
  5. जब बुध, राहु और षष्ठेश युति में हो और यह लग्नेश या पहले भाव के स्वामी/First House Lord के साथ पहलू संबंध में हो।
  6. सूर्य, बुध और शनि की युति सातवे भाव/Seventh House या उसके स्वामी/Seventh House lord से संबंध रखे।
  7. शुक्र और शनि की युति की नियुक्ति तीसरे/Third House, ग्यारहवें/Eleventh House या आठवें भाव/Eighth House में हो।
  8. वैवाहिक आनंद के कारक, शुक्र का आठवें भाव/Eighth House से शनि का प्रभाव।

यदि ऊपर मौजूद कोई भी योग बनता है, तो जातक के बच्चे होने की संभावना बहुत कम हो जाती है क्योंकि यह सभी संयोजन जातक के यौन जीवन को प्रभावित करता है।

जन्म कुंडली में बांझपन के संकेत - बांझपन

जब कोई महिला किसी भी कारणवश संतान को जन्म नहीं दे पाती, तो उस स्थिति को बांझपन कहते हैं। इस स्थिति में उनके यौन जीवन में भी समस्या हो सकती है। कभी कभी पुरुषों के नपुंसकता का संकेत, महिला की कुंडली/Kundli से मिल सकता है। इसके साथ साथ नीचे कुछ ग्रहों के संयोजन दिए गए हैं जो महिला की कुंडली में यौन संबंध में समस्या का संकेत देता है।

नीचे कुछ योग दिए गए हैं जो महिला को बांझ बना सकती है।

जन्म कुंडली में बांझपन के संकेत - बांझपन

जब कोई महिला किसी भी कारणवश संतान को जन्म नहीं दे पाती, तो उस स्थिति को बांझपन कहते हैं। इस स्थिति में उनके यौन जीवन में भी समस्या हो सकती है। कभी कभी पुरुषों के नपुंसकता का संकेत, महिला की कुंडली/Kundli से मिल सकता है। इसके साथ साथ नीचे कुछ ग्रहों के संयोजन दिए गए हैं जो महिला की कुंडली में यौन संबंध में समस्या का संकेत देता है।

नीचे कुछ योग दिए गए हैं जो महिला को बांझ बना सकती है।

       1. सूर्य और शनि का आठवें भाव/Eighth House में युति या 

  • बुध की नियुक्ती या
  • सूर्य और चंद्रमा का कर्क और सिंह राशि में युति या
  • चंद्रमा और बुध का मिथुन, कर्क या कन्या राशि में युति।

2. यदि चन्द्रमा और शुक्र की युति मंगल या शनि के साथ लग्न में हो और पांचवें भाव/Fifth House में पीड़ित ग्रहों का वास हो।

ऊपर दिए गए योगों में से कोई भी योग होने के कारण जातक की कुंडली में संतान योग नहीं होता है और यह जातक को बांझ बना सकता है।

जन्म कुंडली में विशिष्ट स्त्री रोह का संकेत (Indications of Female-specific Diseases in the birth chart)

अनियमित या जटिल मासिक धर्म, श्वेत प्रदर/leucorrhoea, योनि में छाले और जलन जैसी कुछ समस्या है जो विशेष रूप से महिलाओं को होने वाली समस्या है। ज्योतिषीय योग/Astrological Yoga ही इन समस्याओं के कारण यौन संबंध में समस्या खड़ी करती है।

  1. सातवें भाव/Seventh House में नवमांश शनि मंगल पर प्रभाव डालता है। यदि महिला कृतिका, अश्लेषा, या शतभिषा नक्षत्र में शनिवार, रविवार, या मंगलवार को दूसरे, सातवें, और बारहवें तिथि (द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि) में जन्म ले तो यह योग बनता है।
  2. एक पीडित ग्रह लग्न में हो, और दो ग्रह छठे भाव में।
  3. तुला, सातवें भाव/Seventh House), सप्तमेश, और मंगल पर नकारात्मक प्रभाव डाले तो यह मासिक धर्म और यौन संबंधित समस्या को बढ़ा देती है।
  4. यदि मंगल त्रिक भाव (छठा/Sixth House, आठवें/Eighth House, और बारहवें भाव/Twelfth House) का स्वामी हो और सातवें भाव/Seventh House, उसके स्वामी या तुला राशि के साथ पहलू-संयोजन में हो तो यह जातक को अनियमित या जटिल मासिक धर्म की समस्या से सामना करवाता है और इससे उनके यौन जीवन पर भी समस्या आती है।
  5. यदि सप्तमेश और अष्टमेश छठे भाव या उसके स्वामी/Sixth House or its lord के संबंध में हो, तो यह जातक के जीवन में क्रूर यौन रोग का संकेत देता है।
  6. ऐसा माना जाता है कि शुक्र महिलाओं का गर्भाशय या गर्भ पर शासन करता है। यदि प्रेम के ग्रह का संबंध मंगल, राहु, छठे भाव/Sixth House, और छठे भाव के स्वामी/Sixth House lord से हो जाए, तो यह जातक की योनी में छाले, जलन और गर्भाशय में कैंसर होने की संभावना को दर्शाता है।
  7. विशेषज्ञ का मानना है कि ट्यूमर और छाले के बारे में मंगल से पता चल सकता है। यदि मंगल पीड़ित हो और सातवें भाव/Seventh House और उसके स्वामी/Seventh House lord से संबंध रखे, तो इस बात की संभावना होती है उस महिला को श्वेत प्रदर/leucorrhoea और योनि में जलन जैसी समस्या हो सकती है।

जन्म चार्ट में जननांग रोगों के संकेत/Indications of Genital Diseases in the birth chart

जन्म कुंडली में विशिष्ट स्त्री रोह का संकेत (Indications of Female-specific Diseases in the birth chart)

अनियमित या जटिल मासिक धर्म, श्वेत प्रदर/leucorrhoea, योनि में छाले और जलन जैसी कुछ समस्या है जो विशेष रूप से महिलाओं को होने वाली समस्या है। ज्योतिषीय योग/Astrological Yoga ही इन समस्याओं के कारण यौन संबंध में समस्या खड़ी करती है।

  1. सातवें भाव/Seventh House में नवमांश शनि मंगल पर प्रभाव डालता है। यदि महिला कृतिका, अश्लेषा, या शतभिषा नक्षत्र में शनिवार, रविवार, या मंगलवार को दूसरे, सातवें, और बारहवें तिथि (द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि) में जन्म ले तो यह योग बनता है।
  2. एक पीडित ग्रह लग्न में हो, और दो ग्रह छठे भाव में।
  3. तुला, सातवें भाव/Seventh House), सप्तमेश, और मंगल पर नकारात्मक प्रभाव डाले तो यह मासिक धर्म और यौन संबंधित समस्या को बढ़ा देती है।
  4. यदि मंगल त्रिक भाव (छठा/Sixth House, आठवें/Eighth House, और बारहवें भाव/Twelfth House) का स्वामी हो और सातवें भाव/Seventh House, उसके स्वामी या तुला राशि के साथ पहलू-संयोजन में हो तो यह जातक को अनियमित या जटिल मासिक धर्म की समस्या से सामना करवाता है और इससे उनके यौन जीवन पर भी समस्या आती है।
  5. यदि सप्तमेश और अष्टमेश छठे भाव या उसके स्वामी/Sixth House or its lord के संबंध में हो, तो यह जातक के जीवन में क्रूर यौन रोग का संकेत देता है।
  6. ऐसा माना जाता है कि शुक्र महिलाओं का गर्भाशय या गर्भ पर शासन करता है। यदि प्रेम के ग्रह का संबंध मंगल, राहु, छठे भाव/Sixth House, और छठे भाव के स्वामी/Sixth House lord से हो जाए, तो यह जातक की योनी में छाले, जलन और गर्भाशय में कैंसर होने की संभावना को दर्शाता है।
  7. विशेषज्ञ का मानना है कि ट्यूमर और छाले के बारे में मंगल से पता चल सकता है। यदि मंगल पीड़ित हो और सातवें भाव/Seventh House और उसके स्वामी/Seventh House lord से संबंध रखे, तो इस बात की संभावना होती है उस महिला को श्वेत प्रदर/leucorrhoea और योनि में जलन जैसी समस्या हो सकती है।

जन्म चार्ट में जननांग रोगों के संकेत/Indications of Genital Diseases in the birth chart

जातक के गुप्त अंगों में पैदाइश से कोई समस्या होना जननांग रोगों का संकेत देता है। चलिए ज्योतिष में इस रोग के योग का पता लगाते हैं।

  1. हर व्यक्ति की कुंडली में आठवां भाव/Eighth House जातक के गुप्त अंगों के बारे में बताता है। इसलिए, किसी भी पीड़ित ग्रह की युति, पहलू प्रभाव आठवें भाव पर पड़े, या फिर कोई भी ग्रह इस भाव में दुर्बल अवस्था में हो, तो यह जातक के लिए सेहत संबंधित समस्या को दर्शाता है।
  2. यदि राहु आठवें भाव के स्वामी/Eight House Lord के साथ संयोजन में हो, तो यह ऐसी समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसके साथ ही अष्टमेश का पीडित ग्रह के साथ युति या फिर आठवें भाव के स्वामी/Eighth House Lord के चंद्रमा के जमाकर्ता के साथ हो और एक पीडित ग्रह हो तो यह योग जननांग रोगों का संकेत देता है।

उपदंश और सूजाक : योनि रोग / एसटीडी/Syphilis and Gonorrhea: Venereal Diseases/STDs

इस रोग के लिए कुछ ज्योतिषीय संयोजन है जिन्हें आगे हम जानने वाले हैं।

  1. छठे भाव के स्वामी/Sixth House Lord और मंगल का किसी भी भाव में युति या लग्नेश और मंगल का छठे भाव/Sixth House में युति।
  2. छठे भाव के स्वामी/Sixth House Lord, बुध, और मंगल का किसी भी भाव में युति हो या छठे भाव के स्वामी, बुध, और राहु लग्न भाव में युति में हो।
  3. पीड़ित ग्रह आठवें भाव/Eighth House में नियुक्त हो, और बृहस्पति बारहवें भाव/Twelfth House में हो।
  4. चंद्रमा जब अपने ही राशि में हो या वह दुर्बल स्थिति में हो और वह पीडित ग्रह के साथ युति या पहलू में हो।

यदि आपकी कुंडली में इनमें से कोई भी योग हो, चंद्रमा की भुक्ति शुक्र में हो या शुक्र की भुक्ति चंद्रमा में हो तो यह जातक को योनि रोग को दर्शाता है।

गुदा रोग: पाइल्स/ बवासीर, फिस्टुला/Anorectal Diseases: Piles/Haemorrhoids, Fistula

पाइल्स/ बवासीर, और फिस्टुला कुछ गुदा यौन रोगों में से हैं जो किसी भी व्यक्ति को बहुत परेशान कर सकती है। यह रोग तब होता है जब मलाशय में छाले हो जाए, जिसके कारण उस व्यक्ति को बहुत दर्द हो। खूनी बवासीर तब होता है जब इन छालों में से रक्त निकलना शुरू हो जाए। इस रोग के पीछे भी कुछ ज्योतिषीय कारण है। चलिए उन्हें जानते हैं –

     1. यदि शनि आपके खर्च के बारहवें भाव/Twelfth House में है और या तो

  • पीडित ग्रह से प्रभावित हो, या
  • लग्नेश और मंगल की युति सातवें भाव/Seventh House में हो, या
  • लग्नेश सातवें भाव/Seventh House में हो और मंगल से प्रभावित हो।
  1. यदि आठवें भाव के स्वामी/Eighth House Lord पीडित ग्रह के साथ सातवें भाव में हो।
  2. जब शनि वृश्चिक राशि में हो, सातवें भाव में नियुक्त हो, और मंगल को नौंवें भाव में प्रभावित करे।
  3. आठवें भाव में छठे भाव के स्वामी और पीड़ित ग्रह की युति।
  4. यदि लग्नेश अपने अभिन्न ग्रह से प्रभावित हो।

मंगल, बुध, और लग्नेश की युति चौथे या बारहवें भाव/Twelfth House में हो।

जन्म कुंडली में दुर्वहन के संकेत/Indications of miscarriage in the birth chart

दुर्वहन किसी भी महिला के लिए बहुत बुरा और कष्टदायक होता है। दुर्वहन होने का बाद कोई भी महिला भावनात्मक रूप से टूट सकती है। चलिए इसके ज्योतिषीय कारण और योग के बारे में जानते हैं –

  1. पांचवें भाव/Fifth House महिला के गर्भ या गर्भाशय का संकेत देता है। इसलिए, इस घर के साथ एक पीडित ग्रह की आकांक्षा-संयोजन, या फिर एक नकारात्मक स्थान में पंचमेश की स्थिति से दुर्वहन की संभावना बनती है।
  2. नवमांश चार्ट के पांचवें भाव/Fifth House में उसी भाव पर प्रभाव डालने वाले मौजूद पीड़ित ग्रहों की संख्या गर्भ में होने वाले नुकसान के बराबर होती है।
  3. गर्भाधान से अगले 10 महीनों तक, निम्न ग्रहों में गर्भाशय के बच्चे पर आधिपत्य होता है –

गर्भाशय के बच्चे को प्रभावित करने वाले ग्रह

पहला महीना

शुक्र

दूसरा महीना

मंगल ग्रह

तीसरा महीना

बृहस्पति

चौथा महीना

सूर्य

पांचवा महीना

चंद्रमा

छठा महीना

शनि ग्रह

सातवां महीना

बुध

आठवां महीना

लग्नेश * (पहले भाव का स्वामी)

नौंवां महीना

चंद्रमा

दसवां महीना

सूर्य

गर्भाधान कुंडली में, यदि ऊपर दिए गए ग्रहों में से एक भी ग्रह कमजोर हो, हीन बाली, या नकारात्मक रूप से प्रभावित हो; तो वह ग्रह जिस माह से संदर्भ रखता है, उसी माह में दुर्वहन होने की संभावना होती है।

नोट – यदि कुंडली में गर्भ का लग्नेश किसी दुष्प्रभाव में हो, तो जातक संतान को आठवें भाव में ही जन्म दे सकती है। यही कारण हैं कि ज्योतिष में मुहूर्त का बहुत बड़ा योगदान होता है।

जन्म कुंडली में जलवृषण रोग के संकेत/Indications of Hydrocele in the birth chart

जब अंडकोष में पानी भर जाए, या फिर अंडकोश की थैली में सूजन आ जाए, तो उस स्थिति को जलवृषण रोग कहते हैं, और यह जातक के यौन जीवन को प्रभावित कर सकती है। इसके कुछ ज्योतिषीय कारण है –

  1. मंगल, शनि और राहु का पहले/Lagna या छठे भाव/Sixth House में युति।
  2. लग्नेश का राहु या गुलिक के साथ आठवें भाव/Eighth House में युति।
  3. यदि लग्नेश और राहु का शनि या मंगल के साथ युति, और इस संयोजन का एक प्रतिकूल स्थिति में होना।
  4. यदि मंगल का शुक्र के साथ युति हो, और वह खुद के भाव में या फिर आठवें भाव में हो, तो इस स्थिति में जातक को वात कोप के कारण जलवृषण रोग होने की संभावना होती है।
  5. अष्टमेश का नवमशा, राहु से युति जलवृषण रोग का संकेत देता है।

निष्कर्ष – सेक्स की आदतें, इच्छाएं जीवित प्राणियों का एक प्राकृतिक पहलू है, लेकिन कोई भी इन सेक्स आदतों का आनंद या दुरुपयोग कैसे करता है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है? हर व्यक्ति अच्छी यौन आदतें बना सकता है। यौन संबंध हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण पहलू है और हर व्यक्ति के जीवन में इसका प्रभाव अलग अलग पड़ता है। लेकिन हर व्यक्ति कि कुंडली/Horoscope से यौन संबंधित आदतों के बारे में जाना जा सकता है। खराब या अनैतिक सेक्स की आदतें कभी कभी संयोग वश हो सकती है, लेकिन ज्यादतर मामलों में यह स्वयं द्वारा उत्पन्न होती है। हालांकि, यौन संबंध के लिए ज्योतिष/Astrology for sex एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसके जरिए किसी व्यक्ति के सभी यौन संबंधित आदतें, इच्छाएं और स्वास्थ्य के बारे में पता चल सकता है। मैनें इस लेख के जरिए यौन संबंध के कुछ महत्वपूर्ण पहलू को समझाने का पूर्ण प्रयास किया है और इनका आपकी कुंडली के आधार पर उत्तम समाधान भी बताने का प्रयास किया है।

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