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नरसिम्हा जयंती इतिहास | महत्व और उत्सव| Narasimha Jayanti 2023
नरसिम्हा जयंती in 2023
04
May, 2023
(Thursday)

नरसिम्हा जयंती इतिहास | महत्व और उत्सव| Narasimha Jayanti 2023
4th May
नरसिम्हा जयंती
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की जयंती मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि अर्ध सिंह और अर्ध मानव रूप में भगवान नरसिंह, अपने भक्त प्रह्लाद को उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा बड़े उत्साह से मनाए जाने वाले इस पर्व पर, भक्त भगवान विष्णु की प्रार्थना और पूजा-अर्चना करते हैं और बुराई से बचने का आशीर्वाद मांगते हैं।
इस दिन, भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह के मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। भगवान नरसिंह की मूर्ति का दूध, शहद, दही, घी और चीनी से बने पंचामृत से अभिषेक करके, नए वस्त्रों और आभूषणों से विभूषित किया जाता है। भक्त, भगवान नरसिंह को फूल, फल और मिठाई अर्पित करके सुख, समृद्धि और रक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं। इस अवसर पर, भारत के कुछ हिस्सों में कढ़ी चावल और होलिगे जैसे विशेष प्रसाद बनाए और वितरित किए जाते हैं। साथ ही, भक्त उपवास और भक्ति पाठ और भजन-कीर्तन करते हैं। यह पर्व, भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस दिन लोग रंग-बिरंगे वस्त्र और आभूषण पहनते हैं और सड़कों पर बड़ी-बड़ी शोभायात्राएं निकाली जाती हैं।
नरसिंह जयंती का महत्व/Importance of Narasimha Jayanti
हिंदुओं के इस महत्वपूर्ण पर्व पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान नरसिंह के प्रकट होने का जश्न मनाता है जो अपने भक्त प्रह्लाद को, उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए अवतरित हुए थे। उन्होंने इस अवतार में दानव का वध कर धर्म की स्थापना की थी। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई और पाप पर धर्म की विजय का प्रतीक है। क्रोधित और शक्तिशाली देवता के रूप में पूजित भगवान नरसिंह, अपने भक्तों की समस्त विपत्तियों या संकटों से रक्षा करके उन्हें सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं। यह पर्व, भगवान विष्णु के अनुयायियों की भक्ति, विश्वास और आध्यात्मिकता में वृद्धि करता है जो ईश्वर की कृपा पाने के लिए यह लोगों के एक साथ आने, प्रार्थना और अनुष्ठान करने का समय है।
कुल मिलाकर नरसिंह जयंती/Narasimha Jayanti ध्यान, शुद्धिकरण और विश्वास के नवीनीकरण का समय है। इस दिन लोगों को धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्ध होकर, दृढ़तापूर्वक आध्यात्मिक लक्ष्यों को पाने के प्रयास करने चाहिए।
नरसिंह जयंती कब है/Narasimha Jayanti Puja Shubh Muhurat
हिंदू पंचांग/Hindu Panchang के अनुसार नरसिंह जयंती 4 मई, 2023, गुरुवार को मनाई जाएगी।
वैशाख माह की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 3 मई, 2023, बुधवार की रात 11 बजकर 49 मिनट से होगी और चतुर्दशी की तिथि की समाप्ति 4 मई की रात 11 बजकर 44 मिनट पर होगा।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, नरसिंह जयंती की पूजा और व्रत पालन 4 मई को गुरुवार के दिन किया जाएगा।
नरसिंह जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त
नरसिंह जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 4 मई, सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर के 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
वहीं, संध्याकाल की पूजा का मुहूर्त शाम को 4 बजकर 18 मिनट से शाम को 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
पूजा की कुल अवधि सुबह के समय साढ़े 3 घंटे है तो शाम के समय 2 घंटे 40 मिनट है।
नरसिंह जयंती के दिन पूजा और उपवास कैसे करें/How to Observe Puja and Fasting on Narasimha Jayanti Day?
- • प्रात:काल स्नान-ध्यान करके स्वयं को शुद्ध करें।
- • स्वच्छ और पारंपरिक वस्त्र धारण करें।
- • घर के पूजास्थल या मंदिर में भगवान नरसिंह की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करके फूल, धूप-दीप और अन्य पूजा सामग्री की व्यवस्था करें।
- • नरसिंह जयंती मंत्रों का जाप करते हुए ईश्वर को फल-फूल, मिठाई और अन्य सामग्री अर्पित करें।
- • अब, दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान नरसिंह की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करें।
- • इसके बाद, आरती करके भगवान नरसिंह की स्तुति करें।
- • ईश्वर की कृपा से आध्यात्मिक ज्ञान, समृद्धि पाने के साथ ही, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए प्रार्थना करें।
- • इस दिन उपवास रखें और अनाज, दालें और मांसाहार से परहेज करना चाहिए।
- • व्रत में केवल फल, दूध और अन्य शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
- • शाम को फिर से आरती करें और व्रत और पूजा का समापन करके प्रसाद ग्रहण करें।
- • माना जाता है कि इस दिन भक्ति, पवित्रता और निष्ठापूर्वक पूजा और उपवास करने से आध्यात्मिक उत्थान, समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होने के साथ ही, ईश्वर की अपार कृपा और कल्याण की प्राप्ति होती है।
भगवान नरसिंह के प्राकट्य की कथा/Story of the Appearance of Narasimha
प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथ भागवत पुराण में वर्णित भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह के प्रकट होने की कहानी इस प्रकार है:
हिरण्यकशिपु नाम का एक शक्तिशाली दुष्ट राजा ब्रह्मा जी के वरदान से लगभग अजय हो गया था जिसके घमंड में उसने लोगों पर अत्याचार करना और सताना शुरू कर दिया और स्वयं को ब्रह्मांड का सर्वोच्च शासक घोषित कर दिया। लेकिन, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसने अपने पिता के अधिकार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने उसे कई तरह से मारने की कोशिश की लेकिन, हर बार असफल रहा। अंत में, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद करने के लिए कहा जिसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई लेकिन, भगवान विष्णु में दृढ़ विश्वास के चलते प्रह्लाद बच गया और होलिका की अग्नि में जलने से मृत्यु हो गई।
तब, हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को भगवान विष्णु के अस्तित्व को दिखाने की चुनौती दी। इस पर, प्रह्लाद ने एक स्तंभ की ओर इशारा करते हुए कहा कि भगवान विष्णु हर जगह हैं यहां तक कि स्तंभ में भी। यह सुनकर हिरण्यकशिपु ने क्रोधित होकर अपनी गदा से खंभे पर प्रहार किया लेकिन, तब वह आश्चर्यचकित रह गया जब उसमें से भगवान विष्णु अर्ध पुरुष और अर्ध सिंह के नरसिंह रूप में प्रकट हुए और उनका हिरण्यकशिपु के साथ भयंकर युद्ध हुआ। अंततः, उसे गोधूलि बेला के समय मार डाला क्योंकि यही वह समय था जब हिरण्यकशिपु की अजेयता का वरदान खत्म हो गया था। तब, भगवान नरसिंह ने कोमलता दिखाते हुए, प्रह्लाद को कई वरदान देकर सांत्वना दी।
भगवान नरसिंह का यह अवतार हमें भक्ति और विश्वास की शक्ति के बारे में सिखाता है कि ईश्वर कैसे अपने भक्तों की हर संकट में रक्षा करते हैं। इसके साथ ही, यह धर्म के महत्व और बुराई पर अच्छाई की विजय को भी दर्शाता है।
नरसिंह जयंती मंत्र/Narasimha Jayanti Mantra
"ॐ नमो भगवते नरसिंहाय" एक शक्तिशाली मंत्र है जिसके जाप से भगवान नरसिंह का आह्वान किया जाता है जिसे भक्तिभाव के साथ जपने से भगवान नरसिंह की कृपा पाने में मदद मिलती है। माना जाता है कि भक्तिपूर्वक इस मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा, भय और चिंता से रक्षा मिलती है और आध्यात्मिक उत्थान और समृद्धि प्राप्त होती है।
इस दिन, पूजा के दौरान या दिन के किसी भी समय भगवान नरसिंह का ध्यान या पूजा करते हुए इस मंत्र का जाप किया जा सकता है। इसका अधिकतम लाभ पाने के लिए शुद्ध हृदय और मन से शांत वातावरण में इस मंत्र का जप करने की सलाह दी जाती है।
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