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Ram Navami 2022-23: महत्व, कथा और पूजन विधि
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भारतीय संस्कृति में भगवान श्री राम के जन्मोत्सव से जुड़े रामनवमी पर्व का बहुत ही अधिक महत्व है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्री राम नवमी/Ram Navami के रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत में प्रत्येक हिंदू व्यक्ति इसे एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन मानता है, क्योंकि इसी दिन अयोध्या नगरी में राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने मानव रूप में अवतार ग्रहण किया था। आइए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम से संबंधित रामनवमी पर्व के बारे में अधिक विस्तार से चर्चा करते हैं।
रामनवमी का महत्व | Importance of Ramnavmi
रामनवमी का यह पावन त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। प्राचीन धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को खत्म करने तथा धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिये श्री हरि विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में अवतार लिया था। शास्त्रों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था। रामनवमी के त्यौहार का हिंदू संस्कृति में बहुत अधिक महत्व रहा है। भगवान श्रीराम ने अपने जीवनकाल में अपार संकटों व कष्टों को सहा और एक आदर्श चरित्र के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया। उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी मर्यादा व धैर्य रखा इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम से संबोधित किया जाता है। मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति के मार्ग पर चले। इन सब गुणों के चलते उन्हें पुरषोत्तम महापुरुष की संज्ञा मिली है।
भारत में रामनवमी के दिन व्रत/Vrat, उपवास व पूजन किया जाता है। इस पर्व के साथ ही चैत्र नवरात्रि का समापन भी होता है। इस दिन भगवान श्रीराम की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य व संतान सुख की वृद्धि होती है। इस पवित्र पर्व पर भक्त गण पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा व नदियों में स्नान करके पुण्य कमाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन यदि कोई व्यक्ति दिन भर विधिपूर्वक व्रत-उपवास के साथ भगवान श्री राम के नाम या मंत्र का जाप अथवा पूजन करता है तो उसे अनंत कोटि पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन धन, अन्न, वस्त्र, भोजन आदि के दान का भी बहुत अधिक महत्व है। ऐसा करने से व्यक्ति के न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पूर्वजन्म के पापों का भी नाश होता है। श्री राम नवमी का यह पावन पर्व नवरात्रि के आखिरी दिन मनाया जाता है। इस दिन 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर कंजक जिमाने की भी परंपरा हैं इसलिए इस दिन व्यक्ति को न सिर्फ भगवान श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि मां दुर्गा की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विधि विधान के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक सुख बढ़ता है। इस दिन भगवान राम के मंदिरों को बहुत ही भव्य रूप से सजाया जाता है। भगवान राम के साथ-साथ माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियों को भी सुंदर तरीके से सजाया जाता है।रामनवमी की धूम तो पूरे देश में मची रहती है लेकिन इस दिन प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या नगरी को विशेष रूप से सजाया जाता है। यहां तरह तरह के मेलों का आयोजन होता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालुजन और साधक पहुंचते हैं और भगवान राम के मंदिरों के दर्शन करते हैं। इस दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है। रामनवमी पर कुछ कथाएं भी प्रचलित हैं जिन्हें हर व्यक्ति को ज्ञात होना चाहिए।
रामनवमी कथा | Ramnavmi Katha
रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं, लेकिन काफी समय तक उन्हें कोई भी संतान नहीं हुई। जिससे राजा दशरथ काफी चिंतित रहते थे। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें संतान सुख प्राप्त करने के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने का सुझाव दिया। ऋषि की आज्ञा अनुसार राजा दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ संपन्न कराया। यज्ञ के बाद एक दिव्य पुरुष अपने हाथों में खीर की कटोरी लेकर निकले।
राजा दशरथ ने प्रसाद स्वरूप उस खीर को अपनी तीनों रानियों को खाने के लिए दिया। खीर खाने के कुछ माह बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गई। नौ माह के उपरांत राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने प्रभु श्री राम को, कैकई ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। मान्यताओं के अनुसार जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ उस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी जो राम नवमी के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि रामनवमी पर प्रभु श्री राम का पूजन विधि के अनुसार करने से जीवन में सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
राम नवमी पूजन विधि | Ramnavmi Pujan Vidhi
रामनवमी की पूजन विधि को शुभ मुहूर्त/Shubh Muhurat पर करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। चलिए जानते हैं कि क्या है रामनवमी की सटीक पूजन विधि।
- राम नवमी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- फिर घर के पूजा स्थल में राम दरबार का चित्र या प्रतिमा लेकर उन्हें गंगाजल या पंचामृत से शुद्ध कर लें।
- शुद्धि के बाद उन्हें रोली, चंदन या हल्दी से तिलक लगाएं व पीले पुष्पों की माला अर्पित करें।
- फिर शुद्ध घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
- सर्वप्रथम श्री गणेश जी का पूजन करें।
- फिर भगवान श्री राम, लक्ष्मण, मां सीता व हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
- आप चाहे तो श्री रामचरितमानस, श्री राम रक्षा स्तोत्र या रामायण का पाठ करें।
- पूजन के बाद उन्हें भोग और तुलसी जी अर्पित करें।
अंत में आरती करके अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।
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