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रक्षा बंधन 2023
रक्षा बंधन in 2023
30
August, 2023
(Wednesday)

रक्षा बंधन 2021-22कब है, राखी का दिन, समय और टीका मुहूर्त
22nd August
रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
Rakhi | रक्षा बंधन 2022-23 कब है | राखी का दिन, समय और टीका मुहूर्त
11th August
रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षा बंधन 2023
30th August
रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षा बंधन 2024
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रक्षा बंधन 2025
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रक्षा बंधन 2026
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रक्षा बंधन 2027
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रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षा बंधन 2028
5th August
रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षा बंधन 2029
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रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षा बंधन 2030
13th August
रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त
दुनिया भर में प्रचलित रक्षाबंधन का त्यौहार एक बंधन के रूप में जाना जाता है जिसे न तो तोड़ा जा सकता है और न ही छोड़ा जा सकता है।
भाई बहन के प्रेम और कर्तव्य को समर्पित यह त्योहार हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी/Rakhi बांधने के लिए रक्षाबंधन का इंतजार करती है। भारतीय संस्कृति में प्रत्येक संस्कृति के समाहित होने की विशेषता के कारण कश्मीर से कन्याकुमारी तक, सौराष्ट्र से लेकर असम तक, लोगों द्वारा कोई ना कोई त्योहार मनाए जाते रहते हैं जिनसे आपसी संबंधों के बीच सद्भावनाओं में वृद्धि होती रहती है। सामान्यतः भाई-बहनों के बीच प्रेम और तकरार होने के बावजूद भी, रक्षाबंधन का पर्व राखी के माध्यम से भाईयों के प्रति बहनों के अपार स्नेह और बहनों के प्रति भाईयों के फर्ज को दर्शाता है। यह प्रेम और कर्तव्य जीवन भर भाई-बहन के बंधन को बांधे रखता है।
इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक करके, कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी/ Rakhi बांधकर आरती उतारती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करतीं हैं। भाई भी बहनों पर उपहारों की वर्षा करके कठिन समय में मदद करने के लिए उनके साथ रहने का वादा करते हैं।
पौराणिक कथा/Mythological stories के अनुसार, द्रौपदी द्वारा अपने चीरहरण के समय श्रीकृष्ण को अपनी रक्षा के लिए पुकारने पर, उन्होंने भरी सभा में द्रौपदी की रक्षा की थी। हालांकि, कृष्ण और द्रौपदी के बीच अच्छे संबंध थे लेकिन यह कहा जाता है कि पूर्व जन्म में द्रौपदी और कृष्ण के भाई-बहन होने के कारण कृष्ण ने अपनी राखी की प्रतिज्ञा को निभाया था। वर्तमान में, यह पर्व भाई-बहन के प्रेम की गहनता को दर्शाता है। जहां एक ओर, बहने भाईयों के प्रति अपने कर्तव्यों को और भाई बहनों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने का वादा करते हैं; बहनें भी भाइयों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। बहनों द्वारा भाईयों की कलाई पर जो राखी बांधी जाती है, वह सिर्फ एक धागा नहीं होता बल्कि बहन-भाइयों के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और सुरक्षा की शक्ति और प्रतिबद्धता उस धागे में निहित होती है।
रक्षाबंधन का महत्व/ Importance of Raksha Bandhan
रक्षाबंधन का पर्व भारत में बहुत लोकप्रिय है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है- 'रक्षा का अटूट बंधन', जिसमें बहनें अपने भाइयों को राखी का धागा बांधती हैं, जो दोस्ती की भावना से भी जुड़ा होता है। रक्षाबंधन पर, बहनें अपने भाइयों के घर जाती हैं, और राखी बांधकर कहती हैं, "मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी, और तुम मेरी रक्षा करना।" यह अनिवार्य नहीं होता कि वो उसका स्वयं का भाई हो, वह अपने परिचितों में से किसी को भी राखी बांध सकती है। रक्षाबंधन पर राखी बांधने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। हिन्दु त्यौहारों के अनुसार, हर पूर्णिमा किसी न किसी त्योहार को समर्पित होती है। इन सभी त्योहारों में एक बात सबसे महत्वपूर्ण है, वह है जिंदगी में खुशियां का बना रहना।
सभी भाई-बहनों को एक-दूसरे की रक्षा और प्रेम की जिम्मेदारी लेते हुए रक्षाबंधन का पर्व बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। आज, जब रिश्ते धुंधले होते जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भाई-बहनों का पवित्र रिश्ता संबंधों को मजबूत आधार दे सकता है। रक्षाबंधन भाइयों और बहनों के बीच भावनात्मक बंधन का प्रतीक है। बहनों के स्नेह बंधन में बंधकर, भाई उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। राखी बांधना अब केवल भाइयों और बहनों के बीच तक सीमित नहीं रह गया है। अब देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए राखी बांधी जाने लगी है। रवींद्रनाथ जी ने बंगाल के विघटन के खिलाफ इस त्योहार पर जन जागरूकता फैलाई थी और इस त्योहार को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था। प्रकृति को बनाए रखने के लिए वृक्षों को राखी बांधने की परंपरा भी शुरू हो गई है।
वहीं दूसरी ओर, सम्मान और आस्था दिखाने के लिए भी राखी बांधी जाती है। रक्षाबंधन का महत्व आज के समय में इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि समाज में आज मूल्यों की कमी होने से प्रेम और सम्मान की भावना भी कम होती जा रही है। यह त्योहार आंतरिक बंधन को मजबूत करके हमारे भीतर सामाजिकता का विकास करता है। यह त्योहार/Festival परिवार, समाज, देश और दुनिया के प्रति हमारे कर्तव्यों की जागरूकता को भी बढ़ाता है।
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व/ Mythological and historical significance
हिंदू पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन/Rakshabandhan का इतिहास मिलता है। इस पर्व का प्रसंग वामन अवतार की कहानी/Story में मिलता है। कहानी इस प्रकार है- राजा बलि के यज्ञ द्वारा स्वर्ग पर अपना अधिकार करने का प्रयास करने पर इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब विष्णु जी के वामन ब्राह्मण के रूप में राजा बलि से भिक्षा मांगने पर गुरु के मना करने के बावजूद बाली ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान वामन ने आकाश, अधोलोक और पृथ्वी को तीन चरणों में मापा और राजा बलि को गहरी खाई में फेंक दिया। तब अपनी भक्ति के कारण, उसके विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन लेने पर, लक्ष्मी जी चिंतित हो उठीं। तब नारद जी की सलाह पर, लक्ष्मी जी ने बाली के पास जाकर रक्षा सूत्र (रक्षा का धागा) बांधकर उसे अपना भाई बना लिया। बदले में, वह विष्णु जी को अपने साथ ले आईं। यह श्रावण की पूर्णिमा थी। इतिहास में राखी के महत्व के कई संदर्भ मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर सुरक्षा की कामना की थी और हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी का सम्मान रखा था। कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु, राजा पुरु को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था और युद्ध के दौरान सिकंदर को नहीं मारने का प्रण लिया था।
भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन / Rakshabandhan brother and sister love
वैसे भी भाई-बहन का विशेष संबंध रक्षा से संबंधित होता है, जहां भाई और बहन एक दूसरे की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और हर समय उनकी रक्षा करने का वादा करती हैं, और भाई भी अपनी बहनों से वादा करते हैं कि जो भी हो वह उनके साथ खड़े रहेंगे। राजस्थान में राखी बांधने की एक अनूठी परंपरा है, जिसमें ननद द्वारा भाभी को एक विशेष प्रकार की राखी बांधी जाती है जिसे लुंबा के नाम से जाना जाता है। कुछ क्षेत्रों पर बहनें, अपनी बहनों को भी राखी बांधती हैं।
भाई-बहन के संबंधों का प्रतीक/ Symbol of brother-sister relationship
हिंदुओं का प्रमुख त्योहार रक्षाबंधन भाई-बहन के संबंधों का पर्व है जो भारत के कई हिस्सों में भाइयों और बहनों के बंधन को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। इसके साथ ही इसे नेपाल और पाकिस्तान में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदुओं के अलावा, भारत में अन्य धर्मों के लोग भी इस पर्व बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो पारिवारिक संबंधों की एकता और विशेषता को दर्शाता है जो मुख्य रूप से भाई-बहनों के रिश्ते को समर्पित है। यह त्योहार भारत में लंबे समय से मनाया जाता रहा है।
रक्षा बंधन का सामाजिक संदर्भ/ Social Context of Raksha Bandhan
इस दिन बहनें अपने भाईयों के दाहिने हाथ पर राखी बांधती हैं और उनके माथे पर तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में, भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा करने का वचन दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंग-बिरंगे धागे भाई-बहनों के प्रेम के बंधन को मजबूत करते हैं। रक्षाबंधन स्नेह के बंधन के साथ संबंधों को मजबूत करने का त्योहार है। यही कारण है कि इस अवसर पर न केवल बहन-भाइयों बल्कि अन्य संबंधों में भी रक्षा सूत्र (या राखी) बांधने की प्रथा है। गुरु शिष्य को धागा बांधता है और शिष्य गुरु को।
प्राचीन काल में जब स्नातक अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद गुरुकुल छोड़ते थे, तो वे आचार्य से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रक्षा सूत्र बांधा करते थे, जबकि आचार्य अपने छात्रों को रक्षा सूत्र इस कामना से बाँधते थे कि वे ज्ञान अर्जित कर चुके हैं तथा शिक्षक की गरिमा और अपने ज्ञान की सफलतापूर्वक रक्षा करने के लिए उन्हें अपने जीवन में इसका उचित उपयोग करना चाहिए।
इस परंपरा के अनुसार, आज भी किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले पुजारियों द्वारा यजमानों को रक्षा सूत्र बांधा जाता है। इस तरह, दोनों एक-दूसरे के सम्मान की रक्षा करने का वचन लेते हैं। रक्षाबंधन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकता का प्रतीक रहा है। विवाह के उपरांत, बहनों के दूसरे घर चले जाने पर, इसी बहाने हर साल उनके रिश्तेदार ही नहीं, बल्कि दूर के भाई भी उनके घर जाकर राखी बंधवाते हैं और अपने संबंधों को पुनर्जीवित करते हैं। यह दो परिवारों और कुलों का मिलन होता है। इस त्योहार को समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता के प्रतीक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है ताकि जो संपर्क टूट जाते हैं उन्हें इसके द्वारा जोड़ा जा सके।
स्वतंत्रता संग्राम में रक्षा बंधन की भूमिका/ Role of Raksha Bandhan in Freedom Struggle
इस त्योहार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में, जन जागरूकता के माध्यम के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था। प्रसिद्ध भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर जी का मानना था कि रक्षाबंधन न केवल भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने का दिन है, बल्कि हमें इस दिन अपने हमवतनों के साथ अपने संबंधों को भी मजबूत करना चाहिए। ब्रिटिश सरकार की ,'फूट करो और राज करो' वाली नीति के तहत वह बंगाल के विभाजन के बारे में सुनकर टूट गए थे। यह विभाजन हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तेजी से बढ़ते संघर्षों के आधार पर किया गया था। यह वह समय था जब रवींद्रनाथ टैगोर जी ने हिंदुओं और मुसलमानों को करीब लाने के लिए रक्षाबंधन उत्सव की शुरुआत करके, दोनों धर्मों के लोगों से इस पवित्र धागे को एक-दूसरे को बांधने और उनकी रक्षा करने के लिए कहा था। दोनों धर्मों के लोगों के बीच संबंध मजबूत करने के लिए आज भी, पश्चिम बंगाल में लोगों द्वारा एकता और सद्भाव में वृद्धि करने के लिए अपने दोस्तों और पड़ोसियों को राखी बांधी जाती है।
रक्षा बंधन पर सरकारी व्यवस्था/ Government Arrangement on Raksha Bandhan
इस अवसर पर भारत सरकार के डाक एवं तार विभाग द्वारा दस रुपये मूल्य के आकर्षक लिफाफों की बिक्री की जाती है जिसकी कीमत पांच रुपये और डाक शुल्क पांच रुपये होता है। राखी के त्योहार पर बहनें अपने भाईयों को महज पांच रुपये में तीन-चार राखियां भेज सकती हैं। डाक विभाग द्वारा बहनों को दिए गए इस उपहार के तहत पचास ग्राम वजन का राखी का लिफाफा सिर्फ पांच रुपये में भेजा जा सकता है, जबकि सामान्य तौर पर, बीस ग्राम के लिफाफे में सिर्फ एक राखी भेजी जा सकती है। यह सुविधा केवल रक्षाबंधन तक उपलब्ध रहती है। बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए, रक्षाबंधन/Rakshabandhan 2023 के अवसर पर वर्ष २००७ से बारिश से बचाने वाले जलरोधी लिफाफे भी डाक-तार विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। यह लिफाफे दूसरे लिफाफों से अलग होते हैं और इनका आकार और डिजाइन अलग होने के कारण इनमें राखी ज्यादा सुरक्षित रहती हैं। सरकार इस अवसर पर कन्याओं और महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का भी प्रावधान करती है जिससे बहनें बिना धन खर्च किए अपने भाइयों के पास राखी बांधने जा सकती हैं। यह सुविधा रक्षा बंधन पर ही उपलब्ध होती है लेकिन यह सुविधा हर जगह नहीं होती।
राखी और आधुनिक तकनीकी माध्यम/ Rakhi 2023 and modern technical medium
तकनीकी युग और सूचना संचार का राखी जैसे त्योहारों पर भी प्रभाव पड़ा है। आजकल बहुत से भारतीय विदेश में रहते हैं, और उनके परिवार के सदस्य (भाई-बहन) भारत या अन्य देशों में रहते हैं। इंटरनेट की शुरुआत के बाद, कई ई-कॉमर्स साइट्स खुल गई हैं जो ऑनलाइन ऑर्डर लेकर राखी और अन्य सभी संबंधित सामान दिए गए पते पर पहुंचाती हैं। दूर रहने के कारण राखी पर नहीं मिल सकने वाले भाई बहनों द्वारा, आधुनिक तरीकों से देखकर और सुनकर इस त्यौहार को मनाया जाता है।
रक्षाबंधन मंत्र/ Rakshabandhan Mantra
भारतीय संस्कृति में कथा/Story, पूजन/Rakshabandhan Pooja और अनेक अनुष्ठानों के समय रक्षा सूत्र बांधने का विशेष महत्व है। सुरक्षा के तीन धागों को तीन बार लपेट कर इस मंत्र से बांधा जाता है।
येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
राखी के इस मंत्र का अर्थ है- जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा| हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।
राखी बांधने का पारंपरिक तरीका/ The traditional method for tying Rakhi
१) सबसे पहले राखी के दिन पवित्र स्नान करके देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
२) राखी, चावल, रोली, या सिंदूर को चांदी, पीतल या तांबे की प्लेट में एक छोटी कटोरी में रखें और इसे पानी या इत्र से मिला लें।
३) राखी की थाली को पूजा स्थल पर रखकर सबसे पहले बाल गोपाल या अपने इष्ट देवता को राखी अर्पित करके प्रार्थना करनी चाहिए।
४) राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे राखी पर भी देवताओं की कृपा बनी रहती है।
५) राखी बांधते समय भाइयों को अपने सिर पर रूमाल या कोई साफ कपड़ा रखना चाहिए।
६) बहनों को सबसे पहले भाई के माथे पर रोली का टीका लगाना चाहिए।
७) तिलक के ऊपर कच्चे चावल (अक्षत) लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई पर कुछ अक्षत छिड़कने चाहिए।
८) भाईयों को अमंगल से बचाने के लिए दीपक से आरती उतारने चाहिए। यदा-कदा बहनें अपने भाइयों को काजल लगाती हैं।
९) मंत्र का जाप करते हुए, भाई की दाहिनी कलाई पर राखी का पवित्र धागा बांधने से, राखी के धागों को शक्ति मिलती है।
१०) भाई-बहनों को एक-दूसरे को मिठाई खिलानी चाहिए।
११) भाई बड़ा हो, तो बहनों को भाई के पैर छूने चाहिए। बहनें बड़ी हों, तो भाइयों को पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
१२) भाई को वस्त्र, आभूषण या धन देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करनी चाहिए।
रक्षाबंधन के अवसर पर बनाए जाने वाले व्यंजन/ Delicacies prepared on the occasion of Raksha Bandhan
भारत में कोई भी उत्सव बिना व्यंजनों को बनाए पूर्ण नहीं होता है। प्रत्येक उत्सव पर कुछ खास व्यंजन बनाए जाते हैं। इसी तरह रक्षाबंधन के मौके पर घेवर, शकरपारे, नमकीन पारे आदि चीजें खास तौर से बनाई जाती हैं। सावन के महीने में घेवर मुख्य मिठाई मानी जाती है। इसका सेवन पूरे उत्तर भारत में पूरे महीने में किया जाता है। हलवा, पूड़ी और खीर भी इस त्योहार की कुछ प्रचलित मिठाइयां हैं।
निष्कर्ष/ Conclusion
आखिरकार कहा जा सकता है कि राखी के इस पर्व का भाई-बहनों के लिए विशेष महत्व है। आज के युग में यह पर्व हमारी संस्कृति की विशेषता बन गया है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। इस पर्व को मनाने के साथ ही, हमें एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रहने का संकल्प भी लेना चाहिए। उतार-चढ़ाव में सभी के साथ तालमेल बिठाकर रहना चाहिए। आज कई भाई अपनी कलाई पर राखी नहीं बांध पा रहे हैं क्योंकि उनकी बहनों को इस संसार में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। यह शर्म की बात है कि जिस देश में कन्याओं की पूजा की जाती है वहां पर कन्या-भ्रूण हत्या के मामले सामने आते रहते हैं। यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि बहनें हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं। यह त्योहार सामान्य लोगों तथा देवी-देवताओं द्वारा भाई-बहनों के पवित्र संबंध को बनाए रखने के लिए भी मनाया जाता है। कई भाई-बहनें व्यावसायिक और व्यक्तिगत कारणों से एक-दूसरे से नहीं मिल पाते हैं। फिर भी, इस विशेष अवसर पर, वे निस्संदेह एक-दूसरे के लिए समय निकालते हैं और इस पवित्र त्योहार को मनाते हैं। हमें इस त्योहार को खुशी और नैतिक मूल्यों के साथ मनाना चाहिए।
अगले पांच वर्षों में इन तिथि पर आएगी रक्षाबंधन
यह है अगले पांच वर्षों के लिए रक्षाबंधन की तारीखें।
- बुधवार- 30 अगस्त 2023
- सोमवार- 19 अगस्त 2024
- शनिवार- 9 अगस्त 2025
- शुक्रवार- 28 अगस्त 2026
- शनिवार , 05 अगस्त 2028
अन्य त्यौहार
- गुरु नानक जयंती 2023
- तुलसी विवाह 2023
- देव उठानी एकादशी 2023
- छठ पूजा 2023
- भाई दूज 2023
- गोवर्धन पूजा 2023
- दिवाली 2023
- नरक चतुर्दशी 2023
- धनतेरस 2023
- अहोई अष्टमी 2023
- करवा चौथ 2023
- दुर्गा विसर्जन 2023
- दशहरा 2023
- देवी सिद्धिदात्री 2023
- देवी महागौरी 2023
- देवी कालरात्रि 2023
- देवी कात्यायनी 2023
- देवी स्कंदमाता 2023
- देवी कुष्मांडा 2023
- देवी चंद्रघंटा 2023
- देवी ब्रह्मचारिणी 2023
- देवी शैलपुत्री 2023
- गांधी जयंती 2023
- गणेश चतुर्थी 2023
- दही हांडी 2023
- कृष्ण जन्माष्टमी 2023
- कजरी तीज 2023
- रक्षा बंधन 2023
- नाग पंचमी 2023
- हरियाली तीज 2023
- गुरू पूर्णिमा/ Guru Purnima 2023
- वट सावित्री व्रत पूजा 2023
- नरसिम्हा जयंती 2023
- अक्षय तृतीया 2023
- राम नवमी 2023
- चैत्र नवरात्रि 2023
- गुडी पडवा 2023
- होली 2023
- होलिका दहन 2023
- महा शिवरात्रि 2023
- बसंत पंचमी 2023
- गणतंत्र दिवस 2023
- मकर संक्रांति 2023
- पोंगल 2023
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- संकष्टी चतुर्थी 2023
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