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देवी महागौरी 2023
देवी महागौरी in 2023
29
March, 2023
(Wednesday)
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नवरात्रि के दौरान 8वें दिन देवी महागौरी की पूजा और अनुष्ठान
13th October
देवी महागौरी पूजा मुहूर्त
नवरात्रि के दौरान 8वें दिन देवी महागौरी की पूजा और अनुष्ठान
3rd October
देवी महागौरी पूजा मुहूर्त
देवी महागौरी 2023
29th March
देवी महागौरी पूजा मुहूर्त
देवी महागौरी 2024
11th October
देवी महागौरी पूजा मुहूर्त
देवी महागौरी 2025
30th September
देवी महागौरी पूजा मुहूर्त
देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप, देवी महागौरी देवी का नवरात्रि की अष्टमी के दिन/eighth day of Navratri पूजन किया जाता है। उनकी अपार शक्ति हमेशा फलदायक होती है तथा उनका पूजन भक्तों के पूर्व संचित पापों को नष्ट कर देता है और भविष्य में अन्य पापों और दुखों को समीप नहीं आने देता। भक्त शुद्ध होकर सभी प्रकार के अपार गुणों के साथ सम्मान का भागीदार बन जाता है। महा अष्टमी के दिन , देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप का विधि-विधान सहित पूजन करने से, भक्तों को जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा भक्तों के सभी दुःख दूर होने से वे सभी पाप रहित हो जाते हैं। महा अष्टमी के दिन देवी का पूजन करने के बाद कन्याओं का पूजन करने का विधान होता है। रात्रि में देवी महागौरी का पूजन करते समय उनका प्रिय पारिजात पुष्प अर्पण करके, दुर्गा चालीसा और देवी दुर्गा की आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से महागौरी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
देवी महागौरी का स्वरूप / The representation of Goddess Mahagauri
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महागौरी को शिव के नाम से भी जाना जाता है। महागौरी के एक हाथ में, दुर्गा शक्ति का प्रतीक चिन्ह त्रिशूल और दूसरे हाथ में, भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह डमरू है। माता महागौरी का सांसारिक स्वरूप तेजयुक्त, कोमल, श्वेत वस्त्र धारिणी तथा चार भुजाओं वाला है जिनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरा हाथ वर-मुद्रा में और चौथा हस्त गृहस्थ नारी शक्ति को दर्शाता है। श्वेत वृषभ पर सवार तथा श्वेत आभूषणों से सुसज्जित देवी महागौरी को गायन और संगीत अति प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से पूर्व संचित पाप भी दूर हो जाते हैं।
देवी महागौरी के पूजन का महत्व / The importance of worshipping Goddess Mahagauri
नवरात्रि की अष्टमी/eighth day of Navratri के दिन देवी महागौरी का पूजन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो जाता है। देवी महागौरी द्वारा धर्म का मार्ग दिखाने के कारण सभी अशुद्ध और अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं। देवी दुर्गा के इस निर्मल स्वरूप का सम्मान करने से मन की पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे मन की एकाग्रता बढ़ती है। देवी गौरी का पूजन करने से सभी दुखों का नाश होता है और सभी अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं तथा देवी की कृपा से असंभव कार्य भी आसानी से पूर्ण हो जाते हैं। अतः नवरात्रि की अष्टमी/Ashtami of Navratri के दिन देवी का ध्यान, स्मरण और पूजन करना शुभ होता है। मां गौरी का पूजन करने से, मनुष्य सत्य पथ पर चलकर असत्य का त्याग कर देता है। महागौरी की कृपा से, जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, देवी काली ने मां दुर्गा के मस्तक से प्रकट होकर चंड और मुंड राक्षसों का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ दुर्गाष्टमी का उपवास करने से सौभाग्य, सफलता और सुख की प्राप्ति होती है। अष्टमी/Ashtami के दिन, महिलाओं द्वारा अपने सुहाग (पति) के लिए देवी मां को चुनरी चढ़ाई जाती है। इस दिन 'अस्त्र पूजा' का भी विधान होने के कारण, देवी दुर्गा के शस्त्रों का पूजन किया जाता है। अतः इस दिन को "वीर अष्टमी"/Veer Ashtami के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि अष्टमी की व्रत कथा / Tale for the fast on the day of Navratri Ashtami
भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप करने के कारण देवी का तन श्याम वर्ण का होने पर, देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव द्वारा उनके तन को गंगाजल से धोने पर, देवी विद्युत के समान तेजवान बन गईं और तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया। देवी महागौरी के इस करुणामयी, स्नेही, शांत और कोमल स्वरूप के कारण देवताओं और ऋषियों द्वारा यह है प्रार्थना की जाती है --
“सर्वमंगल मांग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।”
देवी महागौरी से संबंधित एक अन्य कथा के अनुसार, जहां देवी उमा तप में लीन थीं, उस स्थान पर एक भूखा शेर आ पहुंचा। देवी को देखकर शेर की भूख और बढ़ गई, लेकिन वह वहीं बैठकर देवी का तपस्या से उठने का इंतजार करने लगा। इंतजार करते-करते वह काफी दुर्बल हो गया। जब देवी तपस्या पूर्ण करके उठीं, तो उन्हें शेर पर दया आ गई। हालांकि, सिंह ने भी एक तरह से तपस्या की थी, इस कारण माता ने उसे अपना वाहन बना लिया। अतः, सिंह और वृषभ दोनों ही देवी गौरी के वाहन बन गए।
मां महागौरी की पूजन विधि / Worship Goddess Mahagauri in this way
-स्नान के बाद देवी का पूजन करना चाहिए।
-मंदिर में देवी महागौरी की प्रतिमा स्थापित करके जल से अभिषेक करना चाहिए।
-देवी को नारियल का अर्पण करना चाहिए।
-देवी को पुष्पमाला पहनाकर पुष्प अर्पित करें।
- पूजा के दौरान, देवी को लाल पुष्प अर्पण करने चाहिए।
-घर के प्रत्येक कोण में गंगाजल का छिड़काव करके शुद्धि करनी चाहिए।
-व्रत का संकल्प करते समय उच्च स्वर में मंत्रोच्चार करना चाहिए।
-देवी को प्रसन्न करने के लिए कथा का पाठ करके आरती अवश्य करनी चाहिए।
महागौरी की आरती / Aarti of Mahagauri
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकाली ओ' ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती सत हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
मंत्र / Mantra
Om devi mahagaurye namah:
(ॐ देवी महागौर्यै नमः॥)
प्रार्थना मंत्र / Prayer Mantra
Shrevte vrishesamarudha shwetaambardhara shuuchi
Mahagauri shubham dadhanamahadev pramodada
(श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥)
स्तुति / Stuti
Ya devi sarvabhuteshu maa mahagauri roopen sansthita
Namastasyey Namastasyey Namastasyey namoh namah:
(या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥)
ध्यान मंत्र / Mantra for Meditation
Vande vanchit kamarthey chandrardhkritshekhram
(वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।)
Singharudha chaturbhuja Mahagauri yashaswini
(सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥)
Purnandu nibham gauri somchakrasthitam ashtmum Mahagauri trinetram
(पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।)
Varaabheetikaram trishul damrudharam Mahagauri bhajem
(वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥)
Pataambar paridhanam mriduhasya nanalandkaar bhusitaam
(पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।)
Manjeer, haar, keyur, kindkini, ratnkundal manditaam
(मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥)
Prafull vandana pallavadharam kaant kapolam treylokya mohanam
(प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।)
Kamniyam lavnyam mrinalam chandan gandhliptam
(कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥)
उत्पत्ति /Origin
Sarvsandkat hantri tuamhi Dhan Aishwarya pradyaneem
(सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।)
Gyanda chaturvedmayi Mahagauri pranamamyyaham
(ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥)
Sukh shaantidaatri dhan dhanya pradanyaneem
(सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।)
Damruvaady priya adhya Mahagauri pranamamyaham
(डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥)
Treylokyamangal tuamhi taaptrya harineem
(त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।)
Vaddam chaetanyamayi Mahagauri pranmamyahum
(वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥)
सुरक्षा मंत्र / Shield Mantra
Omkaar: paatu shirsho maa, heem beejam maa hridyo
(ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।)
Kalim beejam sadapaatu nabho graho cha padyo
(क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥)
Lalaatam karno hoom beejam paatu Mahagauri maa netram ghrano
(ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।)
Kapot chibuko fatt paatu swaha maa sarv vadno
(कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥)
अष्टमी कन्या पूजन का महत्व / The importance of Ashthami Kanyapoojan
नवरात्रि के दौरान, नौ कन्याओं का पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। हालांकि, नवरात्रि के प्रत्येक दिन एक कन्या का पूजन करके इच्छित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। संभव न होने पर भी, कम से कम दो कन्याओं को भोजन अवश्य कराना चाहिए। इसके अलावा, कन्याओं के साथ ही, एक बालक का भी बटुक भैरव और लंगूर के रूप में पूजन किया जाता है। भगवान शिव द्वारा शक्तिपीठ के प्रत्येक स्वरूप के साथ एक भैरव को स्थापित करने के कारण, देवी के साथ भैरवों का पूजन करना आवश्यक होता है। यदि किसी शक्तिपीठ में देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के दौरान, भैरव का आशीर्वाद नहीं लेने पर वह आशीर्वाद अधूरा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इच्छित फलों की प्राप्ति के लिए दो से दस वर्ष तक की आयु वर्ग की कन्याओं का पूजन करने का प्रयास करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दिनों में कन्याएं अप्रत्यक्ष ऊर्जा का प्रतीक होती हैं जो पूजन करने से सक्रिय हो जाती है इसलिए इनकी उपासना करने पर ब्रह्मांड के सभी देवताओं और ईश्वरीय शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन के लिए आमंत्रित कन्याओं के देवी-देवताओं का प्रतीक होने के कारण, पूजन से पूर्व घरों की साफ-सफाई की जाती है। घर का वातावरण स्वच्छ होने से इच्छित फलों की प्राप्ति होती है। कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर देवी का स्तुतिगान करते हुए, उनका स्वागत करके, पैर धुलाकर चौकी पर बैठाना चाहिए और उनके मस्तक पर रोली और कुमकुम का तिलक लगाकर हाथों पर मौली बांधनी चाहिए।
इसके बाद, सभी कन्याओं और बटुक की आरती उतारकर देवी का प्रसाद अर्पण करना चाहिए। कन्याओं को देवी की प्रिय खीर, मिठाइयां, फल, हलवा, चने, मालपुआ आदि अर्पित करने चाहिए। कन्याओं को उनकी क्षमतानुसार केसर की खीर, हलवा और पूड़ी का भोग कराना चाहिए तथा प्रसाद में किसी भी रूप में प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रचलित मान्यता के अनुसार, बिना प्याज और लहसुन के बने आलू या कद्दू की सब्जी का भोग लगाने से इच्छित परिणामों की प्राप्ति होती है। भोजन के उपरांत, कन्याओं के पैरों में देवी का प्रतीक, आलता लगाकर उनका पूजन किया जाता है तथा मौसमी फल, सफेद वस्त्र, खिलौने, अन्य चीजें और नारियल, केला या पेड़ा और कुछ दक्षिणा भेंट की जाती है। इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर विदा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विधिवत कन्या पूजन करने से नवरात्रि का व्रत पूर्ण होता है और देवी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
देवी महागौरी पूजन के लाभ / Benefits of Worshipping Goddess Mahagauri
-नवरात्रि की अष्टमी/eighth day of Navratri के दिन शीघ्र विवाह का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही, वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण बनता है।
-ऐसा माना जाता है कि भगवान राम को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सीता द्वारा देवी का पूजन किया गया था।
-देवी का पूजन, विवाह संबंधी सभी समस्याओं में औषधि की तरह माना जाता है।
-ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह देवी से संबंधित होता है।
-देवी अंबे को संगीत और गायन प्रिय होने के कारण, अष्टमी के दिन/Ashtami day देवी को प्रसन्न करने के लिए घरों में भजन-कीर्तन किया जाता है तथा छोटी कन्याओं को घर बुलाकर देवी रूप में पूजा जाता है।
-शांत और कोमल स्वभाव वाली देवी महागौरी के मुख पर करुणा, स्नेह और प्रेम के भाव प्रकट होने के कारण, महिलाओं को आनंदपूर्वक शुद्ध मन से देवी महागौरी का पूजन करना चाहिए।
शुक्र की प्रबलता हेतु देवी महागौरी पूजन विधि / How to worship Goddess Mahagauri to strengthen Venus
सफेद वस्त्र धारण करके, देवी को सफेद पुष्पों और मिठाइयों का भोग लगाकर इत्र अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात, देवी के मंत्रों का जाप करके शुक्र के मूल मंत्र- "Om shun shukraye Namah"
"ॐ शुं शुक्राय नमः।" का जाप करना चाहिए तथा देवी को अर्पित किए गए इत्र को अपने पास रखकर उसका प्रयोग करते रहना चाहिए।
वैवाहिक जीवन की समस्याओं हेतु पूजन विधि / If you have problems in your marriage, then worship The Goddess in this way
-लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाकर देवी महागौरी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
-पीले वस्त्र धारण करके गंगाजल से स्थापित किए गए मंदिर की शुद्धि करनी चाहिए।
-देवी महागौरी के समक्ष गाय के घी का दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।
-दोनों हाथों से देवी को सफेद या पीले पुष्प अर्पण करके मंत्रों का जाप करें।
-नारियल अर्पित करने से इच्छित फलों की प्राप्ति होती है।
-कन्याओं को योग्य वर प्राप्ति के लिए प्रसाद के रूप में देवी महागौरी को नारियल अर्पण करना चाहिए।
धन की कमी होने पर मां गौरी का पूजन करना चाहिए। एक कटोरी दूध में देवी गौरी को चांदी का सिक्का अर्पण करके, देवी महागौरी से धन स्थिर रहने की प्रार्थना करनी चाहिए। पूजन के बाद, सिक्के को धोकर हमेशा के लिए अपने पास रख लेना चाहिए।
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