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होली 2023
होली in 2023
08
March, 2023
(Wednesday)

Holi 2021-22: जानें तिथि, महत्व और होली के रंगों के साथ भगवान कृष्ण का संबंध
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होली, भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है। एक-दूसरे पर रंग-बिरंगे रंग और गुलाल लगाने के कारण इसे रंगों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार लोगों के बीच एकता और प्यार लाता है इसे प्यार का त्योहार भी कहा जाता है। बसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक यह त्योहार, प्रत्येक वर्ष मार्च माह में मनाया जाता है। इस वर्ष होली का यह पर्व 8 मार्च 2023, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। हर साल होली के त्योहार को मनाने के कई कारण होते हैं। यह त्योहार रंग-गुलाल, स्वादिष्ट व्यंजन, एकता और प्रेम का भव्य उत्सव है। होली का त्योहार मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक महत्व और किवदंतिया रही हैं।
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होली पर्व को, हिंदू ज्योतिष में अत्यंत शुभ ग्रह माने जाने वाले बृहस्पति ग्रह के गोचर से भी जोड़ा जाता है क्योंकि इस पर्व के दौरान, बृहस्पति की अनुकूल स्थिति सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करके सौभाग्य, समृद्धि और सफलता लाती है। इसके साथ ही, होली के इस त्योहार पर सूर्य के कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर का भी समय होता है जिसे हिंदू ज्योतिष में 'उत्तरायण' काल के रूप में जाना जाता है जो आध्यात्मिक और भौतिक विकास के लिए अत्यंत अनुकूल समय माना जाता है। उत्तरायण काल की इस अवधि में सूर्य की ऊर्जा अपने चरम पर होती है जो सौभाग्य, सफलता और समृद्धि लाती है।
होली का महत्व/ Importance of Holi
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली का यह पर्व, लोगों के बीच प्यार और एकता का त्योहार भी है क्योंकि इस दिन लोग अपने मतभेदों को भुलाकर, एक साथ मौज-मस्ती का आनंद उठाते हैं। यह त्योहार टूटे हुए रिश्तों को माफ करके, उन्हें सुधारने के महत्व को भी बढ़ावा देता है क्योंकि होली एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने टूटे हुए रिश्तों को जोड़कर, प्यार और स्नेह के साथ एक नई शुरुआत करते हैं।
होली का इतिहास/ History of Holi
हजारों वर्षों से मनाया जाने वाला यह त्योहार हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है जिसके अनुसार, होली का यह पर्व होलिका और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा हुआ है। होलिका, राक्षसराज हिरण्यकश्यप की बहन थी। वह चाहता था कि हर कोई ईश्वर के रूप में उसकी पूजा करे लेकिन, उसके पुत्र प्रह्लाद ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया और भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा। इस पर, हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने का निर्णय लिया। होलिका को अग्नि से बचने का एक वरदान प्राप्त था इसलिए वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन, उस अग्नि में होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद बच गया जिसे देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए। बुराई पर अच्छाई की इसी जीत को होली के रूप में मनाया जाता है।
हम होली क्यों मनाते हैं?/ Why do we celebrate Holi?
होली कई कारणों से मनाई जाती है जो इस प्रकार हैं
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यह वसंत की शुरुआत और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। यह एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने घरों से बाहर निकलकर, अपने मित्रों और परिवार के साथ सुहावने मौसम का आनंद लेते हैं।
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होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने मतभेदों को भूलकर, एक साथ प्यार और एकता का उत्सव मनाते हैं।
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भारत के कुछ हिस्सों में होली को नई फसलों के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह ऐसा समय होता है जब लोग अच्छी फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और अगले वर्ष में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।
होली कैसे मनाएं/ How to celebrate Holi?
होली पर सभी लोग अपने मतभेदों को भुलाकर एक साथ प्यार और एकता के साथ जश्न मनाते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जिसे पूरे भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। यहां बताए गए निम्नलिखित कुछ तरीकों से होली का आनंद उठाया जा सकता है
रंगों से खेलें/Play with colours
होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है इसलिए रंगों से खेलना इस उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके लिए, एक-दूसरे पर रंग-बिरंगे अबीर, गुलाल या रंगीन पानी डालकर आनंद लिया जा सकता है। हालांकि, सुरक्षित और ऑर्गेनिक रंगों का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
पारंपरिक मिठाइयों और जलपान का आनंद उठाएं/ Enjoy traditional sweets and snacks
होली पर पारंपरिक मिठाइयों और स्नैक्स का आनंद उठाया जाता है जिसके लिए गुझिया, मठरी और ठंडाई जैसी खाने की चीजें बनाई या खरीदी जा सकती हैं जिनका अपने मित्रों और परिवार के साथ आनंद लिया जा सकता है।
पारंपरिक कपड़े पहनें/ Wear traditional clothes
पारंपरिक कपड़े पहनने से होली का उत्साह और बढ़ जाता है इसलिए चमकीले रंग के कुर्ता-पायजामा, साड़ी या सलवार-कमीज जैसे वस्त्र पहने जा सकते हैं।
संगीत बजाएं और नृत्य करें/ Play music and dance
होली मनाने का एक अन्य तरीका, म्यूजिक बजाना और नृत्य करना भी है जिसके लिए ढोल की थाप पर नाचना या पसंदीदा गाने बजाकर, उन पर नृत्य किया जा सकता है।
पारिवारिक संबंधियों और मित्रों से मिलें/ Visit family relatives and friends
होली अपने प्रियजनों के साथ बिताया जाने वाला समय है इसलिए अपने मित्रों और परिवार से मिलकर, बधाईयों का आदान-प्रदान करके एक साथ उत्सव का आनंद लिया जा सकता है।
प्रसन्नता और सकारात्मकता फैलाएं/ Spread joy and positivity:
होली एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम और एकता को बढ़ावा देता है। अतः, मिठाइयां बांटकर, रंगों से खेलकर और लोगों को क्षमा करके खुशी और सकारात्मकता फैलाने के लिए, इस अवसर का उपयोग करना चाहिए।
होली प्रेम, एकता और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है जिसे रंगों से खेलकर, पारंपरिक मिठाइयों और नमकीन का आनंद लेकर, पारंपरिक कपड़े पहनकर, संगीत और नृत्य करके, मित्रों और परिवार से मिलने और खुशियां और सकारात्मकता फैलाकर मनाया जा सकता है। इसलिए उत्साहपूर्वक होली मनाकर इसे एक यादगार अनुभव बनाना चाहिए।
होली पूजन की विधि/ Holi Pooja Method
होली पूजन इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें कई अनुष्ठानों द्वारा, ईश्वर की प्रार्थना की जाती है। होली पूजन, ईश्वर के प्रति समर्पण और कृतज्ञता दिखाने और सुखी और समृद्ध जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है। होली पूजन की सामान्य विधि इस प्रकार है:
1. तैयारी/ Preparation
होली पूजन शुरू करने से पहले, घर की सफाई करके वेदिका को फूलों और रंगों से सजाकर, उस पर भगवान कृष्ण और राधा की तस्वीर या मूर्ति रखें।
2. अर्पण करने वाली सामग्री/Offering
घी का दीपक प्रज्वलित करके भगवान को फूल, फल, मिठाई और अन्य सामग्री अर्पित करनी चाहिए। उसके बाद दक्षिणास्वरूप एक नारियल, पान का पत्ता और कुछ पैसे चढ़ाएं।
3. जाप/Chanting:
हरे कृष्णा, हरे कृष्णा या राधे-राधे जैसे भगवान कृष्ण और राधा जी को समर्पित मंत्रों का जाप करें या भगवदगीता के श्लोक या भजन का भी पाठ किया जा सकता है।
4. होलिका अग्नि अनुष्ठान/ Holi Fire Ritual:
होली की पूर्व संध्या पर अलाव (होलिका दहन) जलाएं। अग्नि के चारों ओर इकट्ठा होकर भगवान विष्णु या भगवान शिव की प्रार्थना करें। साथ ही नारियल, मूँगफली और अन्य वस्तुओं को हवन के रूप में अग्नि में अर्पित करें।
5. रंग चढ़ाना/ Colour Offering:
होली के दिन एक कटोरी में हल्दी पाउडर, कुमकुम (सिंदूर) और चावल का आटा मिलाकर, इसे भगवान कृष्ण या राधा की तस्वीर या मूर्ति पर छिड़ककर भगवान को अर्पित करें। यह होली के रंगों का प्रतिनिधित्व करता है।
6. प्रसाद/ Prasad:
गुझिया, मठरी, दही-भल्ले जैसे विशेष व्यंजन तैयार करके, प्रसादस्वरूप भगवान को भोग लगाकर भक्तों में बांट दें।
7. आरती/ Aarti:
पूजा का समापन करने के लिए आरती करें। भगवान कृष्ण या राधा रानी की तस्वीर या मूर्ति के सामने, दीपक प्रज्वलित करके आरती करें।
होली मंत्र/ Holi Mantras
- अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:।।
- गुरु गृह पढ़न गए रघुराई अल्पकाल विद्या सब पाई।।
- ऊं नमो नगर चींटी महावीर हूं पबरों तोरी आशा तूं पूरो मोरी आशा।।
- ॐ नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा।।
होली पर्व में रंगों का महत्व/ Significance of Colours in Holi Festival
होली के त्योहार में रंगों की अहम भूमिका होती है और हर रंग का अपना महत्व होता है। होली के इन रंगों के कुछ प्रतीकात्मक अर्थ इस प्रकार हैं:
- लाल/ Red: राधा और कृष्ण के शाश्वत प्रेम का प्रतीक लाल रंग, प्रेम और विश्वास के साथ-साथ जीवन के उत्साह और ऊर्जा से संबंधित होता है।
- पीला/ Yellow: औषधीय गुणों से युक्त हल्दी के पीले रंग का इस्तेमाल कई भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। सूर्य से संबंधित यह रंग, जीवन और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
- नीला/ Blue: भगवान कृष्ण को अक्सर नीली त्वचा के साथ चित्रित करने वाला नीला रंग, परमात्मा और असीमिता का प्रतिनिधित्व करता है।
- हरा/ Green: नई शुरुआत और विकास वाला हरा रंग, वसंत की शुरुआत और जीवन और प्रकृति के नवीनीकरण का प्रतीक होता है।
- गुलाबी/ Pink: प्रसन्नता, उल्लास और मित्रता वाला गुलाबी रंग, अक्सर प्रेम और स्नेह व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसके साथ ही, होली के रंगों का सामाजिक महत्व भी है क्योंकि यह सामाजिक बाधाओं को तोड़ने तथा एकता और विविधता का पर्व मनाने का समय है। होली के दौरान, सभी पृष्ठभूमि और जातियों के लोग रंगों से खेलने और उत्सव का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं। लोगों की विविधता और जीवन की जीवंतता के प्रतीक होली के इन रंगों का, आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही महत्व होता है क्योंकि ये जीवन के विभिन्न पहलुओं और लोगों की विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रेम की होली: राधा और कृष्ण/ Holi of Love: Radha and Krishna
राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी होली के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है जिसे विभिन्न अनुष्ठानों और परंपराओं के माध्यम से मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, राधा और कृष्ण को सच्चे प्रेम और भक्ति का अवतार माना जाता है। उनकी प्रेम कहानी आत्मा और परमात्मा के परम मिलन का प्रतीक है। माना जाता है कि राधा और कृष्ण की कहानी उनकी बाल्यावस्था से ही शुरू हो गई थी। वृंदावन के ग्राम में एक साथ पलने-बढ़ने के साथ ही, समय के साथ एक-दूसरे के प्रति उनका प्रेम विकसित हुआ। चंचल और शरारती स्वभाव के कृष्ण, अक्सर राधा और उनकी सखियों के साथ मज़ाक किया करते थे। वे उनके घरों से माखन और दही चुराकर, उन्हें लगातार चिढ़ाया करते थे। कृष्ण के इस चंचल स्वभाव से मंत्रमुग्ध होकर राधा, उनसे अत्यधिक प्रेम करने लगी थीं। उनकी इसी प्रेम कहानी को, होली के दौरान विभिन्न अनुष्ठानों और परंपराओं के माध्यम से मनाया जाता है। 'रंगोली' इन लोकप्रिय अनुष्ठानों में से एक है जिसमें लोग, रंगीन पाउडर का प्रयोग करके जमीन पर रंग-बिरंगे पैटर्न और डिजाइन बनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि होली के दौरान, राधा और कृष्ण अबीर-गुलाल और पानी से खेला करते थे और यही परंपरा, पीढ़ियों से चली आ रही है। इसके अलावा, 'धुलेंडी' नाम की एक अन्य परंपरा में लोग, एक-दूसरे को रंग-बिरंगे गुलाल और पानी से सराबोर करते हैं। यह परंपरा राधा और कृष्ण के बीच के प्रेम की तरह ही, लोगों के बीच प्रेम और एकता का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए होली का यह त्योहार सुखी और समृद्ध जीवन के लिए, राधा और कृष्ण से प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने का एक अवसर भी है।
होली: रंगों से सज्जित त्योहार/ Holi: A Festival Decorated With Colours
होली, भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले सबसे जीवंत और रंगीन त्योहारों में से एक है। "रंगों के त्योहार" के रूप में प्रसिद्ध होली, बहुत ही अधिक उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है जिसमें सभी उम्र और सामाजिक तबके के लोग भाग लेते हैं। मार्च के महीने में मनाया जाने वाला यह पर्व, वसंत की शुरुआत और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। इस दौरान, खिले हुए फूलों की मीठी खुशबू से सुगंधित हवा से, वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। होली का सबसे अनोखा पहलु रंगों का प्रयोग है। लोग एक-दूसरे पर रंग-बिरंगे गुलाल, अबीर लगाते हैं और एक-दूसरे पर रंग मिला पानी डालने के साथ ही, पानी के गुब्बारों का खेल करते हैं। होली के दौरान, इन रंगों का इस्तेमाल सिर्फ मस्ती और उल्लास के लिए ही नहीं होता बल्कि, इसका गहरा अर्थ भी होता है। ऐसा माना जाता है कि रंगों का हमारी भावनाओं और मन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये प्रसन्नता, आनंद और सकारात्मकता की भावना उत्पन्न करते हैं। होली के दौरान, लोग कई रंगों का उपयोग करते हैं जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट महत्व होता है। जहां, लाल रंग प्रेम और उर्वरता का प्रतीक है वहीं, नीला रंग परमात्मा और आसमान का प्रतिनिधित्व करता है। हरा रंग नई शुरुआत और फसल के लिए, पीला रंग ज्ञान और सीखने के लिए और गुलाबी रंग मित्रता और सुख प्रदान करता है। रंगों के अलावा, होली को खूबसूरत फूलों, रंगोली और अन्य पारंपरिक सजावटी सामानों से भी सजाया जाता है। इस दिन, लोगों को नए कपड़े पहनना चाहिए और विशिष्ट पकवान तैयार करने चाहिए। इसके साथ ही, एक-दूसरे के साथ मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करना चाहिए।
होली की संबद्धता/ Holi of Belongingness
यह त्योहार सिर्फ जीवंत रंगों और स्वादिष्ट भोजन के उत्सव से कहीं अधिक है। यह एक ऐसा आयोजन है जो लोगों को एक साथ लाकर, बंधुत्व और समुदाय की भावना को बढ़ावा देता है। इस अनोखी त्योहार के दिन भीड़-भाड़ वाले मार्गों से गुजरने पर, अपने चारों ओर के आनंदमय वातावरण का अनुभव किया जा सकता है। शहर में रंगों की बौछार, सभी स्तरों के लोगों को जश्न मनाने और आनंद लेने के लिए एक साथ लाता है। प्रत्येक स्थानीय या आगंतुक के लिए, यह त्योहार कभी नहीं भूलने वाला एक अनुभव है।
रंग-बिरंगी होली/ Colourful Holi
भारत में मनाया जाने वाला यह हिंदू त्योहार, जीवंत रंगों के प्रयोग द्वारा उत्साह और आनंद के लिए प्रसिद्ध है। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने मतभेदों को भुलाकर परिवारों के साथ मिलकर जश्न मनाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में होली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जहां, कुछ क्षेत्र अपनी "लट्ठमार होली" के लिए जाने जाते हैं वहीं, कुछ फूलों से भरे होली समारोह के लिए प्रसिद्ध हैं। पूरे भारत में इस त्योहार को मनाने के तरीकों की विविधता इसके महत्व को उजागर करती है। इस रंगीन त्योहार को, फाल्गुन महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है जिसके दौरान लोग ब्रजभाषा में लोकगीत गाते हैं। भाँग का पान और भांग से बना एक पारंपरिक पेय इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है। इस पेय को पीने के बाद लोग मदहोश हो जाते हैं और अपने सारे झगड़े भुलाकर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं और साथ में नाचते-गाते हैं। देश के अधिकांश त्योहारों के समान ही, पूरे भारत में होली के दौरान घरों में भी विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
होली/ धुलेंडी/ रंगवाली होली/ Holi/ Dhulandi/ Rangwali Holi
होली पर्व का दूसरा दिन धूलिवंदन के रूप में जाना जाता है। इस समय सभी लोग रंगों के साथ आनंदित गतिविधियों में संलग्न होते हैं और अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से मिलने जाते हैं जिनके घरों में रंग-बिरंगे अबीर और गुलाल से उनका स्वागत किया जाता है। इस दौरान, लोग अपने रंज एक तरफ रखकर, प्रेम और दयालुता के साथ एक-दूसरे से मिलते हैं। टोलियों के रूप में लोगों के समूहों को, होली मनाने के लिए रंग-बिरंगे परिधानों में सड़कों पर घूमते, गाते और नाचते देखा जा सकता है। इस दिन का आनंद लेने के लिए बच्चे, पिचकारी और पानी के रंगों का प्रयोग करते हैं। समाज, रंगों के सुंदर मिश्रण में समग्र रूप से एक साथ आकर एकजुट हो जाता है। देर दोपहर में, लोग स्नान करते हैं और दूसरों से मिलने के लिए बाहर जाने से पहले नए कपड़े पहनते हैं। कई घरों में, होली के त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा गुझिया के साथ अन्य मिष्ठान, नृत्य और गायन समारोह आयोजित किया जाता है। उत्तर प्रदेश के घरों में आमतौर पर, बेसन के सेव और दहीबड़े भी बनाए जाते हैं। इसके अलावा कांजी, भांग और ठंडाई होली पर्व के सबसे प्रमुख पेय हैं। जहां, इस दिन उत्तर भारत में सभी सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं वहीं, इस त्योहार की लोकप्रियता में कमी के कारण दक्षिण भारत में खुले रहते हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों में होली का यह पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। ब्रज में, बरसाने की लठमार होली त्योहार का मुख्य आकर्षण है जहां पुरुष, महिलाओं पर रंग डालने की कोशिश करते हैं और महिलाएं अपने पति को लाठी और कपड़े के चाबुक से मारती हैं। मथुरा और वृंदावन में यह उत्सव लगभग 15 दिनों तक चलता है तो हरियाणा में देवर द्वारा भाभी को रंग लगाने का रिवाज है। इसके अलावा, बंगाल में डोल यात्रा को चेतन्य महाप्रभु के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जिसमें लोग द्वारा जुलूस निकाला जाता है और गाने बजाए जाते हैं। वहीं, महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखे गुलाल से खेलना शामिल है जबकि, गोवा के शिंगो में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं तथा पंजाब के होला मोहल्ला में, सिख अपने प्रभावशाली शक्ति प्रदर्शन को प्रदर्शित करते हैं। दक्षिण गुजरात के आदिवासी एक महत्वपूर्ण त्योहार मनाते हैं, जबकि छत्तीसगढ़ होरी में क्षेत्रीय गीत शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी क्षेत्र भगोरिया मनाते हैं जो होली का ही एक हिस्सा है। बिहार का फगुआ मस्ती और उत्साह से परिपूर्ण होता है। साथ ही, नेपाल में होली बेहद ही धार्मिक तरीके से मनाई जाती है। अन्य देशों में रहने वाले भारतीय तथा इस्कॉन और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर जैसे धार्मिक संस्थान, अपने अनोखे तरीके से होली मनाकर मतभेदों और समानताओं दोनों को उजागर करते हैं।
मथुरा-वृंदावन में होली उत्सव/ Holi celebration in Mathura -Vrindavan
रंगों का त्योहार होली, पूरे भारत में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है और मथुरा-वृंदावन इस त्योहार के वास्तविक सार का अनुभव करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। मथुरा-वृंदावन को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है जहां होली का उत्सव, पौराणिक चित्र प्रस्तुत करता है। मथुरा-वृंदावन के सात दिवसीय होली उत्सव को "वृंदावन होली" या "ब्रज होली" के रूप में जाना जाता है जिसे देखना, होली की सच्ची भावना का अनुभव करने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी है।
पहला दिन- होलिका दहन/ Day 1- Holika Dahan: उत्सव का पहला दिन होलिका दहन के रूप में प्रचलित है। इस दिन भगवान विष्णु ने राक्षस का नाश किया था। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दूसरा दिन - फूलों वाली होली/ Day 2- Phoolon wali Holi: उत्सव के दूसरे दिन को "फूलों वाली होली" या "फूलों के साथ होली" के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग फूलों से होली खेलते हैं जिससे वातावरण गुलाब, गेंदा और अन्य फूलों से सुगंधित हो उठता है।
तीसरा दिन - लट्ठमार होली/ Day 3- Lathmar Holi: उत्सव का तीसरा दिन "लट्ठमार होली" के रूप में जाना जाता है। यह एक अनोखा उत्सव है जहां महिलाएं पुरुषों को लाठी से मारती हैं और पुरुष ढाल से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यह परंपरा नंदगाँव में उत्पन्न हुई थी जहाँ भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था।
चौथा दिन - रंगों से होली/ Day 4- Holi with colours: उत्सव का चौथा दिन होली का मुख्य दिन होता है जहां लोग, रंगों से होली खेलते हैं और एक-दूसरे को चमकीले रंगों और पानी से सराबोर करते हैं जिससे वातावरण हँसी, संगीत और आनंद से भर जाता है।
दिन 5 - रंगभरनी एकादशी/ Day 5- Rangbharni Ekadashi: उत्सव के पांचवें दिन को "रंगभरनी एकादशी" के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग रंगों से होली खेलते रहते हैं और उत्सव के भोजन और मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
छठा दिन - विधवाओं के साथ होली/ Day 6- Holi with the widows: उत्सव के छठे दिन को "विधवाओं के साथ होली" के रूप में जाना जाता है। इस दिन, वृंदावन की उपेक्षित और बहिष्कृत विधवाओं को होली समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह एक सुंदर परंपरा है जो समावेशिता और करुणा को बढ़ावा देती है।
सातवाँ दिन - धुलेंडी/ Day 7- Dhulandi: उत्सव के अंतिम दिन को "धुलेंडी" के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग सूखे रंगों से होली खेलते हैं और एक दूसरे पर अबीर-गुलाल छिड़कते हैं। इस तरह यह उत्सव संगीत, नृत्य और स्वादिष्ट भोजन के साथ समाप्त होता है।
मथुरा-वृंदावन में सात दिवसीय होली उत्सव एक सुंदर और अनूठा अनुभव है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। फूलों से होली खेलने से लेकर वृंदावन की विधवाओं के साथ जश्न मनाने तक, यह उत्सव रंगों के त्योहार की समावेशिता और आनंद को प्रमाणित करता है।
होली के लिए सुरक्षा संबंधी सावधानियां/ Safety Precautions for Holi
होली मनाने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय अपनाए जाने चाहिए जो निम्न प्रकार हैं:
- प्राकृतिक और सुरक्षित रंगों का प्रयोग: त्वचा की एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनने वाले केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए। इसकी जगह फूलों, जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने प्राकृतिक और सुरक्षित रंगों का प्रयोग करें।
- स्किन का ध्यान करें: रंगों से खेलने से पहले अपनी स्किन पर तेल या क्रीम की एक मोटी परत लगाएं। यह आपकी स्किन को रंगों के हानिकारक प्रभावों से बचाने में मदद करेगा और इसके साथ ही रंगों को स्किन से हटाना आसान रहता है।
- आँखों की सुरक्षा करें: अपनी आँखों को रंग-बिरंगे रंगों या पानी के गुब्बारों से बचाने के लिए धूप के चश्मे या अन्य प्रोटेक्टिव आईवियर का प्रयोग करना चाहिए।
- हाइड्रेटेड रहें: होली के त्योहार को मनाने की खुशी में ऐसा न हो की आप पानी पीना भूल जाएं। आपको मस्ती में भी अपनी सेहत को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। अच्छी मात्रा में पानी, नारियल पानी या ठंडाई जरूर लें ताकि आपको किसी भी तरह की डिहाइड्रेशन न हो।
- सुरक्षित स्थान पर होली खेलें: होली खेलने के लिए सुरक्षित और खुले स्थान का चयन करें। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए, संकरी गलियों या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खेलने से बचें।
- गंदी होली खेलने से बचें: गंदी होली या लोगों के चेहरे पर पानी के गुब्बारे फेंकने से बचना चाहिए क्योंकि इससे चोट लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
- बच्चों का निरीक्षण करें: होली खेलते समय, दुर्घटनाओं या चोटों को रोकने के लिए बच्चों का निरीक्षण करते रहें। बच्चों को भीड़-भाड़ या अनजान लोगों से दूर रखें।
- नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहें: भांग के अलावा, कई अन्य हानिकारक दवाएं और पदार्थ हैं जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः, आपकी भलाई के लिए किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों के सेवन या उपयोग से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
अब, एक नज़र डालते हैं कि 2023 में सभी राशियों वाले कैसे होली मना सकते हैं/ Now, take a look at how each zodiac sign can celebrate Holi 2023
मेष (21 मार्च- 19 अप्रैल): मेष राशि वालों की ऊर्जा और उत्साह, उन्हें होली के रंगीन और जीवंत वातावरण के लिए परिपूर्ण बनाता है। इस राशि वाले, रंगों के साथ खेलते और संगीत की ताल पर नाचते हुए अपने मित्रों और परिवार के साथ पानी की लड़ाई में शामिल होकर त्योहार का पूरा आनंद ले सकते हैं।
वृषभ (20 अप्रैल- 20 मई): वृषभ राशि वाले लोग आराम और शांतिपूर्ण वातावरण पसंद करते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग अपने प्रियजनों के साथ पिकनिक मनाने, स्वादिष्ट खाना खाने और संगीत सुनने के साथ होली मना सकते हैं। साथ ही, उत्सव की भावना में सम्मिलित होने के लिए रंग डालने की परंपरा में भी भाग ले सकते हैं।
मिथुन (21 मई- 20 जून): मिथुन राशि वाले, अपने मित्रों के साथ मिलना-जुलना और मौज-मस्ती करना पसंद करते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग, अपने मित्रों के साथ मिलन समारोह आयोजित करके और रंगों से खेलकर होली मना सकते हैं। इसके अलावा, ये व्यक्ति किसी सामुदायिक कार्यक्रम में भी भाग ले सकते हैं और नए लोगों से मिल सकते हैं।
कर्क (21 जून- 22 जुलाई): कर्क राशि वाले, अपने परिवार और करीबी मित्रों के साथ समय व्यतीत पसंद करते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग, होली का यह पर्व अपने परिवार के साथ मिलकर रंगों से खेलने के साथ ही, स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेकर और अपने प्रियजनों के साथ अच्छा समय व्यतीत करके मना सकते हैं।
सिंह (23 जुलाई- 22 अगस्त): सिंह राशि वाले, सबके ध्यान के केंद्र में रहकर जीवन का आनंद लेते हैं। इस राशि वाले व्यक्ति, मित्रों और परिवार के साथ पार्टी का आयोजन करके और चमकदार और रंगीन कपड़े पहनकर होली मना सकते हैं। साथ ही, किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी भाग लेकर, अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं।
कन्या (23 अगस्त- 22 सितंबर): कन्या राशि वाले अधिक संगठित और संरचित वातावरण पसंद करते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेकर, अपने रचनात्मक कौशल का प्रदर्शन करके होली मना सकते हैं। इसके अलावा, इस राशि वाले व्यक्ति अपने मित्रों और परिवार के साथ रंग डालने के समारोह को आयोजित करके, इस उत्सव के माहौल का आनंद ले सकते हैं।
तुला (23 सितंबर- 22 अक्टूबर): तुला राशि वाले सुंदरता और सौंदर्यशास्त्र का आनंद उठाने वाले होते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग, रंग-बिरंगे और सुंदर कपड़े पहनकर या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेकर होली मना सकते हैं। साथ ही, अपने घर को रंग-बिरंगी साज-सज्जा से सुसज्जित करके, पारिवारिक आयोजन करके भी इस त्योहार का आनंद ले सकते हैं।
वृश्चिक (23 अक्टूबर- 21 नवंबर): वृश्चिक राशि वाले अपनी उग्रता और जोश के लिए जाने जाते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग, अपने मित्रों और परिवार के साथ रंग डालने के समारोह में भाग लेकर होली का जश्न मना सकते हैं। इसके साथ ही, इस राशि वाले स्वादिष्ट खान-पान का लुत्फ उठाकर भी, इस त्योहार का आनंद उठा सकते हैं।
धनु (22 नवंबर- 21 दिसंबर): धनु राशि वाले, रोमांच और नई चीजों की खोज करना पसंद करते हैं इसलिए इस राशि वाले व्यक्ति, किसी सामुदायिक कार्यक्रम में भाग लेकर और नए लोगों से मिलकर होली मना सकते हैं। साथ ही, नए खाद्य पदार्थों को स्वाद लेते हुए, इस रंगीन वातावरण का अनुभव करके भी त्योहार का आनंद लिया जा सकता है।
मकर (22 दिसंबर- 19 जनवरी): मकर राशि वाले लोग अधिक पारंपरिक और सांस्कृतिक माहौल पसंद करते हैं। अतः, ऐसे व्यक्ति किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेकर और त्योहार के पीछे के इतिहास और परंपराओं के बारे में जानकर होली मना सकते हैं। साथ ही, परिवार और प्रियजनों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करके भी त्योहार का आनंद लिया जा सकता है।
कुम्भ (20 जनवरी- 18 फरवरी): कुम्भ राशि वाले, अपनी रचनात्मकता और नवीनता के लिए जाने जाते हैं इसलिए इस राशि वाले लोग, अपने मित्रों और परिवार के साथ रंग-थीम वाली पार्टी या किसी रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित करके होली मना सकते हैं। इसके अलावा, किसी सामुदायिक कार्यक्रम में भी भाग लेकर अपने रचनात्मक कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं।
मीन (19 फरवरी- 20 मार्च): इसी तरह, मीन राशि वाले भी अपने कलात्मक और कल्पनाशील स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। अतः, ये लोग सुंदर रंगोली बनाना या रंगों से पेंटिंग करना जैसे अपने रचनात्मक पक्ष में लिप्त होकर होली का जश्न मना सकते हैं। इसके अलावा, किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेकर भी अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं।
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