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चैत्र नवरात्रि 2023
चैत्र नवरात्रि in 2023
22 March, 2023
(Wednesday)
to
30 March, 2023
(Thursday)

Chaitra Navratri 2021-22: जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
13th April - 22nd April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
Chaitra Navratri 2022-23: जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि
2nd April - 11th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2023
22nd March - 30th March
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2024
9th April - 17th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2025
30th March - 7th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2026
19th March - 27th March
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2027
7th April - 15th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2028
27th March - 4th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2029
14th April - 23rd April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2030
3rd April - 13th April
चैत्र नवरात्रि मुहूर्त
हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख पर्व है, जिसे वह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। माघ, चैत्र, आषाढ, और अश्विन इन चार महीनों में नवरात्रि आते है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि मार्च या अप्रैल में आती है। इसे वसंत नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है।
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हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन नौ दिनों को बहुत ही शुभ और शक्ति से भरपूर माना जाता है। देवी के उपासक इन नौ दिनों मे देवी की पूजा अर्चना बड़े ही भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ करते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है की नवरात्रि के दौरान उपवास और पूजा करने से देवी मां को प्रसन्न किया जा सकता है और देवी मां प्रसन्न होकर आपको सुखी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद दे सकती है। इन नौ दिनों मे सभी लोग पूरी तरह सात्विक रहने की कोशिश करते हैं और धार्मिक कार्यों मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अधिकतर लोग अपनी क्षमता के हिसाब से जरूरतमंदों को दान भी करते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना बेहद शुभ और महत्वपूर्ण होता है। कलश को गणेशजी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के अनुष्ठान में किसी तरह का कोई विघ्न न आए इसके लिए कलश की स्थापना करना शुभ माना जाता है। लोग अपने घरों या मंदिरों में जल और आम के पत्तों से भरा कलश स्थापित करते हैं और पूरे नौ दिनों तक इसकी पूजा की जाती है। भक्त अपनी देवी को प्रसन्न रखने के लिए उपवास भी रखते हैं और इस दौरान शाकाहारी भोजन ही करते हैं। कई लोग इस दिन विशेष पूजा भी करते हैं और अपनी कामनाओ को पूरा करने के लिए देवी से प्रार्थना भी करते हैं।
नवरात्रि की नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है। इन सभी स्वरुपों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं, इन सभी स्वरुपों के नाम – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे पूरे भारत में गजब उत्साह के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि के नौवें दिन को राम नवमी के रूप में बड़े हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भारत के कई हिस्सों में उनके जन्म दिवस को रामनवमी के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि की महत्वता
चैत्र नवरात्रि के महत्व को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है:
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स्त्री शक्ति का उत्सव: यह पर्व आदि देवी माँ भगवती की आराधना और स्त्री शक्ति की सृजनशीलता का उत्सव मनाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और प्रत्येक रूप स्त्री शक्ति के एक विशिष्ट पहलू का प्रतीक है। सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार यह त्योहार महिलाओं की शक्ति का उत्सव है। यह त्यौहार मानवता के अस्तित्व को बचाने के लिए स्त्री के महत्त्व को दर्शाता है और हमें स्त्री का सम्मान करने के महत्व की याद दिलाता है।
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जीवन का नवीनीकरण: नवरात्रि वह समय है, जब दोनों ऋतुओं का मिलन होता है। इस मिलन काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियाँ एक सकारात्मक ऊर्जा के रूप में आती हैं और मानवता का कल्याण करती हैं। चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जो नवीकरण और कायाकल्प का समय है। नवरात्रि का यह त्योहार जीवन के चक्रीय प्रकृति का उत्सव है, और यह लोगों को परिवर्तन और नवीनीकरण को गले लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है। नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले पूजा अनुष्ठान, शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं और एक नई ऊर्जा शक्ति प्रदान करते हैं।
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दैवीय कृपा प्राप्त करने के लिए : चैत्र नवरात्रि दैवीय कृपा प्राप्त करने का एक शुभ समय है। इस समय ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से जनमानस में एक नई उर्जा का संचार हो रहा होता है। हिन्दू धर्म मे यह समय अत्यंत शुभ है क्योंकि इस समय आप विधिवत पूजा करने से और व्रत रखने से, माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह समय आपके आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
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विविधता का संबंध: चैत्र नवरात्रि भारत में विभिन्न जातियों, समुदायों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार विविधता का उत्सव है और लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देता है। इन नौ दिनों लोग भक्तिमय होते हैं और वह अपनी विविधताएँ भूलकर देवी मां की पूजा आराधना मे एक सूत्र मे बंध जाते हैं।
हिन्दू धर्म मे कलश स्थापना को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है?
नवरात्रि पूजन में कलश स्थापना से ही नवरात्रि का आरंभ माना जाता है। कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहते हैं। शब्द "घटस्थापना" दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है - "घट" जिसका अर्थ है बर्तन और "स्थापना" का अर्थ है स्थापित करना। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को भगवान गणेश जी का रूप माना जाता है। इसलिए नवरात्रि पूजा से पहले घट स्थापना या कलश की स्थापना करने का विधान है। घटस्थापना नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि पर पड़ता है।
कलश को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। अनुष्ठान में मिट्टी, पीतल या तांबे से बना एक बर्तन या मिट्टी या रेत से भरा बर्तन रखना और उसके अंदर जौ के बीज बोना शामिल है। फिर बर्तन को चंदन के लेप, सिंदूर, फूल और अन्य शुभ वस्तुओं से सजाया जाता है। बर्तन के पास एक दीपक जलाया जाता है, और इसे देवी दुर्गा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, ऐसा माना जाता है कि नौ दिनों के त्योहार के दौरान इसमें निवास करती हैं। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी मुसीबतें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
घटस्थापना करने का सबसे सही समय क्या होता है
हिन्दू धर्म मे घटस्थापना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए इस विधि को आमतौर पर "शुभ मुहूर्त" के दौरान ही किया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार सबसे शुभ समय होता है। घटस्थापना करने के सही समय की गणना सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है और यह आमतौर पर सुबह के समय किया जाता है।
कलश स्थापना क्यों की जाती है?
नवरात्रि के दौरान ज्यादातर घरों में कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले कलश स्थापना करने का विधान रहा है। शास्त्रों में कलश को गणेशजी का प्रतीक बताया गया है और कलश स्थापना करने से पूजा का शुभ और मंगल फल मिलता है। "कलश" शब्द तांबे, पीतल या चांदी से बने बर्तन को संदर्भित करता है, और "स्थापना" का अर्थ है स्थापित करना। इस अनुष्ठान में जल और अन्य पवित्र वस्तुओं से भरे कलश की स्थापना शामिल है, जिसे देवता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है।
कलश स्थापना के पीछे छिपे शुभ महत्वपूर्ण कारण?
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परमात्मा का स्वागत करना: कलश स्थापना के द्वारा हम अपने घरों या पूजा स्थलों में परमात्मा का स्वागत करते हैं। हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार कलश को एक ऐसा पात्र माना जाता है जिसमें परमात्मा की ऊर्जा और शक्ति समाहित होती है और इसकी स्थापना हमारे जीवन में ईश्वर का आशीर्वाद और कृपा पाने का एक सरल तरीका है।
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सृजन का प्रतीक: हिन्दू धर्म के अनुसार संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड या ब्रह्मांड में एकसाथ समाए हुए हैं। वे एक हैं तथा एक ही शक्ति से सुसंबंधित हैं। इसे शांति और सृजन का संदेशवाहक कहा जाता है। कलश को अक्सर ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा से जोड़ा जाता है। कलश मूल जल का प्रतिनिधित्व करता है जिससे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था, कलश की पूजा मात्र से सभी देवी देवता एक साथ प्रसन्न होकर यज्ञ कर्म को सुचारु रूप से संचालित करने की शक्ति प्रदान करते हैं और बिना किसी विघ्न के यज्ञ कर्म को समाप्त करवाकर प्रसन्नतापूर्वक आशीर्वाद देते हैं।
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हिन्दू धर्म की परम्पराओं के अनुसार कलश स्थापना सिर्फ नवरात्रि पर ही नहीं, अन्य कई त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों पर भी की जाती है। नवरात्रि के दौरान, देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्त्व है। इसी तरह, दीवाली के दौरान भी, कलश को समृद्धि और प्रचुरता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
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नकारात्मकता से बचाव: ऐसा माना जाता है कि कलश की स्थापना करने से हमारे घर और आस पास के वातावरण मे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और यह आसपास के वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं को दूर भगाने में मदद करता है। कलश में पवित्र जल भरा रहता है। इसका मूल भाव यह है कि हमारा मन भी जल की तरह शीतल, स्वच्छ एवं निर्मल बना रहे। इसमें क्रोध, मोह, ईर्ष्या, घृणा आदि भावनाएं पनपने न पाएं। अगर पनपें भी तो जल की शीतलता से शांत होकर घुलकर निकल जाएं।
कलश स्थापना के साथ ही कलश की पूजन विधि का भी अपना महत्त्व है। नवरात्रि के दौरान कलश की पूजा करना हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। लेकिन हममें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि देवी दुर्गा की पूजा में कलश स्थापना करने की सही विधि क्या है? कलश को एक ऐसा बर्तन माना जाता है जिसमें दिव्य ऊर्जा और शक्ति होती है और इसकी स्थापना और पूजा को देवी दुर्गा के आशीर्वाद का आह्वान माना जाता है इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश का पूजन करते हैं।
नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना पूजा-विधि
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कलश का चयन और शुद्धि: हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा या धार्मिक अनुष्ठानों मे हमें तांबे या पीतल से बने कलश का चयन करना चाहिए, और इसे पानी और पवित्र पदार्थों जैसे चंदन, हल्दी, और सिंदूर से साफ और शुद्ध किया जाना चाहिए।
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कलश को जल और पवित्र वस्तुओं से भरना: कलश को जल से भर दिया जाता है और फिर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाया जाता है और उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, आदि रखी जाती है। कलश को नारियल और फूलों जैसी पवित्र वस्तुओं से सजाया जाता है। कलश के अंदर एक सिक्का रखा जाता है, और एक आम का पत्ता उद्घाटन के शीर्ष पर रखा जाता है।
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कलश रखना: कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे बालू की वेदी बनाई जाती है। उसे पूजा स्थल जैसे पवित्र स्थान पर रखा जाता है।
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देवी का आह्वान: देवी दुर्गा का प्रार्थनाओं और मंत्रों के माध्यम से आह्वान किया जाता है, और उनकी उपस्थिति के प्रतीक के रूप में कलश की पूजा की जाती है।
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पूजा: कलश को धूप, फूल और भोजन जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए घी का दीपक जलाया जाता है।
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प्रार्थना और जप: लोग बड़े भक्ति भाव से इन नौ दिनों माता दुर्गा की आराधना करते हैं। भक्त बड़े श्रद्धा भाव से "ओम ह्रीं दम दुर्गा देवयै नमः" जैसे मंत्रों का जाप करते हैं और देवी से प्रार्थना करते है की वह उनके जीवन मे सुख, समृद्धि और शांति लाए।
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दैनिक अनुष्ठान: नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव के दौरान प्रतिदिन कलश की पूजा बड़े ही प्रेम भाव और श्रद्धा से की जाती है। कलश में पानी हर दिन बदला जाता है, और देवी को प्रसन्न करने के लिए नए-नए प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।
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विसर्जन : नवरात्रि के दसवें दिन, कलश को नदी या किसी अन्य जल निकाय में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है, जिसे हमारे घरों और जीवन से देवी दुर्गा के प्रस्थान का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि की इतनी महत्वता क्यों है
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में यूं तो चार बार नवरात्रि आती है। लेकिन गृहस्थ लोगो के लिए दो नवरात्रि ही शुभ मानी गयी है, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह देवी दुर्गा की पूजा, हिंदू नव वर्ष की शुरुआत, शुद्धि और नवीकरण, उपवास, आध्यात्मिक विकास और परिवार के साथ अनमोल पल बिताने का समय है। यह त्योहार पूरे भारत में बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है और यह हिंदू संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। इस त्यौहार के कई महत्वपूर्ण पहलू हैं, जैसे:
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दैवीय स्त्री का उत्सव: नवरात्रि का उत्सव ईश्वर के स्त्री रूप को समर्पित है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती स्त्री-शक्ति यानी स्त्रैण के तीन आयामों की प्रतीक हैं। लोगो का ऐसा विश्वास है की इस अवधि के दौरान देवी की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने से देवी प्रसन्न होती है और जीवन को सुख, समृद्धि ,और सौभाग्य से भर देती है।
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हिंदू नव वर्ष की शुरुआत: हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि मे अगर अच्छी भावना के साथ कार्य की शुरुआत की जाए तो उसका फल देवी की कृपा से अच्छा ही होता है। इस अवधि के दौरान देवी की पूजा करने से नए साल में समृद्धि और सफलता मिल सकती है।
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शुद्धि और नवीकरण: चैत्र नवरात्रि एक ऐसा विशेष पर्व है जिसमें यदि ईमानदारी से कोशिश की जाए तो मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक हर तरह का शुद्धिकरण और विकास किया जा सकता है। यह समय अपने जीवन से नकारात्मकता को निकालने और सकारात्मकता को आमंत्रण देने का शुभ समय है। सरल शब्दों मे समझा जाये तो यह जीवन के हर पहलू मे बदलाव का समय है।
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उपवास का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में व्रत रखने से तन मन और आत्मा शुद्ध होती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखकर हम अपने मन, तन और आत्मा का शुद्धिकरण कर सकते हैं। इन दिनों में व्रत करने से विशेष फल मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इन दिनों व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। उपवास चैत्र नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें कई भक्त इस अवधि के दौरान उपवास का करते हैं। उपवास का एक और फायदा यह भी है की ऐसा करने से भक्तों को उनकी प्रार्थनाओं और पूजा पर पूरा ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
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आध्यात्मिक विकास: चैत्र नवरात्रि आध्यात्मिक विकास के लिए अति उत्तम हैं। यह हमें सिखाता है कि किस तरह मुश्किलों से लड़कर विकास के मार्ग पर चला जाता है। यह समय अपनी शक्तियों को केंद्रित करके, देवी दुर्गा के आशीर्वाद और मार्गदर्शन की तलाश करने का समय है।
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सामुदायिक और पारिवारिक संबंध: चैत्र नवरात्रि आपको ऐसी अपार संभावनाए देता है जिससे हम अपने सामुदायिक और पारिवारिक संबंधो को नए आयाम दे सके। यह प्रियजनों के साथ भोजन, प्रार्थना और उत्सव एकसाथ मिलकर माने के लिए शुभ समय है।
जानिए क्या नाता है भगवान श्री राम और नवरात्रि के बीच
चैत्र नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जिसमें माता भगवती के नौ सिद्ध स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। इस त्यौहार के साथ लोगों की गहरी आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। यह त्यौहार चैत्र के महीने में मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल के महीने में आता है। चैत्र नवरात्रि का भगवान श्री राम से भी गहरा संबंध है।
हमारे शास्त्रों में इस बात का प्रमाण है कि चैत्र नवरात्र में भगवान विष्णु के दो अवतार हुए थे। पंचमी तिथि को मत्स्यावतार और नवमी तिथि को राम अवतरित हुए। हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि चार बार आती है। दो गुप्त नवरात्रि तांत्रिक विद्या के लिए होती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि को पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इन दोनों ही नवरात्रि में मां दुर्गा का पूजन पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों ही नवरात्रि की नवमी और दशमी तिथि का संबंध भगवान श्री राम से भी है। शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध किया था। वहीं चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवां अवतार लिया था। तभी से ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्रि मे श्रीराम की आराधना का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में राम नवमी के पर्व का बेहद खास महत्व है। इस दिन को श्री राम के जन्मोत्सव के रूप मे आज भी बड़ी धूम-धाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। लोगो का ऐसा विश्वास है की अगर इस दिन पूरे भक्ति-भाव और विधि-विधान के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा करें तो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहेगी।
रामनवमी का महत्व
रामनवमी का दिन देश के अधिकतर हिस्सों में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जन्म दिवस के रूप मे धूमधाम से मनाया जाता है। अयोध्या में रामनवमी के मौके पर भव्य कार्यक्रम और मेले आयोजित किए जाते हैं। पूरी नगरी को झिलमिलाती रौशनी से सजाया जाता है। मान्यता है कि रामनवमी के दिन मां भगवती और श्रीराम की पूजा पूरी श्रद्धा भाव से करने वाले भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही उनके जीवन से कष्टों का नाश होता है। रामनवमी के साथ नवरात्रि का समापन भी किया जाता है। यही वजह है कि इस दिन कई लोग कन्या पूजन कर माता रानी की आराधना करते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2023 पर सभी राशियों को मिलेगा विशेष शुभ-लाभ, आइए जानते हैं सभी राशियों का हाल
मेष राशि: मेष राशि वालों के लिए चैत्र नवरात्रि बहुत ही शुभ रहने वाले हैं। इस दौरान आप अपने अंदर विशेष आत्मविश्वास और साहस का अनुभव कर सकते हैं। यह समय आपके जीवन मे नई चुनौतियों और अवसरों को लेकर आएगा जिससे आप अपने कम्फर्ट जॉन से बाहर निकल कर अपनी क्षमताओं का पता लगा सकेंगे। आपकी कार्यशैली में पहले से अधिक सुधार होगा। माता रानी की असीम अनुकंपा से मेष राशि वालों को अपने डर और शंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी और आप जीवन की हर मुसीबत को बहुत ही आसनी से पार कर पाओगे।
वृषभ राशि: वृषभ राशि वालों पर माता रानी का हाथ रहेगा। आपके सितारे बुलंदियों पर रहेंगे। आपको नौकरी या व्यवसाय में अच्छा आर्थिक लाभ मिल सकता है। प्रॉपर्टी और शेयर मार्किट में धन निवेश करने से आपको गजब का मुनाफ़ा मिल सकता है। आप इस समय जोखिम भरे निवेश कर सकते हैं। इसमे आपको आगे चलकर कामयाबी मिलेगी। यह समय आपके जीवन में सुख-शांति और वित्ती लाभ लेकर आएगा।
मिथुन राशि: मिथुन राशि वालों के लिए समय कुछ उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है। आपके निजी जीवन मे तनाव और चिंता बढ़ सकती है। इसलिए इस अवधि के दौरान अत्यंत आवश्यक है की आप अपनी आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दें। आप अपनी मानसिक सेहत का पूरा ध्यान रखें और अपने आप को भावनात्मक रूप से कमज़ोर न होने दें। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यायाम करें और ध्यान लगाने की कोशिश करें। अपने प्रियजनों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं और खुश रहें क्योंकि खुश रहना ही उत्तम सेहत का राज है।
कर्क राशि: कर्क राशि वालों के लिए नवरात्रि किसी वरदान से कम नहीं होंगे। आपके घर में किसी मांगलिक कार्य के होने की संभावना है। आर्थि और निजी रिश्तों में शुभ संकेत दिख रहे हैं। इस अवधि के दौरान आप अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे। मां दुर्गा के आशीर्वाद से यह समय आपके जीवन मे नई उम्मीदें और आशाएं लेकर आएगा और आप जीवन के हर पहलू में सकारात्मक परिवर्तन देखोगे। आपके लिए यह आवश्यक है कि आप इन परिवर्तनों को सहज और खुले दिल से स्वीकार करें और उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपनाएं।
सिंह राशि: सिंह राशि वालों के लिए चैत्र नवरात्रि अत्यंत शुभ रहेंगे। इस अवधि के दौरान आप अपने करियर में सफलता की नई सीढ़ियां चढ़ सकते हो। इस अवधि में आप नई परियोजनाओं या नए कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। करियर में उन्नति के लिए यह समय बहुत ही शुभ रहेगा। कार्यस्थल पर आपको किसी बड़े काम की जिम्मेदारी मिल सकती है या आपका प्रोमोशन भी हो सकता है। इस राशि के लोगो के पास जन्म से ही नेतृत्व कौशल और रचनात्मकता के गुण होते है और यह समय अपने टेलेंट को दिखाने के लिए बेहद खास है। आपके लिए जरूरी है की आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें और अपने सपनों का पूरी शिद्दत के साथ पीछा करें। ध्यान रखें की, अहंकार को खुद पर हावी न होने दें और दूसरों के साथ बातचीत में सदैव विनम्र रहने का प्रयास करें।
कन्या राशि: चैत्र नवरात्री का शुभ समय कन्या राशि वालों के जीवन में सुख, समृद्धि और परिवर्तन का संकेत लेकर आ रहा है। इस शुभ अवधि के दौरान आप आध्यात्मिक जागृति का अनुभव कर सकते हैं। योग और ध्यान का अभ्यास करने से आपको अपने व्यक्तिगत विकास और आत्म-खोज करने मे सहायता मिलेगी। आपके जीवन में सकरात्मकता का संचार होगा। आप हर कार्य में अपना बेस्ट देने की कोशिश करेंगे।
तुला राशि: तुला राशि वालों को नवरात्रि के दौरान अधिक सचेत और सावधान रहने की आवश्यकता है। चैत्र नवरात्री 2023 का समय आपके जीवन में पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में कुछ बाधाएं पैदा कर सकता है। लेकिन इन चुनौतियों से लड़ने के लिए जरूरी है की आप हकीकत को समझें। अगर आप धैर्य के साथ आगे बढ़ेंगे तो आप अपने जीवन की मुश्किलों को हल कर सकते हैं। अपना मन शांत रखें और संयम बनाए रखें। आवेश मे निर्णय लेने से आपको भविष्य में नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यदि आप सकारात्मक रहकर चुनौतियों का सामना करेंगे, तो आप पहले से कहीं अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर होकर उभर सकते हैं।
वृश्चिक राशि: चैत्र नवरात्री वृश्चिक राशि वालों के जीवन में एक शुभ संकेत लेकर आ रहे हैं। आपको इस अवधि के दौरान वित्तीय लाभ का अनुभव हो सकता है। इस दौरान आप अपने भविष्य से जुड़े वित्तीय निर्णय लेते हैं तो आगे चलकर इसका अच्छा लाभ मिलेगा। सितारे आपके अनुकूल हैं, आप बिना किसी डर के शेयर बाजार में भी निवेश कर सकतें हैं। कोई भी निवेश करने से पहले अपना रिसर्च वर्क पूरा कर लें और सोच समझकर ही निर्णय लें।
धनु राशि - धनु राशि वालों के लिए चैत्र नवरात्रि का समय परिवर्तन और सकारात्मकता लेकर आएगा। इस अवधि के दौरान धनु राशि के लोग अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में कुछ सकारात्मक बदलावों का अनुभव कर सकते हैं। इस शुभ समय का उपयोग आप अपने प्रियजनों और सहकर्मियों के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए कर सकते हैं। आपके हर कार्य में आपको सफलता मिलेगी। आप अपने करियर में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे। आपको ऐसा लगेगा जैसे मां की कृपा आप पर है और आप जीवन में आगे बढ़ते चले जाएंगे।
मकर राशि: चैत्र नवरात्रि 2023 का शुभ समय मकर राशि वालों के जीवन मे सुख, समृद्धि, और सौभाग्य लेकर आ रहा है। आप अपने करियर में सफलता की नई सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए यह समय बेहद शुभ है। आपको नौकरी में प्रोमोशन मिल सकती है या जो लोग कै दिनों से एक अच्छी नौकरी की तलाश में थे उनकी वो तलाश पूरी हो सकती है। अपने करियर को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करें और इस अनुकूल समय का भरपूर लाभ उठाएं।
कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों के लिए यह समय थोड़ा कठिन है। आप इस अवधि के दौरान तनाव और चिंता का शिकार हो सकते हैं। जीवन के इस मुश्किल दौर से निकलना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है इसलिए हर कार्य सावधानीपूर्वक करें। अपने तनाव को कम करने के लिए प्रयास करें। हर काम की शुरुआत से पहले मां दुर्गा का स्मरण करें, यकीन मानिए आपको इसका लाभ मिलेगा। इस अवधि में किसी बड़े काम या बड़े धन निवेश से बचें।
मीन राशि: चैत्र नवरात्रि 2023 की शुभ अवधि के दौरान, मीन राशि वालों के जीवन में आध्यात्मिक विकास हो सकता है। यदि आप मानसिक सुख-शांति पाना चाहते हैं तो ध्यान या योग में अपना मन लगाएं। किसी भी कार्य में जल्दबाजी न करें। आपको अपना हर कदम सावधानीपूर्वक बढ़ाना चाहिए नहीं तो आपकी अपनी भावनाएं आप पर हावी हो सकती हैं। आपको अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। कुल मिलाकर, यह समय मीन राशि वालों के लिए एक परिवर्तनकारी समय साबित हो सकता है।
चैत्र नवरात्रि आपके लिए शुभ-मंगलकारी और सौभाग्य से परिपूर्ण हों। नवरात्रि के दौरान कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना बेहद जरूरी है
क्या करें :
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अपने घर की साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखें और उसे फूलों और रंगोली से सजाएं।
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देवी दुर्गा की पूजा अर्चना और आरती पूरे भक्ति-भाव से करें।
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देवी की कृपा पाने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में उपवास रखें।
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अगर आप परमात्मा से मानसिक जुड़ाव का अनुभव करना चाहते हैं तो ध्यान लगाने का अभ्यास करें और मंत्रों का जाप करें।
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इस दौरान जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें, ऐसा करना बहुत ही शुभ और लाभदायक माना जाता है।
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नवरात्रि के दिनों में आधुनिकता की बजाय अपनी संस्कृति से जुड़ने का प्रयास करें। पारंपरिक कपड़े पहनें और अपने घर को पारंपरिक सजावट से सजाएं।
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इन दिनों आप संतुलित और सात्विक आहार को प्राथमिकता दें जिसमें फल, सब्जियां और डेयरी उत्पाद शामिल हों।
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भारत के विभिन्न क्षेत्रों मे नवरात्रि के अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन होता है। इसलिए आपके लिए जरूरी है की आप अपनी परम्पराओं का पालन करें।
क्या न करें:
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नवरात्रि के नौ दिनों मे गलती से भी मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन न करें।
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नवरात्रि में काले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि ऐसे रंग पूजा जैसे शुभ कार्यों मे अशुभ माने जाते हैं।
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इस शुभ अवधि के दौरान सबसे अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करें। बहस या नकारात्मक बातचीत से दूरी बनाने की पूरी कोशिश करें।
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नवरात्रि के दौरान अपने बाल या नाखून काटने से बचें, क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
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नवरात्रि का पावन पर्व जीवन मे सुख और सौभाग्य लेकर आता है, इसलिए किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें। अपना पूरा प्रयास करें की आपके कारण किसी अन्य जीव को नुकसान नहीं पहुँचे।
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नवरात्रि के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन न करें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये तामसिक भोजन में आते हैं और आपके आध्यात्मिक संतुलन को बिगाड़ते हैं।
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नवरात्रि के दौरान आप किसी भी अनैतिक गतिविधियों में शामिल न हों।
आपसे अनुरोध है की आप इन सब बातों का पूरा ध्यान रखें और इनका पालन करने की पूरी कोशिश करें। हम प्रार्थना करते हैं की चैत्र नवरात्रि आपके लिए बेहद ही शुभ हो, सफल हो, और सौभाग्य से भरे हुए हों। देवी दुर्गा आपकी आस्था और भक्ति भावना से प्रसन्न हों और आपको अपना पूर्ण आशीर्वाद दें।
आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न भारतीय त्योहारों & मुहुर्त, कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।
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