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भाई दूज भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करने का त्योहार है। भाई दूज या भैया दूज को भाई टीका, यम द्वितीया और भटरू द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन पड़ती है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार के रूप में काफी चीजें देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने आए थे।
भाई दूज का महत्व/Importance of Bhai Dooj
भाइयों और बहनों के पवित्र रिश्ते को मनाने के लिए समर्पित, भाई दूज हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाइयों और बहनों के प्रेम और सद्भावना के प्रवाह को हमेशा बनाए रखना है। यमराज और उनकी बहन यमुना का रिश्ता इस बात का सबूत है कि रिश्ते सब से ऊपर होते हैं। भाई दूज हमें काफी चीजें सिखाता है जैसे हमें इससे पता चलता है कि हम अपने जीवन में चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम विशेष अवसरों या पर्वों पर अपने परिवार के साथ समय बिताएं। हर साल इस त्योहार को मनाने का यही मकसद होता है।
हम भाई दूज क्यों मनाते हैं?/Why do we celebrate Bhai Dooj?
भाइयों और बहनों के बीच संबंधों को गौरवान्वित करने के लिए समर्पित, यह त्यौहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व रखता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व यम द्वितीया के नाम से भी विख्यात है।
हम भाई दूज कैसे मनाते हैं?/How do we celebrate Bhai Dooj?
इस पर्व को मनाने का एक अनूठा तरीका है। सुबह-सुबह, बहनें स्नान करती हैं और भगवान विष्णु और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इसके बाद वह अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। भाई अपनी बहन के घर जाते हैं और वहां खाना भी खाते हैं। वह उन्हें उपहार भी देते हैं। इस पर्व पर यमुना नदी में स्नान करना और इस नदी के तट पर पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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शास्त्रों के अनुसार दीपावली के दो दिन बाद या जब कार्तिक शुक्ल पक्ष की दोपहर को द्वितीया तिथि आती है तो उस दिन भाई दूज मनाया जाता है। यदि दूसरी तिथि दोनों दिन पड़ती है तो अगले दिन भाई दूज मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दूसरी तिथि दोनों दिन की दोपहर को नहीं आती है तो अगले दिन भाई दूज मनाना चाहिए। भाई दूज मनाने के लिए यह तीनो विचार अधिक लोकप्रिय और मान्य हैं।
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अन्य कथाओं के अनुसार यदि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि दोपहर (दिन का तीसरा भाग) से शुरू हो तब भाई दूज मनाना चाहिए। इस बात को तार्किक नहीं कहा गया है।
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भाई दूज के दिन दोपहर में ही भाई को तिलक और भोजन करना चाहिए। इसके अलावा दोपहर में यम पूजन भी करना चाहिए।
भाई दूज की कहानी/Story of Bhai Dooj
एक राजा था जो अपने साले के साथ चौपर खेला करता था। उसका साला इस खेल में हमेशा उससे जीत जाता था। राजा ने सोचा कि वह हर बार जीतता है क्योंकि वह हर साल अपनी बहन के साथ भाई दूज का त्यौहार मनाता है। उसने आदेश दिया कि इस वर्ष उसका साला अपनी बहन के साथ भाई दूज नहीं मनाएगा। उसने सभी द्वार बंद कर दिए और सुनिश्चित किया कि वह किसी भी तरह से प्रवेश न कर सके। यह देख यमराज ने राजा के साले को तुरंत कुत्ते में बदल दिया। कुत्ता महल के अंदर बिना किसी समस्या के चला गया। रानी ने पहचान लिया कि कुत्ता उसका भाई है तब रानी ने उसके माथे पर तिलक लगाया और अपना हाथ उसके सिर पर फेर दिया। कुत्ता तिलक लगवा कर इस पर्व को विधि/Vidhi अनुसार पूर्ण करके वापस चला गया।
अगले दिन रानी का भाई राजा के पास फिर से गया और राजा को चौपर खेलने की चुनौती दी। राजा यह जानकर चौंक गया कि उसका साला उसकी पत्नी से मिला और यहाँ तक की उसके साथ भाई दूज भी मनाया। यह सब सुनने के बाद राजा भी अपनी बहन के साथ भाई दूज मनाने के लिए उसके घर चला गया। यह सुनकर यमराज चिंतित हो गए और सोचने लगे कि यदि ऐसा होता है तो यमपुरी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। अपने भाई को चिंतित देखकर उसकी बहन यमुना ने उससे कहा, कि भाई, तुम चिंता मत करो, मुझे यह वरदान दो कि जो लोग आज बहन के साथ भोजन करते हैं और मथुरा शहर के विश्रामघाट में स्नान करते हैं, उन्हें यमपुरी नहीं जाना पड़ेगा| वह जीवन और मृत्यु के इस बंधन से मुक्त हो जाएंगे। भगवान यमराज ने अपनी बहन की इच्छा पूरी की, और तब से, सभी बहनों और भाइयों द्वारा यह त्योहार बड़े धूम धाम मनाया जाता है।
भाई दूज पर क्या करें/ What to do on Bhai Dooj
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सभी बहनों को अपने भाइयों को अपने घर बुलाना चाहिए और माथे पर तिलक, चंदन और रोली लगा कर पूरे पर्व को विधि/Vidhi के अनुसार करना चाहिए।
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बहनों को अपने भाइयों को ताम्बुल उपहार में देना चाहिए। ऐसा पौराणिक मान्यता है जाता है कि यह बहन के सौभाग्य का प्रतीक है।
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भाइयों को यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपने यमदोष से मुक्ति मिलती है।
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भाइयों को अपने घरों में यमुना नदी का पानी लाना चाहिए|
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बहनों को चावल की खीर बनानी चाहिए। यह पर्व भाइयों और बहनों की लंबी उम्र का प्रतीक है।
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इस दिन भाइयों को अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए।
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अपनी बड़ी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
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भाई के माथे पर तिलक लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो।
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घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लें।
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दोनों भाई बहनों को उनके इष्ट देवता की पूजा करनी चाहिए।
भाई दूज पर क्या न करें/ What to not do on Bhai Dooj
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इस दिन अकेले खाना ना खाएं| आप अपनी बहन के साथ खाना खा सकते हैं। यदि आप अपनी बहन से नहीं मिल पा रहे हैं, तो गाय के पास बैठकर भोजन कर सकते हैं।
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इस दिन भाइयों और बहनों को लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए।
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इस दिन अपनी बहन के बनाए भोजन का अनादर न करें।
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भाई द्वारा दिए गए उपहार का अनादर न करें।
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इस दिन अपनी बहन से झूठ न बोलें। ऐसा करने से यमराज आप पर क्रोधित हों सकते हैं।
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इस पर्व की विधि पूरी होने से पहले भाइयों और बहनों को कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
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बहनों को अपने भाइयों के लिए पूरे स्नेह और देखभाल से खाना बनाना चाहिए।
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तिलक लगाने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं|
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भाई को 'गोला' देना न भूलें क्योंकि यह बहुत पवित्र माना जाता है।
आप अन्य सभी प्रमुख भारतीय त्योहारों के लिए भारतीय त्योहारों में ज्योतिष की प्रासंगिकता/Relevance of Astrology पर इसी तरह के लेख पढ़ कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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