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वसन्त पञ्चमी 2023
बसंत पंचमी in 2023
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January, 2023
(Thursday)

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Basant Panchami 2021-22: मां सरस्वती की इस शुभ मुहूर्त में करें आराधना, जानें पूजा विधि और नियम
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वसन्त पञ्चमी मुहूर्त पर सरस्वती पूजा
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है. यह त्यौहार ज्ञान व विद्या की देवी माँ सरस्वती को समर्पित होता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है. विद्यार्थियों की शिक्षा में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु का प्रारंभ भी हो जाता है.
फूलों के पूर्ण विकसित होने, सूरजमुखी के बीजों के खेतों में फैलने, गेहूं की बालियां खिलने, आम के पेड़ों पर बौर लगने, चारों ओर तितलियों के मंडराने पर वसंत पंचमी को पहचाना जा सकता है। कुछ इस प्रकार होता है वसंत पंचमी का आकर्षण। इस दिन को श्री पंचमी के रूप में भी जाना जाता है और वसंत के मौसम की शुरुआत होती है। किसानों के लिए वसंत कटाई का सबसे अच्छा मौसम होता है। जैसा कि पहले भी उल्लेख किया है कि इस समय के दौरान, सूरजमुखी के बीज खेतों को सुशोभित करते हैं, वृक्ष और फूल आनंदित होते हैं, और लोग आकाश में पतंग उड़ाते हैं।
इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023, गुरुवार के दिन मनाया जायेगा.
माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12:34 से प्रारंभ होकर 26 जनवरी को प्रातः 10:28 तक रहेगी.
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बनेंगे चार दुर्लभ ज्योतिषीय योग
इस वर्ष बसंत पंचमी पर एक नहीं, बल्कि चार दुर्लभ ज्योतिषीय योग बन रहे हैं. इस दिन शिव योग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बनेगा. इन योगों में माता सरस्वती की पूजा करने से उत्तम विद्या, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है. पढाई में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं. माँ की कृपा से मनुष्य को वाकशक्ति प्राप्त होती है.
बसंत पंचमी का महत्व/ Importance of Basant Panchami
इस पर्व में मनुष्यों के साथ ही प्रकृति, जीव-जंतु भी प्रसन्नता से परिपूर्ण रहते हैं। वैसे तो, माघ का पूरा महीना सभी को आनंदित करता है लेकिन बसंत पंचमी की अपनी ही सुंदरता और महत्व होता है। प्राचीन काल से ही, इस पर्व के दिन को देवी सरस्वती का जन्म दिवस माना जाता है इसीलिए इस दिन उनकी, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां शारदा के रूप में आराधना की जाती है। लेखकों, गायकों, नर्तकों, अभिनेताओं आदि रचनात्मक कलाकारों द्वारा भी बधाई स्वरूप देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है।
बसंत पंचमी का प्राचीन महत्व/ Ancient Importance of Basant Panchami
बसंत पंचमी का प्राचीन महत्व रामायण से संबंधित है। जब रावण, माता सीता का अपहरण करके उन्हें लंका ले गया था, तब भगवान राम उन्हें खोजते हुए दंडकण्य नामक स्थान पर पहुंचे थे जहां शबरी नाम की एक बूढ़ी औरत रहती थी। भगवान राम के उसकी कुटिया में पहुंचने पर, उसने उन्हें प्रेमपूर्वक बेर खिलाए। ऐसा माना जाता है कि गुजरात के डांग जिले में शबरी की कुटिया आज भी स्थित है तथा जब भगवान राम इस स्थान पर पहुंचे थे उस दिन वसंत पंचमी का अवसर था। लोगों द्वारा भगवान राम की प्रतिमा की आराधना की जाती है और ऐसा माना जाता है कि भगवान राम उनके पास आकर बैठते हैं। इस स्थान पर मां शबरी का मंदिर भी है।
वसंत पंचमी हमें पृथ्वीराज चौहान का भी स्मरण कराती है। पृथ्वीराज चौहान द्वारा मोहम्मद गौरी को सोलह बार हराने के बाद भी, उसे हर बार अपनी जिंदादिली के कारण जीवित छोड़ दिया था। सत्रहवीं बार में, मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और उन्हें कष्ट देने के लिए अफगानिस्तान ले जाकर राजा की आंखें निकलवा दीं। मोहम्मद गौरी राजा को मौत की सजा देने से पहले उनके "शब्दवेदी बाण" के जादुई कौशल को देखना चाहता था। इस स्थिति का लाभ उठाकर कवि चंदवरदाई ने राज को संकेत दिया-
चारबांस चौबीस गज, अंगुल अष्टप्रमन।
ता उपर सुल्तान, मत चुको चौहान।
इस बार पृथ्वीराज चौहान ने अपना निशाना न चूककर, मोहम्मद गौरी के सीने में सीधे बाण मार दिया था। इसके बाद, चौहान और चंदवरदाई ने आत्मबलिदान स्वरूप एक-दूसरे को चाकू से मार डाला था। यह घटना 1192 में वसंत पंचमी के दिन की थी।
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन/ Vasant Panchami And Saraswati Puja
वसंत पंचमी के दिन, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार, औपचारिक शिक्षा की दृष्टि से शुभ होने के कारण ही, इस दिन माता-पिताओं द्वारा अपने बच्चों को गुरुकुल भेजा जाता है। ज्ञान और रचनात्मकता की देवी होने के कारण, इस दिन रचनात्मक कार्यों से संबंधित व्यक्तियों द्वारा सरस्वती जी का पूजन किया जाता है। जैसे सैनिकों द्वारा शस्त्रों और विजयदशमी के दिन को शुभ माना जाता है, उसी प्रकार रचनात्मक व्यक्तियों द्वारा वसंत पंचमी को उज्ज्वल दिन माना जाता है। लेखकों, गायकों, नर्तकों, अभिनेताओं आदि जैसे सभी रचनात्मक कलाकारों द्वारा देवी सरस्वती का पूजन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?/ Why is Basant Panchami Celebrated?
"बसंत" शब्द का अर्थ होता है- वसंत और "पंचमी" का अर्थ है- पाँचवां दिन। इस पर्व के श्रेष्ठ होने के कारण, माघ मास में वसंत का मौसम आने पर, पंचम तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। साथ ही, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह दिन देवी सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वसंत पंचमी के शुरू होते ही प्रकृति अपने पूर्ण उज्जवल रूप में आ जाती है। वृक्ष नए पत्तों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने पुराने पत्तों को छोड़ देते हैं तथा खेतों में सूरजमुखी के फूल खिलने लगते हैं। मौसम सुहावना होता है। ऐसी सुंदरता केवल वसंत पंचमी पर ही देखी जा सकती है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के साथ मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। भारत में, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर इन छह ऋतुओं में से वसंत को श्रेष्ठ ऋतु माना जाता है क्योंकि इस दौरान प्रकृति में हर तरफ हरियाली छाई होती है। साथ ही, गेहूं और सूरजमुखी कृषि का केंद्र होते हैं। ऐसा लगता है मानो गेहूँ के खेतों ने हरी साड़ी पहनी हो, और सूरजमुखी के खेतों ने स्वयं को सोने के आभूषणों से सजाया हो।
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के अनुरोध पर ब्रह्मदेव द्वारा ब्रह्मांड, मनुष्यों और अन्य सजीव जीवों की रचना की गई। किंतु कुछ कमियों के वजह से, ब्रह्मदेव के सृष्टि से संतुष्ट नहीं होने के कारण हर तरफ शांति छा गई। तब भगवान विष्णु की अनुमति लेने के बाद, भगवान ब्रह्मा जी द्वारा ब्रह्मांड पर जल का छिड़काव करने के कंपन से वृक्षों के बीच से एक परम सुख से परिपूर्ण एक चतुर्भुज नारी शक्ति प्रकट हुईंं जिनके एक हस्त में वाद्य यंत्र वीणा और दूसरा हस्त वर मुद्रा में था। अन्य दो हाथों में से, एक में पुस्तक और दूसरे में एक माला थी। ब्रह्मदेव द्वारा वीणा बजाने का अनुरोध करने पर, जिस पल उन्होंने वीणा बजाई उसी क्षण पृथ्वी के सभी जीवों को वाणी का कौशल, जल और हवा को प्रवाह मिल गया। तब ब्रह्मा जी द्वारा उन्हें सरस्वती नाम दिया गया था। देवी सरस्वती को ज्ञान, मेधा, बुद्धिमानी और संगीत की देवी कहा जाता है। वसंत पंचमी ज्ञान हस्तांतरण का शुभ दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन अज्ञानता को दूर करता है और बच्चों को इस दिन पहला अक्षर सीखने को दिया जाता है। शिक्षा के लिए उज्जवल होने के कारण इस दिन सभी स्कूलों में देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है। सफेद फूल पसंद होने के कारण, वसंत पंचमी के दिन, सफेद वस्त्र धारण करके तथा सफेद पुष्प अर्पित करके देवी सरस्वती की आराधना की जाती है।
बसंत पंचमी में पीले रंग का महत्व/ Importance of Yellow Color in Basant Panchami
बसंत पंचमी का पीला रंग सफलता, प्रगति और प्रचुरता का प्रतीक होता है। वसंत पंचमी के दौरान, फूल अपनी पूर्ण सुंदरता के साथ खिलते हैं; सूरजमुखी और गेहूं की फसल सोने की तरह चमकती है। अतः, वसंत पंचमी को सभी ऋतुओं में अत्यधिक पसंद किया जाता है।
विभिन्न स्थानों पर वसंत पंचमी का स्वरूप/ Forms of Vasant Panchami in Various Places
इस पंचमी के दिन, भक्तों द्वारा गंगा जी और अन्य धार्मिक नदियों में स्नान करके देवी सरस्वती जी की आराधना की जाती है। इस पर्व के दौरान, हरिद्वार (उत्तराखंड) और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में, भक्तों द्वारा गंगा जी और संगम के तट पर पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे स्थानों से लोग हिमाचल प्रदेश जाकर सल्फर के गर्म पानी में भी डुबकी लगाते हैं। भारत के उत्तरी क्षेत्र में, इस दिन लोगों द्वारा पीले वस्त्र धारण करके पीले रंग के ही व्यंजन खाए जाते हैं। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में, सूरजमुखी के पीले खेतों में, पीले ही रंग की पतंगे उड़ाई जाती हैं। पश्चिम बंगाल के क्षेत्र में, जहां एक और देवी सरस्वती की पूजा ढाक की ध्वनि से की जाती है, वहीं दूसरी ओर बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में, गुरु-का-लाहौर जैसे सिख स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह का जन्म वसंत पंचमी के दिन हुआ था।
वसंत पंचमी की कथा/ The Story of Vasant Panchami
भगवान विष्णु के आदेशानुसार, ब्रह्मदेव द्वारा ब्रह्मांड, मनुष्यों और अन्य सजीव जीवों की रचना की गई। किंतु कुछ कमियों के कारण ब्रह्मदेव के सृष्टि से संतुष्ट नहीं होने के कारण हर तरफ शांति छा गई। तब भगवान विष्णु की अनुमति लेने के बाद, भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा ब्रह्मांड पर जल का छिड़काव करने के कंपन से वृक्षों के बीच से एक परम सुख से परिपूर्ण एक चतुर्भुज नारी शक्ति प्रकट हुईंं जिनके एक हस्त में वाद्य यंत्र वीणा और दूसरा हस्त वर मुद्रा में था। अन्य दो हाथों में से, एक में पुस्तक और दूसरे में एक माला थी। ब्रह्मदेव द्वारा वीणा बजाने का अनुरोध करने पर, जिस पल उन्होंने वीणा बजाई उसी क्षण पृथ्वी के सभी जीवों को वाणी का कौशल, जल और हवा को प्रवाह मिल गया। तब ब्रह्मा जी द्वारा उन्हें सरस्वती नाम दिया गया था। देवी सरस्वती को ज्ञान, मेधा, बुद्धिमानी और संगीत की देवी कहा जाता है। वसंत पंचमी ज्ञान हस्तांतरण का शुभ दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन अज्ञानता को दूर करता है और बच्चों को इस दिन पहला अक्षर सीखने को दिया जाता है। शिक्षा के लिए उज्जवल होने के कारण इस दिन सभी स्कूलों में देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है। सफेद फूल पसंद होने के कारण वसंत पंचमी के दिन, सफेद वस्त्र धारण करके तथा सफेद पुष्प अर्पित करके देवी सरस्वती की आराधना की जाती है।
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती का पूजन कैसे करें?/ How to Worship Goddess Saraswati on Vasant Panchami
1. इस दिन पीले वस्त्र धारण करके, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा शुरू करनी चाहिए।
2. पीले कपड़े पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करके रोली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, दही, हलवा आदि प्रसाद के रूप में अर्पित करना चाहिए।
3. देवी सरस्वती के दाहिने हाथ में पीले या सफेद पुष्प रखकर सफेद चंदन अर्पण करना चाहिए।
4. मां सरस्वती को केसर के दूध की खीर का प्रसाद अर्पण करना श्रेष्ठ होता है।
5. हल्दी की माला से "ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः" मंत्र का जाप करना पूजन का श्रेष्ठ तरीका होता है।
6. पूजन के दौरान, काले और नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। शिक्षा में अवरोध आने पर मां सरस्वती को आहुति देनी चाहिए।
सरस्वती पूजन मंत्र -- १/ Saraswati Puja Mantra Number-1:
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वरदंडमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।1।
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्वयापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ।।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवती बुद्धिप्रदां शारदाम् ।।
सरस्वती पूजन मंत्र --२/ Basant panchami Mantra Number-2:
सरस्वतीनमस्तुभ्यंवरदेकामरूपिणी, विद्यारम्भंकरिष्यामिसिद्धिर्भवतुमेंसदा।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, देवी रति और भगवान कामदेव की भी पूजा की जाती है, और इस संस्कार को षोडशोपचार पूजन कहा जाता है।
षोडशोपचार पूजा मंत्र:/ Shodashopachara Puja Mantra:
ॐविष्णुःविष्णुःविष्णुः, अद्यब्रह्मणोवयसःपरार्धेश्रीश्वेतवाराहकल्पेजम्बूद्वीपेभारतवर्षे,
अमुकनामसंवत्सरेमाघशुक्लपञ्चम्याम्अमुकवासरेअमुकगोत्रःअमुकनामाहंसकलपाप - क्षयपूर्वक - श्रुति -
स्मृत्युक्ताखिल - पुण्यफलोपलब्धयेसौभाग्य - सुस्वास्थ्यलाभायअविहित - काम - रति - प्रवृत्तिरोधायमम
पत्यौ/पत्न्यांआजीवन - नवनवानुरागायरति - कामदम्पतीषोडशोपचारैःपूजयिष्ये।
वसंत पंचमी के दिन दंपतियों द्वारा षोडशोपचार मंत्र विधि से देवी रति और भगवान कामदेव का पूजन करने पर वे संतुष्ट और आनंदमय दांपत्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
देवी रति और भगवान कामदेव के मंत्र/ Devi Rati and Lord Kama’s Chants
ॐवारणेमदनंबाण - पाशांकुशशरासनान्।
धारयन्तंजपारक्तंध्यायेद्रक्त - विभूषणम्।।
सव्येनपतिमाश्लिष्यवामेनोत्पल - धारिणीम्।
पाणिनारमणांकस्थांरतिंसम्यग्विचिन्तयेत्।।
वसंत पंचमी विशेष क्यों है?/ Why is Vasant Panchami Special?
कई शुभ मुहूर्तों में, वसंत पंचमी का "अभुज समय" विशेष होता है।
- इस दौरान विवाह और अन्य समारोह किए जा सकते हैं।
-इस ऋतु के दौरान, ज्ञान और विज्ञान के मेल को सर्वोत्तम रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
- इस समय के दौरान, संगीत, रचनात्मकता और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
- इस समय के दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में बाधाएं आने पर मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
वसंत पंचमी के दिन नए कार्यों में सफलता/ New Work will attain Success on Vasant Panchami.
वसंत पंचमी के दौरान नए कार्यों को शुरू किया जा सकता है। वसंत पंचमी के दौरान गृह प्रवेश संस्कार किया जा सकता है। बसंत पंचमी के दिन सर्वोत्तम परिणामों के लिए नए व्यवसायों (इसके संबंधित अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं) के सौदे किए जा सकते हैं। इसी तरह, इस समय के दौरान सभी प्रकार के विलंबित कार्य करके इच्छित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
बौद्धिक रूप से आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?/ How to get Blessed Intellectually?
- इस दिन सरस्वती पूजन का अत्यधिक महत्व होता है।
- इस दिन देवी सरस्वती के सामने नील सरस्वती मंत्र का जाप करना चाहिए.
- इस दिन अज्ञान का नाश होता है।
- इस दिन ज्ञान और बुद्धि को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
वसंत बसंती पर ग्रहों की स्थिति को मजबूत करने के दस तरीके/ 10 Ways to Strengthen the positioning of Planets on Vasant Basanti
1. बुद्ध/Mercury के कमजोर होने पर बुद्धि क्षीण होने लगती है।
2. इस परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए मां सरस्वती की आराधना की जा सकती है।
3. मां सरस्वती को हरे रंग के फल अर्पित करने चाहिए।
4. बृहस्पति/Jupiter कमजोर होने पर ज्ञान प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
5. ऐसी स्थिति से बचने के लिए वसंत पंचमी/Basant Panchami के दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
6. वसंत पंचमी के दिन पूजन करते समय पीले फलों और फूलों का प्रयोग करना चाहिए।
7. शुक्र के कमजोर होने पर बेचैनी बनी रह सकती है।
8. करियर का चुनाव करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है (इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक किया जा सकता है)।
9. ऐसी स्थिति में मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
10. मां सरस्वती के पूजन के लिए सफेद फूलों का प्रयोग करना चाहिए।
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