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अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया को हिन्दू कैलेंडर के सबसे शुभ अवसरों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष भारत और नेपाल में मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण हिंदू पर्व/Hindu Festivals को अकती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय शब्द का अर्थ है- "अनंत" या "स्थायी" जबकि तृतीया का अर्थ है- "तीसरा" शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया/Akshaya Tritiya अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं।
अक्षय तृतीया पूजा का मुहूर्त, तिथि और समय
इस वर्ष 22 अप्रैल 2023 की सुबह 07 बजकर 50 मिनट से तृतीया तिथि की शुरुआत होगी और 23 अप्रैल की सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इस दिन, पूजा का मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दौरान आरंभ किए गए शुभ कार्य समृद्धि और सफलता प्रदान करते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व/ Importance of Akshaya Tritiya
अक्षय तृतीय का यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर/Hindu Panchang में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर, अप्रैल या मई में आता है। अक्षय तृतीया का यह शुभ दिन बेहद ही महत्वपूर्ण है
• इसे नए उद्यमों को शुरू करने या निवेश करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
• इस दिन सोना खरीदने से सौभाग्य और समृद्धि आती है।
• इस दिन किए जाने वाले धार्मिक और मांगलिक कार्य अत्यंत लाभकारी होते हैं।
• भारत के कुछ क्षेत्रों में फसलों की कटाई की शुरुआत वाले इस दिन, किसान अपने औजारों तथा पशुधन की सेवा और सम्मान करते हैं।
• जैन संप्रदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण यह दिन, जैन धर्म के प्रारंभिक तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
• इसके अलावा, इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना पुण्य कार्य माना जाता है जो व्यक्ति के अच्छे कर्मों में वृद्धि करने के साथ ही, आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है।
• आत्मा को शुद्ध करने और पापों को दूर करने के लिए, इस दिन गंगा जी में डुबकी लगाना शुभ होता है।
• इस दिन पितृ श्राद्ध भी किया जा सकता है। साथ ही, ब्राह्मणों को जौ, दही-चावल और दुध से बनीं वस्तुएं जैसी वस्तुएं देने का सलाह दी जाती है। विशेष रूप से, कम उम्र वाले अपने पूर्वजों या पितरों के सम्मान में श्राद्ध और तर्पण करने का यह एक श्रेष्ठ समय माना जाता है।
• इसी दिन भगवान परशुराम और हयग्रीव ने अवतार लिया था और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था।
• साथ ही, इसी दिन श्री बद्रीनाथ जी के कपाट भी खुलते हैं।
अक्षय तृतीया व्रत और पूजन विधि/ Akshaya Tritiya fast and worship method
व्यापक रूप से, शुभ माने जाने वाले इस अवसर के दिन किए गए अच्छे कार्यों के परिणामस्वरूप, विविध प्रतिफल और कृपा प्राप्त होती है जिसका एक तरीका व्रत और पूजा-अर्चना करना है। इसकी व्रत और पूजन विधि इस प्रकार है:
अक्षय तृतीया व्रत:
सौभाग्य, समृद्धि और सफलता देने वाले इस व्रत को करने से तन, मन, और आत्मा को शुद्ध करके ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन, मंदिर जाकर भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करके, पीले फूलों की माला या पवित्र तुलसी के पौधे को पीला फूल अर्पित करना चाहिए जो सौभाग्य और समृद्धि लाता है। यद व्रत, सूर्योदय से सूर्यास्त तक या पूरे दिन के लिए रखा जाता है। जहां, कुछ लोग निर्जल उपवास रखते हैं वहीं, कुछ लोग फल और दूध का सेवन करते हैं।
अक्षय तृतीया पूजन विधि:
1. पूजा वेदी की सफाई करें और फूलों, रंगोली और अन्य पारंपरिक सजावट से सजाएं।
2. पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति लगाएं।
3. दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
4. अक्षय तृतीया व्रत कथा का पाठ करें।
5. देवताओं को अक्षत (हल्दी मिश्रित चावल)चढ़ाने के साथ ही, पूजन वेदी के चारों ओर छिड़कें।
6. "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" या मंत्र का जाप करना चाहिए।
7. इसके बाद आरती करें और परिवार के लोगों को प्रसाद का वितरण करके पूजा का समापन करें।
8. साथ ही, इस शुभ दिन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान अवश्य करना चाहिए।
अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है/why is Akshaya Tritiya celebrated?
हिंदू धर्म में, अक्षय तृतीया कई महत्वपूर्ण मान्यताओं और विचारों से संबंध रखती है जैसे
• यह दिन, महर्षि जमदग्नि और माता रेणुकादेवी से जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की पूजा-अर्चना को समर्पित है।
• इसी दिन माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं इसलिए ही इस दिन पवित्र गंगा जी में डुबकी लगाने से, व्यक्ति अपने पापों और गुनाहों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाता है।
• इस दिन अन्न प्रदान करने वाली वाली मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन मनाया जाता है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गरीबों को भोजन कराना, देवी अन्नपूर्णा की कृपा बनाए रखने और रसोई को भरा-पूरा रखने का एक महत्वपूर्ण संस्कार है।
• इस दिन ही, महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना आरंभ की थी इसलिए इस दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना शुभ माना जाता है।
• इस दिन गणेशजी और माता लक्ष्मी का पूजन करने के बाद, नए खाते और नए बिजनेस की शुरूआत की जाती है जिसे बंगाल में 'हलखाता' के नाम से भी जाना जाता है।
• इसके अलावा, कुबेर और माता लक्ष्मी का सम्मान देते हुए, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
• इसी दिन, पांडवों के पुत्र युधिष्ठिर को हमेशा भोजन से भरपूर रहने वाले अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इस दिन लोगों द्वारा नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव जी को जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और भीगी हुई चने की दाल अर्पित की जाती है।
अक्षय तृतीया कथा/Akshaya Tritiya Katha
एक बार युधिष्ठिर के अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में पूछने पर, भगवान कृष्ण ने इस दिन के शुभ होने के महत्व को वर्णित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति इस दिन स्नान के बाद धार्मिक अनुष्ठान करके, जरूरतमंदों को दान करता है उसका कल्याण होता है। स्वर्ण युग की शुरुआत को दर्शाने वाले इस दिन से संबंधित एक प्रसिद्ध कथा यह है कि प्राचीन काल में सत्यता पर विश्वास करने वाला धर्मदास नामक वैश्य अपने परिवार के साथ रहता था। अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में जानकर, उसने इस दिन गंगा स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को विधि-विधान के साथ लड्डू, पंखे, जल से भरा जग, जौ, गेहूं, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना, कपड़े आदि का दान किया। धर्मदास की पत्नी उसे मना करती लेकिन, वह प्रत्येक अक्षय तृतीया को इसी प्रकार दान-पुण्य करता। अपनी भक्ति और दानशीलता के कारण, अगले जन्म में उसने कुशावती के राजा के रूप में जन्म लिया। माना जाता है कि पूर्वजन्म में किए गए दान के प्रताप से ही उसे राजयोग मिला तथा इस दिन किए गए दान के प्रभाव से ही, वह बहुत धनी और प्रतापी राजा बना।
अन्य कथा
एक बार की बात है विष्णु शर्मा नाम का एक गरीब किसान अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। प्रतिदिन कड़ी मेहनत करने पर भी, परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं हो पाता था। जब उसने अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में सुना तो उसने इस शुभ दिन पर विशेष पूजा-अर्चना करने का निर्णय लिया। तब, उसने इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद, मंदिर जाकर पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना की।
पूजा समाप्त करने के बाद घर लौटने पर, उसे अपने दरवाजे के बाहर सोने का एक छोटा सा टुकड़ा मिला जिसे देखकर उसके आश्चर्य का ठिकाना ना रहा। उसने इसे ईश्वर का आशीर्वाद समझकर, इसका प्रयोग अपने खेत के लिए बीज खरीदने में किया जिससे उस वर्ष उसकी फसल की पैदावार सामान्य से बहुत अधिक हुई परिणामस्वरूप, अतिरिक्त फसल को बेचकर उसने अच्छा लाभ अर्जित किया। अगले वर्ष, उस लाभ को अपने खेत में निवेश करने पर, फिर अच्छी पैदावार हुई। इस तरह कुछ वर्षों में ही, विष्णु शर्मा एक समृद्ध और धनी व्यक्ति बन गया। इस प्रकार, इस दिन के महत्व को समझकर वह प्रत्येक अक्षय तृतीया पर पूजा करता और अपनी कुछ संपत्ति गरीबों और जरूरतमंदों को दान करता। विष्णु शर्मा की यह कथा हमें सिखाती है कि अक्षय तृतीया पर अच्छे कर्म करने से, ईश्वर की कृपा बनी रहती है और जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
दिव्य दर्शन/divine vision
अक्षय तृतीया के दिन जहां, श्री बद्रीनारायण जी के कपाट खुलते हैं वहीं, वृंदावन में श्री बांके बिहारी जी मंदिर में 'श्री विग्रह' के दर्शन होते हैं क्योंकि शेष वर्ष के दौरान, बांके बिहारी जी के चरणों को वस्त्रों से ढक कर रखा जाता है। इस दिन, श्री बद्रीनारायण ठाकुर जी को विराजमान करके या मंदिर जाकर, उन्हें भीगी हुई चने की दाल और मिश्री अर्पित की जाती है। माना जाता है कि इस दिन ही भगवान परशुराम का अवतार हुआ था। धर्मार्थ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण इस पर्व के दिन ही, महाभारत युद्ध के साथ ही, द्वापर युग का अंत हुआ था। इस दिन 'सत्तू' का सेवन करना, नए वस्त्र और आभूषण धारण करना तथा गौ, जमीन और स्वर्ण-पात्र का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार भी, इस दिन वसंत ऋतु का अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ होता है। इसे दान का महापर्व भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, इस दिन दान धर्म करने से वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया के दिन दान का महत्व/What should we donate on the day of Akshaya Tritiya?
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कुमकुम का दान करने से जीवन में प्रतिष्ठा प्राप्ति के साथ ही, पति की दीर्घायु सुनिश्चित होती है।
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पान के पत्तों का दान करने से, शासक बनने में मदद मिलती है।
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बिस्तर या गद्दा दान करने से, समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
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चप्पलों का दान करने से, इस जीवनकाल के बाद नरक जाने से बचा जा सकता है।
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वहीं, नारियल का दान करने से पिछली सात पीढ़ियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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गरीबों को वस्त्र दान करने से व्यक्ति रोगों से मुक्त होता है।
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ब्राह्मण को सुपारी के साथ जल देने से अपार धन की प्राप्ति होती है।
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इसके अलावा, फलों का दान करने से जीवन में उच्च पद की प्राप्ति में मदद मिलती है।
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दूध, मक्खन और छाछ का दान करने से शिक्षण संबंधी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
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अनाज का दान करने से व्यक्ति अकाल मृत्यु से बचा रहता है।
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इसके अतिरिक्त, तर्पणम् करने से व्यक्ति को दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
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इस दिन, दही-चावल खाने से नकारात्मकता को दूर करने के साथ ही, जीवन में लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
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गुरु दक्षिणा देने से व्यक्ति को अपार ज्ञान की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया पर सोना क्यों खरीदा जाता है/Why is Gold bought on Akshaya Tritiya?
ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की कृपा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर, अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन सोना खरीदकर देवी लक्ष्मी को आमंत्रित किया जाता है जो सौभाग्य, आनंद और आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है तथा इसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन सूर्य और चंद्रमा की स्थिति सोने में निवेश करने के लिए आदर्श मानी जाती है और इसे सोना खरीदने के लिए एक शुभ दिन बनाती है इसलिए, अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी करना, भारत की एक लोकप्रिय परंपरा बन गई है जिसे भविष्य के लिए एक अच्छा निवेश भी माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर क्या करें/Things to do on Akshaya Tritiya:
1. दान-पुण्य करना: दान-पुण्य करने वाले इस शुभ दिन, कृपा और अच्छे कर्म अर्जित करने के लिए गरीबों, जरूरतमंदों या धर्मार्थ संगठनों को दान करना चाहिए।
2. सोने की खरीदारी: समृद्धि और सौभाग्य पाने के लिए, इस दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
3. तर्पणम् करना: अपने पूर्वजों का तर्पण करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
4. पवित्र नदियों में स्नान: पापों को धोकर, आत्मा को शुद्ध करने के लिए गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
5. व्रत का पालन: अक्षय तृतीया के व्रत का पालन करना अत्यंत शुभ होता है जिससे ईश्वर की कृपा बनी रहती है और अच्छे कर्म अर्जित करने में मदद मिलती है।
अक्षय तृतीया पर क्या करें/Things to do on Akshaya Tritiya:
1. दान-पुण्य करना: दान-पुण्य करने वाले इस शुभ दिन, कृपा और अच्छे कर्म अर्जित करने के लिए गरीबों, जरूरतमंदों या धर्मार्थ संगठनों को दान करना चाहिए।
2. सोने की खरीदारी: समृद्धि और सौभाग्य पाने के लिए, इस दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
3. तर्पणम् करना: अपने पूर्वजों का तर्पण करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
4. पवित्र नदियों में स्नान: पापों को धोकर, आत्मा को शुद्ध करने के लिए गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
5. व्रत का पालन: अक्षय तृतीया के व्रत का पालन करना अत्यंत शुभ होता है जिससे ईश्वर की कृपा बनी रहती है और अच्छे कर्म अर्जित करने में मदद मिलती है।
अक्षय तृतीया पर क्या न करें
1. पेड़-पौधों को काटने से बचें: इस दिन पेड़-पौधों को काटने से दुर्भाग्य और नकारात्मकता आती है।
2. नकारात्मकता से बचें: नकारात्मक विचार रखने पर, इस शुभ दिन की सकारात्मक ऊर्जा बाधित होती है।
3. मांसाहारी भोजन से बचें: इस दिन मांसाहारी भोजन करने से भी दुर्भाग्य और नकारात्मकता आती है।
4. चमड़े की चीजें खरीदने से बचें: अक्षय तृतीया पर चमड़े की चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है।
5. बहस या विवादों से बचें: इस दिन बहस या संघर्षों में उलझने से दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा आती है इसलिए शांति और सकारात्मकता बनाए रखना बेहतर होता है।
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