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जन्म कुंडली के आधार पर गर्भ धारण करने का सबसे अच्छा समय।

conceiving a baby

बच्चे की योजना का सीधा संबंध गर्भ धारण करने के समय से होता है। वांछित प्रकृति और चरित्र वाले संतान की प्राप्ति के लिए गर्भ धारण करने के समय का पता होना जरूरी होता है। इस लेख के जरिए आपको प्राचीन ज्योतिष विज्ञान/ancient science Astrology के बारे में पता चलेगा, जिससे आप गर्भ धारण करने का एक दम सटीक समय का पता लगा सकते हैं। इस लेख के जरिए आप गर्भावस्था में ज्योतिष की महत्वता को समझेंगे। जब आप बच्चे की योजना वाले इस लेख को पढ़ते हैं तो यह बाल लिंग और अन्य अच्छे गर्भावस्था संयोजनों के भविष्यवाणी के बिंदु को भी स्पर्श करता।

यह ज्योतिषीय उपकरण एक मिलान कारक के आधार पर कार्य करता है, जिसके बारे में हर दंपत्ति जोड़े को पता होना चाहिए। यह उपकरण उनके लिए सबसे ज्यादा कारगर साबित हो सकता है, जो अपने संतान के लिए अपनी जन्म कुंडली के आधार पर उत्तम समय/ best time to plan child according to date of birth का पता लगा सकते हैं। इसके जरिए मैं जातक को संतान की विशेषता के बारे में भी बता सकता हूं, जो इस यूनियन या संयोजन के दौरान जन्मे हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति बच्चों की तरफ देख रहे हैं या उनके बारे में सोच रहे हैं, उन्हें यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए। इस लेख के जरिए वह अपनी संतान के लिए अपनी जन्मतिथि के आधार पर उपयुक्त समय और शुभ समय/ best time to plan a child according to date of birth का पता लगा सकते हैं।

गर्भावस्था में ज्योतिष का महत्वता/ Role of astrology in pregnancy

गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका इस प्राचीन वैदिक विज्ञान के कई मिथकों और पौराणिक कथाओं का अप्रत्यक्ष संदर्भ है। पहले के समय में विद्वान संतों और समाज ने बेहतर गर्भावस्था के लिए कुछ नियम तैयार किए थे। और आपको उन नियमों में से किसी भी नियम से अच्छी गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका को जान सकते हैं। ज्योतिष एक वैदिक विज्ञान है, और यदि आप गर्भावस्था में ज्योतिष की महत्वता को जानने का प्रयास करना चाहते हैं तो आपको कुछ मान्यताओं को समझना होगा। इस लेख को पढ़ कर आप गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका/ role of astrology in pregnancy को समझने में सक्षम हो जाएंगे।

यह ज्योतिषीय उपकरण एक मिलान कारक के आधार पर कार्य करता है, जिसके बारे में हर दंपत्ति जोड़े को पता होना चाहिए। यह उपकरण उनके लिए सबसे ज्यादा कारगर साबित हो सकता है, जो अपने संतान के लिए अपनी जन्म कुंडली के आधार पर उत्तम समय/ best time to plan child according to date of birth का पता लगा सकते हैं। इसके जरिए मैं जातक को संतान की विशेषता के बारे में भी बता सकता हूं, जो इस यूनियन या संयोजन के दौरान जन्मे हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति बच्चों की तरफ देख रहे हैं या उनके बारे में सोच रहे हैं, उन्हें यह लेख जरूर पढ़ना चाहिए। इस लेख के जरिए वह अपनी संतान के लिए अपनी जन्मतिथि के आधार पर उपयुक्त समय और शुभ समय/ best time to plan a child according to date of birth का पता लगा सकते हैं।

गर्भावस्था में ज्योतिष का महत्वता/ Role of astrology in pregnancy

गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका इस प्राचीन वैदिक विज्ञान के कई मिथकों और पौराणिक कथाओं का अप्रत्यक्ष संदर्भ है। पहले के समय में विद्वान संतों और समाज ने बेहतर गर्भावस्था के लिए कुछ नियम तैयार किए थे। और आपको उन नियमों में से किसी भी नियम से अच्छी गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका को जान सकते हैं। ज्योतिष एक वैदिक विज्ञान है, और यदि आप गर्भावस्था में ज्योतिष की महत्वता को जानने का प्रयास करना चाहते हैं तो आपको कुछ मान्यताओं को समझना होगा। इस लेख को पढ़ कर आप गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका/ role of astrology in pregnancy को समझने में सक्षम हो जाएंगे।

ज्योतिष में कुछ ग्रहों के संयोजन होते हैं जो गर्भावस्था के अच्छे और बुरे समय का संकेत दे सकते हैं। कुछ ज्योतिषीय संयोजन हैं, जो गर्भावस्था का संतान और मां के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र में जन्म तिथि के अनुसार/ According to date of birth in astrology लग्नेश समेत विशिष्ट घरों में शुभ ग्रह भी अच्छे या बुरे गर्भधारण के समय का संकेत देते हैं। इसी प्रकार ज्योतिष में संतान के बारे में योजना बनाना कुछ कारकों के ऊपर निर्भर करता है जैसे – ज्योतिष के अनुसार उस समय कुछ विशेष दिन या कुछ विशेष घंटे को नजरअंदाज करना जिसके कारण यह योजना सफल नहीं हो पाती। इस लेख के अंत तक आपको समझ आ जाएगा कि कौन सा समय आपके लिए गर्भधारण करने के लिए सबसे उचित समय हो सकता है। यह उपकरण जातक को गर्भधारण करने का सबसे शुभ समय के बारे में बता सकता है। यदि आप इस उपकरण का प्रयोग करते हैं तो आपको एक अच्छी संतान मिल सकता है। अब मैं आपको आपकी जन्म कुंडली के आधार पर गर्भधारण और गर्भावस्था की योजना के लिए सबसे शुभ समय के बारे में संकेत दे सकता हूं।

जन्म तिथि के आधार पर गर्भधारण करने का सबसे उत्तम समय/ Good time to conceive according to date of birth

गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका बहुत अहम होता है और इस पूरी प्रक्रिया में जन्मतिथि/कुंडली के अनुसार गर्भधारण करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। लेकिन एक ज्ञानी वैदिक ज्योतिष ही इस विषय में आपकी सहायता कर सकते हैं। गर्भधारण करने के लिए सबसे उत्तम योग के संयोजन नीचे दिए गए हैं।

  • यौन क्रिया के दौरान, आपकी जन्म कुंडली में लग्न या चंद्रमा से दूसरे/Second House, चौथे/Fourth House, सातवें/Seventh House, नौवें/Ninth House और दसवें भाव/Tenth House में शुभ भाव का होना बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस संयोजन का आपकी कुंडली में होने के कारण यह बेहद शुभ योग साबित हो सकता है।
  • युति, लग्न और चंद्रमा से शुभ ग्रहों का आंकलन और लग्न या चंद्रमा का एकादश भाव में दुर्बल अवस्था में होना।
  • सूर्य या गुरू की दृष्टी लग्नेश या चंद्रमा में हो।
  • अवधारणा कुंडली/Concept Horoscope के लग्न की नवमशपति, भ्रूण के आकार, रंग रूप और प्रकृति को प्रभावित कर सकती है।
  • यदि यैन संबंध के दौरान आपकी कुंडली में एक से ज्यादा ग्रह होंगे, तो बच्चे के गुण और दोष उन ग्रहों के ऊपर निर्भर करेगा जो लग्न से केंद्र, दूसरे/ Second House, पांचवे/ Fifth House, आठवें/ Eight House, या ग्यारहवें भाव/Eleventh House में होगा।
  • यदि लग्न, चंद्रमा और गुरु विषम राशि और विषम नवमासा में हो, तो यह संयोजन बताता है कि जातक को उसके मन अनुसार संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके विपरीत, लग्न, चंद्रमा, और गुरु दूसरे प्रकार की संतान देता है, जब यह सभी एक ही राशि में मौजूद हो।

यदि अच्छी गर्भधारण करने का शुभ योग हो, तो ज्योतिष में इस विषय के संदर्भ में बुरे योग भी होते हैं। अब मैं उन संयोजन के बारे में बात करते हैं जो ज्योतिष के अनुसार अशुभ योग के बारे में बता सकता है।

जन्म तिथि के आधार पर गर्भधारण करने का सबसे उत्तम समय/ Good time to conceive according to date of birth

गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका बहुत अहम होता है और इस पूरी प्रक्रिया में जन्मतिथि/कुंडली के अनुसार गर्भधारण करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। लेकिन एक ज्ञानी वैदिक ज्योतिष ही इस विषय में आपकी सहायता कर सकते हैं। गर्भधारण करने के लिए सबसे उत्तम योग के संयोजन नीचे दिए गए हैं।

  • यौन क्रिया के दौरान, आपकी जन्म कुंडली में लग्न या चंद्रमा से दूसरे/Second House, चौथे/Fourth House, सातवें/Seventh House, नौवें/Ninth House और दसवें भाव/Tenth House में शुभ भाव का होना बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस संयोजन का आपकी कुंडली में होने के कारण यह बेहद शुभ योग साबित हो सकता है।
  • युति, लग्न और चंद्रमा से शुभ ग्रहों का आंकलन और लग्न या चंद्रमा का एकादश भाव में दुर्बल अवस्था में होना।
  • सूर्य या गुरू की दृष्टी लग्नेश या चंद्रमा में हो।
  • अवधारणा कुंडली/Concept Horoscope के लग्न की नवमशपति, भ्रूण के आकार, रंग रूप और प्रकृति को प्रभावित कर सकती है।
  • यदि यैन संबंध के दौरान आपकी कुंडली में एक से ज्यादा ग्रह होंगे, तो बच्चे के गुण और दोष उन ग्रहों के ऊपर निर्भर करेगा जो लग्न से केंद्र, दूसरे/ Second House, पांचवे/ Fifth House, आठवें/ Eight House, या ग्यारहवें भाव/Eleventh House में होगा।
  • यदि लग्न, चंद्रमा और गुरु विषम राशि और विषम नवमासा में हो, तो यह संयोजन बताता है कि जातक को उसके मन अनुसार संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके विपरीत, लग्न, चंद्रमा, और गुरु दूसरे प्रकार की संतान देता है, जब यह सभी एक ही राशि में मौजूद हो।

यदि अच्छी गर्भधारण करने का शुभ योग हो, तो ज्योतिष में इस विषय के संदर्भ में बुरे योग भी होते हैं। अब मैं उन संयोजन के बारे में बात करते हैं जो ज्योतिष के अनुसार अशुभ योग के बारे में बता सकता है।

जन्म तिथि के अनुसार गर्भधारण के लिए अशुभ योग/ Bad time to conceive according to date of birth

जहां शुभ योग होते हैं, वहां अशुभ योग भी होते हैं। जन्म तिथि के अनुसार गर्भधारण के लिए अशुभ योग के बारे में जानने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझना ज़रूरी है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जो भी व्यक्ति गर्भधारण के बारे में सोचता है, उसके मन में पहला भाव अपने वंश को आगे बढ़ाना होता है।

मनचाहा संतान प्राप्तिक के लिए अच्छा समय, और अनुकूल संयोजन ज्योतिष में जन्म कुंडली के आधार पर अच्छी गर्भावस्था/ good pregnancy according to date of birth in astrology का संकेत देता है। लेकिन कभी कभी कुछ संयोजन के कारण लोगों को मनोकामना पूरी नहीं हो पाती। गर्भधारण करने के लिए बुरे समय के बारे में नीचे लिखा है। 

जन्म तिथि के अनुसार गर्भधारण के लिए अशुभ योग/ Bad time to conceive according to date of birth

जहां शुभ योग होते हैं, वहां अशुभ योग भी होते हैं। जन्म तिथि के अनुसार गर्भधारण के लिए अशुभ योग के बारे में जानने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझना ज़रूरी है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जो भी व्यक्ति गर्भधारण के बारे में सोचता है, उसके मन में पहला भाव अपने वंश को आगे बढ़ाना होता है।

मनचाहा संतान प्राप्तिक के लिए अच्छा समय, और अनुकूल संयोजन ज्योतिष में जन्म कुंडली के आधार पर अच्छी गर्भावस्था/ good pregnancy according to date of birth in astrology का संकेत देता है। लेकिन कभी कभी कुछ संयोजन के कारण लोगों को मनोकामना पूरी नहीं हो पाती। गर्भधारण करने के लिए बुरे समय के बारे में नीचे लिखा है। 

  1. यौन संबंध के दौरान, यदि शनि और मंगल का संयोजन सूर्य से सातवें भाव/Seventh House में हो, तो पति को चंद्रमा से सातवां भाव नुकसान या समस्या की स्थिति में डाल सकता है और पत्नी को गंभीर रोग भी दे सकता है।
  2. यदि मंगल की दृष्टि पड़े, तो मृत्यु का भय भी होता है। यदि सूर्य, चंद्रमा, मंगल और शनि दुर्बल अवस्था में हो या सूर्य या चंद्रमा मंगल या शनि से प्रभावित हो तो सूर्य या चंद्रमा से इसका नकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।
  3. ऊपर के योग में, सूर्य की दोष पिता को और चंद्रमा का माता को समस्या प्रदान करता है। यदि भ्रूण की माता शनि या मंगल हो, तो मृत्यु का योग बनता है।
  4. यदि यौन क्रिया के दौरान आपकी कुंडली में नौवां भाव/Ninth House या नौवें भाव का पाप मंगल या शनि में दिख जाए, तो इसका संबंध मृत्यु से भी हो सकता है। इसके विपरीत मंगल और शनि पर चौथे भाव या चतुर्थ भाव का संबंध होने से मृत्यु का भय मिल सकता है।
  5. राहु-केतु का संबंध चौथे या नौवें भाव से हो और जातक उसी समय यौन क्रिया में लिप्त हो और कुंडली में शुभ भावों का अभाव हो, तो इस स्थिति में जातक को मृत्यु का भय हो सकता है। कारण – ज्योतिष में राहु की स्थिति और केतु को मंगल के रूप में देखा जाता है।

जन्म तिथि में संतान के लिंग का पता करना/ Child gender prediction by date of birth

जी हां, ज्योतिष में कुछ ऐसे उपकरण है जो जातक की संतान के लिंग का पता लगा सकते हैं। ऐसा सिर्फ माता पिता के जन्म कुंडली के आंकलन से किया जा सकता है। एक ज्ञानी ज्योतिष गर्भधारण करने का सटीक समय भी बता सकता है। लेकिन यह अनैतिक है, और मैं व्यक्तिगत तौर पर माता-पिता के जन्म की तारीख से बच्चे के लिंग की भविष्यवाणी/ child gender prediction from date of birth करने को प्रोत्साहित नहीं करता हूं और ना ही किसी और को इस विषय में बात करने को कहता हूं। संतान की योजना कर्म का सबसे अच्छा बिंदु है और यदि आपके ऊपर प्रभु का आशीर्वाद होगा, तो आप एक सुखी और आनंद से पूर्ण जीवन व्यतीत कर पाएंगे। इसलिए मैं जन्मतिथि के आधार संतान के लिंग की भविष्यवाणी नहीं करता हूं। मैं अक्सर लोगों को सलाह देता हूं कि लोग गर्भधारण करने के लिए सर्वोत्तम समय का उपयोग करें और जन्म कुंडली के अनुसार बच्चे की योजना बनाने के लिए बुरे समय से बचें। इसके आगे मैं अपने ज्ञान का प्रयोग नहीं करता। इसके साथ साथ मैं लोगों को बच्चों की जन्म कुंडली बिना किसी ठोस कारण के ज्योतिष के पास ना ले जाने का सहाल देता हूं। संतान की कुंडली बनाना और गर्भधारण करने के सही और गलत समय का पता लगाने के लिए आप किसी ज्ञानी ज्योतिष से मिल सकते हैं लेकिन उनसे बच्चों की कुंडली का आकलन करवाना या अपने होने वाली संतान के लिंग के विषय में भविष्यवाणी करना अनैतिक ज्योतिष अभ्यास है। बहुत सारे व्यक्ति है जो अलग अलग उपकरण का उपयोग करके या कैलकुलेटर का प्रयोग करके अपने होने वाली संतान का लिंग पता करने का प्रयास करते हैं। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं इस अभ्यास से दूर रहता हूं। ऐसा नहीं है कि मुझे संतान लिंग की भविष्यवाणी नहीं आती, लेकिन अनैतिक कार्य करना एक वैदिक ज्योतिषी के लिए अच्छा नहीं होता। यदि आप इस विषय के संदंर्भ में मेरे ज्ञान का मान नहीं रखते हैं, तो मुझे कोई आपत्ती नहीं है।

संतान की योजना के लिए अन्य शुभ संयोजन/ Other combination for good pregnancy to plan a child

प्राचीन आचरण के अनुसार, संभोग या यौन सुख से समृद्धि, मित्रता, साहचर्य, मानसिक परिपक्वता, दीर्घायु, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। यह देखा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति विशिष्ट नियमों का पालन करके गोपनीयता का पालन करता है, तो वह व्यक्ति सभी तरह के रोगों से मुक्त रहता है।

प्राचीन समय में दंपत्ति जोडे हर रात मिलन नहीं करते थे, जैसे आज करते हैं। उनके संबंध का मतलब सिर्फ वंश को आगे बढ़ाना होता था और वह शुभ घड़ी या शुभ समय पर ही यौन क्रिया में लिप्त होते थे, जिससे उन्हें एक अच्छे संतान की प्राप्ति होती थी। पति और पत्नी के स्वास्थ्य रिश्ते के लिए अंतरंग गतिविधियां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिर्फ लालसा के लिए नहीं, बल्कि अपने बीच प्यार को और मज़बूत बनाने के लिए यौन क्रिया में लिप्त होना चाहिए। संभोग के विशिष्ट नियमों को जानकर और इससे कैसे आनंद प्राप्त किया जा सकता है, इसका लाभ उठाया जा सकता है।

संतान की योजना के लिए अन्य शुभ संयोजन/ Other combination for good pregnancy to plan a child

प्राचीन आचरण के अनुसार, संभोग या यौन सुख से समृद्धि, मित्रता, साहचर्य, मानसिक परिपक्वता, दीर्घायु, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। यह देखा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति विशिष्ट नियमों का पालन करके गोपनीयता का पालन करता है, तो वह व्यक्ति सभी तरह के रोगों से मुक्त रहता है।

प्राचीन समय में दंपत्ति जोडे हर रात मिलन नहीं करते थे, जैसे आज करते हैं। उनके संबंध का मतलब सिर्फ वंश को आगे बढ़ाना होता था और वह शुभ घड़ी या शुभ समय पर ही यौन क्रिया में लिप्त होते थे, जिससे उन्हें एक अच्छे संतान की प्राप्ति होती थी। पति और पत्नी के स्वास्थ्य रिश्ते के लिए अंतरंग गतिविधियां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिर्फ लालसा के लिए नहीं, बल्कि अपने बीच प्यार को और मज़बूत बनाने के लिए यौन क्रिया में लिप्त होना चाहिए। संभोग के विशिष्ट नियमों को जानकर और इससे कैसे आनंद प्राप्त किया जा सकता है, इसका लाभ उठाया जा सकता है।

पहला नियम – हमारे शरीर में वायु के पांच प्रकार के तत्व होते हैं। यह है वीण, शामे, अपन, उड़ान और प्राण।

ऊपर दिए गए सभी वायु के प्रकार उत्सर्जित मल, मूत्र, शुक्र, गर्भ और मासिक धर्म प्रवाह के बारे में बताते हैं। शुक्र को वीर्य माना गया है, जिसका सीधा संबंध संभोग या यौन क्रिया से होता है। वायु की गति में अंतर होता है, या फिर यह किसी भी प्रकार से दूषित होती है, तो मानव शरीर में मूत्राशय और मलाशय के रोग का संकेत देता है। वायु में बदलाव संभोग की गतिविधि की ताकत पर भी प्रभाव डाल सकता है। इसलिए आपको हवा को शुद्ध और गतिमान रखने के लिए अपना पेट साफ रखना चाहिए और सही समय पर शौचालय का प्रयोग करना चाहिए।

दूसरा नियम – एक जानी मानी किताब – कामसूत्र, आचार्य वात्स्यायन जो इस किताब के लेखक भी है, उन्होने चित्रित किया है कि एक महिला को काम शास्त्र के बारे में उपयोगी ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि इस ज्ञान का उपयोग पुरुष की तुलना में महिला के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है। दोनों ही पति और पत्नी को संभोग के विषय में अच्छी जानकारी प्राप्त होनी चाहिए, तभी दोनों के बीच खुशी का संचार प्रवाह होगा।

तीसरा नियम – शास्त्रों के अनुसार, कुछ ऐसे दिन होते हैं जब पुरुष और महिलाओं को संबंध नहीं बनाना चाहिए जैसे – अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्थी, अष्टमी, रविवार, संक्रांति, समाधिकाल, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, श्रावण मास और ऋतुकाल आदि। इन दिनों के दौरान पति और पत्नी दोनों को ही संबंध बनाने से बचना चाहिए। अन्यथा, जातक अपने जीवन में उन घटनाओं को आमंत्रित करता है जो उनको वित्तीय घाटा या दूसरे प्रकार के नुकसान पहुंचा सकते हैं।

चौथा नियम – रात्रि का पहला घंटा संभोग के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय संभोग करने के कारण संतान धार्मिक, पवित्र, अनुशासित, संस्कारी, प्यार करने वाले माता-पिता, धर्म में काम करने वाले, गौरवशाली और आज्ञाकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि पहले घंटे के बाद राक्षस पृथ्वी पर घूमते हैं, जिसके कारण संतान के अंदर भी राक्षसों के समान गुण समा सकते हैं। पहले घंटे के बाद के बाद के समय को सबसे अशुभ घड़ी माना जाता है क्योंकि इस समय जातक को कोई शारीरिक समस्या हो सकती है।

पांचवां नियम – यह नियम महर्षि वात्स्यायन ने बनाया था। जो बताता है कि अपने मन अनुसार संतान के लिए योजना कैसे तैयार करें। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

छठा नियम – जब दोनों साथियों में से किसी एक का मूड अच्छा न हो या फिर पर्यावरण अनुकूल ना हो, जातक को यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए। हर व्यक्ति को समझना होगा कि यौन संबंध तभी सफल होता है, जब हर चीज सही जगह पर हो, दोनों साथियों का मूड ठीक हो और दोनों में आपसी सहमति हो।

सातवां नियम – आयुर्वेद के अनुसार, किसी भी दंपत्ति जोड़े को उस समय संभोग नहीं करना चाहिए जब महिला साथी के मासिक हो या दोनों में से किसी भी व्यक्ति को उनके आंतरिक अंग में कोई संक्रमण हो। पौराणिक समय में लोग संभोग करने से पहले और बाद में नहाते थे।

आठवां नियम – व्यक्तियों को पवित्र पेड़ों के नीचे संभोग नहीं करना चाहिए। इसके साथ साथ उन्हें सार्वजनिक स्थान, उद्यान, श्मशान घाट, बूचड़खाने, अस्पताल, औषधालय, मंदिर, ब्राह्मण, गुरु और शिक्षक निवास पर संभोग नहीं करना चाहिए।

नौवां नियम – आप तब तक यौन क्रिया में शामिल ना हो जब तक आप इसके लिए सामाजिक रूप से वैध नहीं हो जाते। यदि आप कर भी लेते हैं, तो आपको भूलना नहीं चाहिए कि कुछ ताकतें होती है जो हर बात का हिसाब रखती है और आपकी कुंडली में इन सबका हिसाब लिखा जाता है।

दसवां नियम – व्यक्तियों को गर्भावस्था का उन्नत चरणों में संभोग नहीं करना चाहिए।

ग्यारहवां नियम – शास्त्र में लिखा गया है कि सुंदर, दीर्घायु और स्वस्थ संतान के लिए शुभ मुहूर्त प्राप्त किया जा सकता है। हमें गदंत, ग्रहण, सूर्योदय और सूर्यास्त की अवधि, नक्षत्र, रिक्त तिथि, दिवा काल, भाद्र, पर्वकाल, अमावस्या, श्राद्ध दिन, गंड तिथि, गंड नक्षत्र और आठवें चंद्रमा के दौरान संभोग नहीं करना चाहिए।

इसलिए गर्भावस्था में ज्योतिष की भूमिका/ Role of astrology in pregnancy भी बढ़ जाती है। इस उपकरण की सहायता से जन्मतिथि के आधार पर गर्भ धारण/Correct time to conceive as per birth date करने का एक दम सटीक समय का पता लगाया जा सकता है। बहुत सारे संयोजन व्यक्ति को स्वस्थ संतान के लिए सहायता कर सकते हैं। संतान के लिए योजना तैयार करना एक बेहद महत्वपूर्ण कारक है और ज्योतिष की सहायता से इस विषय में बहुत सहायता मिल सकती है।

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आप हमारी वेबसाइट से यह भी पढ़ सकते हैं कि जन्म कुंडली के आधार पर ज्योतिष आपको बच्चे को गोद लेने में कैसे मदद करता है, माता-पिता का बच्चों के साथ संबंध, बच्चे का नामकरण: सही बच्चे का नाम और आईवीएफ बच्चे और गर्भावस्था को चुनने में सहायता।

विशिष्ट मार्गदर्शन के लिए, आप नीचे दिए गए तरीकों से संपर्क साध सकते हैं:

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