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शिशु के लिए एक बेहतरीन नाम के चुनाव

Perfect baby name

बच्चों का नामकरण – बच्चे का सही नाम चुनने के लिए एक गाइड/ BABY NAMING: A GUIDE TO CHOOSE PERFECT BABY NAME

जो भी लोग माता-पिता बनते हैं, उनको एक समस्या का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ता है – बच्चों का नाम करण। बहुत सारे धर्मशास्त्र हैं जो बच्चों के नामकरण में सहायता कर सकते हैं, लेकिन उनमें से वैदिक ज्योतिष/Vedic Astrology सबसे अहम किरदार निभाता है। वैदिक ज्योतिष को समझना हर व्यक्ति लिए के आसान कार्य नहीं है। मैंने बहुत सारे लोगों को जन्म के अक्षर पर नाम रखते हुए देखा है।

गलत! क्या जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम गलत है?

हां! कभी कभी यह गलत भी हो सकता है।

बच्चों के नामकरण के लिए ज्योतिषीय गाइड/ Baby Naming Astrology Guide

आपने कभी ना कभी भाव मध्य के बारे में सुना होगा? भाव मध्य वह बिंदु है जो किसी व्यक्ति को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। कोई भी ग्रह जो भाव मध्य के आस पास रहता है, वह सबसे ज्यादा परिणाम देता है, लेकिन परिणाम ग्रह पर निर्भर रहता है। शिशु नाम शास्त्र 'भाव मध्य' सादृश्य का अधिकतम लाभ उठाता है। हर व्यक्ति की कुंडली/Birth Chart में बारह राशियां होती है और हर राशि नौ नवमसा में बंटी होती है। इसका अर्थ यह है कि इसमें कुल मिलाकर 108 नवमसा है जो आपकी कुंडली में मौजूद होते हैं। इन 108 नवमसा को नाम पद या नाम नक्षत्र भी कहा जाता है।  

चलिए मैं उदाहरण के तौर पर एक बात को बताने का प्रयास करता हूं। यदि हम 'ललित' नाम वाले व्यक्ति को संबोधित करते हैं तो हम कर्क राशि के चौथे नवमांश को मजबूत करते हैं। अब यदि चतुर्थ नवमांश कर्क राशि जातक के विजयी भाव में हो, तो यह नाम जातक के लिए लाभकारी साबित हो सकता है और यदि जातक को हारने वाले घर में नवमांश पद हो तो यह नाम जातक के लिए समस्या पैदा कर सकता है।

बच्चों के नामकरण के लिए ज्योतिषीय गाइड/ Baby Naming Astrology Guide

आपने कभी ना कभी भाव मध्य के बारे में सुना होगा? भाव मध्य वह बिंदु है जो किसी व्यक्ति को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। कोई भी ग्रह जो भाव मध्य के आस पास रहता है, वह सबसे ज्यादा परिणाम देता है, लेकिन परिणाम ग्रह पर निर्भर रहता है। शिशु नाम शास्त्र 'भाव मध्य' सादृश्य का अधिकतम लाभ उठाता है। हर व्यक्ति की कुंडली/Birth Chart में बारह राशियां होती है और हर राशि नौ नवमसा में बंटी होती है। इसका अर्थ यह है कि इसमें कुल मिलाकर 108 नवमसा है जो आपकी कुंडली में मौजूद होते हैं। इन 108 नवमसा को नाम पद या नाम नक्षत्र भी कहा जाता है।  

चलिए मैं उदाहरण के तौर पर एक बात को बताने का प्रयास करता हूं। यदि हम 'ललित' नाम वाले व्यक्ति को संबोधित करते हैं तो हम कर्क राशि के चौथे नवमांश को मजबूत करते हैं। अब यदि चतुर्थ नवमांश कर्क राशि जातक के विजयी भाव में हो, तो यह नाम जातक के लिए लाभकारी साबित हो सकता है और यदि जातक को हारने वाले घर में नवमांश पद हो तो यह नाम जातक के लिए समस्या पैदा कर सकता है।

इसलिए नक्षत्र के आधार नाम नहीं रखना चाहिए। लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत नहीं होता, लेकिन इस प्रक्रिया का प्रयोग करके आप शुभ नाम नहीं पा सरके। चलिए मैं इनको एक एक करके समझाने का प्रयास करूंगा।

गलत नाम का चुनाव –

जन्म नक्षत्र का छठे भाव/Sixth House में होना: मान लीजिए कि जन्म नक्षत्र छठे भाव/Sixth House में आता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जब भी कोई जातक का नाम पुकारता है तो जन्म नक्षत्र की ध्वन्यात्मक ध्वनि जातक के छठे भाव को प्रभावित करती है। छठा भाव/Sixth House रोग और शत्रु का कारक होता है। इसका अर्थ यह है कि जातक का नाम उसके शत्रुओं या रोगों के लिए एक मजबूत आधार बन सकता है।

जन्म नक्षत्र का आठवें भाव में नियुक्ती – आठवां भाव/Eight House दुखों, मृत्यु, और लंबी बीमारी के लिए होता है। यह कुंडली का सबसे बुरा त्रिक भाव माना जाता है। यदि जन्म नक्षत्र जातक की कुंडली में आठवें भाव में हो और जातक को नाम उसी आधार पर रखा जाए तो उस जातक के जीवन में दुख हमेशा बढता ही रहता है।

जन्म नक्षत्र का बारहवें भाव/Twelfth House में नियुक्ती – बारहवें भाव को नुकसान का भाव रखा जाता है। यदि जन्म नक्षत्र का नाम बारहवें भाव में हो तो जातक की कुंडली में बारहवां भाव मजबूत हो जाता है। जब जब उसका नाम पुकारा जाएगा, तब तब इस संयोजन के कारण आपको नुकसान हो सकता है।

अब ज़रा सोचिए कि, यदि भगवान ने आपको एक शक्तिशाली उपकरण दिया है तो आप उस उपकरण का उपयोग क्यों ना करें।

जन्मतिथि (अक्षर से शुरू) के अनुसार अपने बच्चे का नाम जानें जो आपके दिमाग को मजबूत करेगा।

अपना नाम जानें (अक्षर शुरू करना) जो आपके शरीर को मजबूत करें।

अपना नाम जानें (अक्षर शुरू करना) जो पितृ दोष को निष्क्रिय।

अपना नाम जानें (अक्षर शुरू करना) जो आपके करियर को मजबूत करें।

अपना नाम जानें (अक्षर शुरू करना) जो आपके धर्म को मजबूत कर सकता है।

एक बार जब आप इसे जान लेते हैं तो फिर जातक का नामकरण या नामकरण संस्कार हो सकता है।

नामकरण के लिए सबसे उचित समय कब होता है?/ When it’s a perfect time for Namakaran?

परंपराओं के अनुसार, नामकरण संस्कार 'जातकर्म' संस्कार की क्रिया के बाद करवाना चाहिए। यह बच्चे के जन्म का जश्न मनाने की औपचारिकता होती है। वर्तमान समय में जन्म के दर में वृद्धि होने के साथ साथ अब लोग ज्योतिष के अनुसार नामकरण या अपनी संतान का नाम रख रहे हैं। वर्तमान समय में यह एक महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है जिसे जन्म से कुछ समय पश्चात ही कराया जाता है। सभी परिस्थितियों को देखने के बाद यह बात समझ आती है कि नामकरण संस्कार जन्म से ग्यारहवें दिन होना चाहिए। 'सुतिका' या 'शुद्धिकरण' विधि से ठीक पहले जब मां और बच्चे को गहन प्रसवोत्तर देखभाल के लिए कैद किया जाता है। इसलिए, ग्यारहवां दिन भी आम तौर पर निश्चित नहीं होता है और यह माता-पिता द्वारा ज्योतिषियों की सलाह के आधार पर तय किया जा सकता है और यह बच्चे की पहली जयंती तक भी स्थगित किया जा सकता है।

पारंपरिक हिंदू अभ्यास/ The Traditional Hindu Practice

नामकरण के लिए सबसे उचित समय कब होता है?/ When it’s a perfect time for Namakaran?

परंपराओं के अनुसार, नामकरण संस्कार 'जातकर्म' संस्कार की क्रिया के बाद करवाना चाहिए। यह बच्चे के जन्म का जश्न मनाने की औपचारिकता होती है। वर्तमान समय में जन्म के दर में वृद्धि होने के साथ साथ अब लोग ज्योतिष के अनुसार नामकरण या अपनी संतान का नाम रख रहे हैं। वर्तमान समय में यह एक महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है जिसे जन्म से कुछ समय पश्चात ही कराया जाता है। सभी परिस्थितियों को देखने के बाद यह बात समझ आती है कि नामकरण संस्कार जन्म से ग्यारहवें दिन होना चाहिए। 'सुतिका' या 'शुद्धिकरण' विधि से ठीक पहले जब मां और बच्चे को गहन प्रसवोत्तर देखभाल के लिए कैद किया जाता है। इसलिए, ग्यारहवां दिन भी आम तौर पर निश्चित नहीं होता है और यह माता-पिता द्वारा ज्योतिषियों की सलाह के आधार पर तय किया जा सकता है और यह बच्चे की पहली जयंती तक भी स्थगित किया जा सकता है।

पारंपरिक हिंदू अभ्यास/ The Traditional Hindu Practice

बच्चे के माता और पिता एक पुजारी की उपस्थिति में प्राणायाम और प्रार्थना के साथ नामकरण अनुष्ठान को शुरू करते हैं। पिता की अनुपस्थिति में दादा और बच्चे के चाचा नामकरण संस्कार की क्रिया को अंजाम देते हैं। इस क्रिया में अग्नि देव की पूजा होती है जो संतान को सुख की प्राप्ति कराता है।

कुछ चावल कांसे की थाली या अन्य किसी बर्तन में फैलाया जाता है और पिता भगवान का नाम लेकर एक सोने की छड़ी से चुने हुए नाम को लिखते हैं। उसके पश्चात पिता अपने बच्चे का नाम उसके कान में चार बार पुकारते हैं। परिवार के सदस्य जो वहां मौजूद होते हैं, वह पुजारी द्वारा इस नाम को औपचारिक रूप से स्वीकार करने के बाद कुछ शब्द को बार बार दोहराते हैं। इसके बाद घर के सभी बुजुर्ग लोग शिशु को आशीर्वाद देते हैं और साथ में कुछ तोहफे भी देते हैं और फिर यह नामकरण संस्कार खत्म हो जाता है। आम तौर पर पारिवारिक ज्योतिषी भी इस कार्यक्रम में मौजूद होता है।

नाम का चुनाव/Selecting a Name

आम तौर पर हिंदू परिवार संतान के के नाम करण संस्कार के लिए वैदिक ज्योतिष का प्रयोग करते हैं। नाम का पहला अक्षर शुभ होता, जो पांच मूल कारणों पर आधारित होता है। यह पांच मूल कारक संतान के नामकरण में पहले अक्षर का पता लगाने में सहायक साबित हो सकते हैं।

1.       जनम नक्षत्र नाम (चंद्र नक्षत्र के द्वारा, बच्चे के जन्म नक्षत्र से बना, जन्म के समय और जन्म तिथि पर ग्रहों की स्थिति, और चंद्रमा राशि);

2.       मसनाम (बच्चे के जन्म के महीने के अनुसार);

3.       देवतानामा (पारिवारिक देवता के बाद);

4.       राशिनामा (बच्चे की राशि के अनुसार); तथा

5.       सम्सारिकनाम (सांसारिक नाम), उपरोक्त सभी के अपवाद के रूप में।

ऐसा माना जाता है कि पुत्र के नाम के अक्षर सम संख्या में होने चाहिए (2,4,6,8) और वहीं पुत्री के नाम में अक्षर विषम संख्या में होना चाहिए (3,5,7,9)। वहीं दोनों ही लिंगों के लिए 11 संख्या बहुत ही शुभ मानी जाती है।

यदि आप हमारे पेज पर मौजूद निःशुल्क कैलकुलेटर का प्रयोग करते हैं तो आपको बहुत सारी जानकारी प्राप्त हो सकती है। इस कैलकुलेटर का प्रयोग करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार 'नक्षत्र' या जन्म नक्षत्र के आधार पर समारोह के दौरान एक वैदिक ज्योतिष गणना के आधार पर शिशु के नाम का चयन करते हैं। यदि पारिवारिक ज्योतिषी/ Family Astrologer अनुपस्थित हैं तो इस क्रिया को कोई भी ज्ञानी ज्योतिषी पूर्ण कर सकता है। लेकिन उसे यह प्रक्रिया संतान की जन्म तिथि, जन्म का समय और स्थान के आधार पर ही करना चाहिए। यदि आपको अपने बच्चे के जन्म तारे का ज्ञात है तो आप नीचे दिए गए टेबल का प्रयोग करके भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस टेबल को ज्योतिष के अनुसार बनाया गया है जिससे आपको अपने संतान के पहले अक्षर का पता लगाने में सहायता मिलता है। इस क्रिया से आप अपनी संतान के लिए शुभ नाम का चयन कर सकते हैं।

नक्षत्र के आधार पर शिक्षु का नाम

 

नक्षत्र

बच्चे का पहला नाम

1

अश्विनी

चू, चे, चो, ला

2

भरणी

ली, लू, ले, लो

3

कृतिका

, , ,

4

रोहिणी

, वा, वी, वू

5

मृगशिरा

वे, वो, का, की

6

आर्द्र

कू, , ,

7

पुनर्वसु

के, को, हा, ही

8

पुष्य

हू, हे, हो, डा

9

अश्लेशा

डी, डू, डे, डो

10

मघा

मा, मी, मू, मे

11

पूर्व फाल्गुनी

मो, टा, टी, टू

12

उत्तरा फाल्गुनी

टे, टो, पा, पी

13

हस्त

पू, , ,

14

चित्रा

पे, पो, रा, री

15

स्वाति

रू, रे, रो, ता

16

विशाखा

ती, तू, ते, तो

17

अनुराधा

ना, नी, नू, ने

18

ज्येष्ठ

नो, या, यी, यू

19

मूल

ये, यो, भा, भी

20

पूर्वाषाढ़ा

भू, धा, फा, ढा

21

उत्तराषाढ़ा

भे, भो, जा, जी

22

श्रवण

खी, खू, खे, खो

23

धनिष्ठा

गा, गी, गू, गे

24

शतभिषा

गो, सा, सी, सू

25

पूर्वभाद्र

से, सो, दा, दी

26

उत्तरभाद्र

दू, , ,

27

रेवती

दे, दो, चा, ची

 

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि एक बार जब आप शिक्षु को नाम देते हैं तो आपको नाम के लिए एक शुभ प्रारंभिक अक्षर खोजने की आवश्यकता होती है। ऐसा माना जाता है कि जब आने वाले वर्षों में बच्चे के नाम को लगातार दोहराया जाएगा, तो यह उसके लिए मंत्र के रूप में कार्य करेगा जो बच्चे के लिए सौभाग्य ला सकता है।

यदि आप इस क्रिया को स्वयं करना चाहते हैं तो नीचे दिया गया क्रमशः आपको शिक्षु के नामकरण में सहायता करता है।

पहला चरण – हमें लग्न का पता लगाना चाहिए।

नीचे दिए गए गणना यंत्र पर क्लिक करके इसे जान सकते हैं। इस पेज पर एक ज्योतिषीय गणना यंत्र है जो इस लेख की शुरुआत में आपको मिल जाएगा। इस लेख के सबसे ऊपर ज्योतिषीय लग्न या जन्म राशि दी जाएगी।

नीचे दिए गए टेबल का प्रयोग करके आप लग्न के अनुसार नाम का पहला अक्षर जान सकते हैं।

 

लग्न

अक्षर

मेष

ए (ए, जैसा एकता है), आ (आ, अर्नोल्ड में), शा (शा, शकर में)

वृषभ

ई (इंजन के रूप में), ईई (ईस्ट के रूप में) यूयू (ओउम के रूप में) शा (जैसा शट के रूप में)

मिथुन

ऊ (उउ के रूप में उषा में), सा (सा के रूप में सूर्य में)

कर्क

गा (गारफील्ड के रूप में) ईए (एडना में) एस (सामंथा के रूप में)

सिंह

औ (ओलिवर के रूप में) ला (लायल के रूप में)

कन्या

ए (ए एन या एंजेला के रूप में)

तुला

का (सीए के रूप में कार्ल में), ग(गा के रूप में गलीना में) डा (डा के रूप में डुडले में)

वृश्चिक

चा (चार्ल्स के रूप में) झा (जॉन के रूप में) झा (जस्टिन के रूप में)

धनु

टा (जैसे टॉम) धा (जैसे धन स्थान) न्हा (जैसे नीना में)

मकर

था (थमारा के जैसे) ध (धर्म के रूप में) ना (ना नताशा के रूप में)

कुंभ

फा (जैसा कि फलीथा में है) भा (बिल) मा (मार्गरेट)

मीन

या (यांकी के रूप में) रा (रेमन के रूप में) ला (लारा के रूप में) वा (वल्या)

 

दूसरा चरण – आपको जन्म नक्षत्र का ज्ञात होना चाहिए

ऊपर दिए गए टेबल का प्रयोग करके आप शिक्षु का नाम रख चुके होंगे।

तीसरा चरण

यदि आप अभी शिक्षु के नाम को चुनने में असमर्थ हैं तो नीचे दिए गए तरीकों से भी अपने बच्चों के नामकरण की प्रक्रिया को चुन सकते हैं।

 

सप्ताह का दिन

अक्षर

रविवार

अ, आ, ले, ली, ऊ, इ, ई, ओ, औ

सोमवार

या, रा, ला, वा, शा, श, सा, ह, ली

मंगलवार

क, ख, ग, घ, गन

बुधवार

त, थ, द, ध, नह

बृहस्पति वार

त, थ, द, ध, नह

शुक्रवार

च, झ, झ, कन, हन

शनिवार

प, फ, ब, भ, म

 

संतान के नामकरण के लिए किसी भी विशिष्ट मार्गदर्शन के लिए आप नीचे मौजूद किसी भी तरह से हमसे सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

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आप बाकी के लेखों को भी पढ़ कर भी हमसे सहायता प्राप्त कर सकते हैं। कैसे ज्योतिष जन्म कुंडली/Natal Chart के आधार पर बच्चे को गोद लेने में मदद करता है, माता-पिता के बच्चे के संबंध, बच्चे को गर्भ धारण करने का सबसे अच्छा समय और आईवीएफ बच्चे और गर्भावस्था।

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