सावन का दूसरा सोमवार इसलिए है बेहद खास, बना है दुर्लभ संयोग

  • 2023-07-16
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हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है, हर महीने कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि, अमावस्या कहलाती है। हिन्दू व्रत की श्रंखला में अमावस्या का व्रत अनेकों दोषों को दूर करने वाला है। सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या व श्रावणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हरियाली अमावस्या का अत्यंत महत्व हिन्दू पुराणों में बताया गया है।  ऐसा माना गया है कि इस अमावस्या पर यदि हम सही तरीके से पितृ तर्पण करें तो अपने पूर्वजों की आत्मा की निश्चित ही शान्ति करवा सकते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पेड़- पौधों की पूजा का भी अत्यंत महत्व है। पेड़- पौधों की पूजा करने से हर प्रकार के कष्टों से राहत मिल जाती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से भी अत्यंत लाभ मिलता है। इस दिन आप अपने नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर, और उनका ध्यान लगा कर भी स्नान कर सकते हैं। हरियाली अमावस्या/Amavasya Vrat के और भी अनेक महत्व हैं जो हम इस लेख के माध्यम से जानेंगें। 

कब है हरियाली अमावस्या?

साल 2023 में हरियाली अमावस्या, 17 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। इस वर्ष सावन अमावस्या तिथि 16 जुलाई को रात 10 बजकर 08 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इसका समापन 18 जुलाई की रात 12 बजकर 01 मिनट पर हो जायेगा। ऐसे में सोमवती अमावस्या व्रत 17 जुलाई 2023 को रखा जाएगा

हरियाली अमावस्या पर बन रहे ये अत्यंत लाभदायक ज्योतिषीय संयोग

हरियाली अमावस्या पर एक नहीं दो नहीं, तीन-तीन राजयोगों का निर्माण हो रहा है। शनि ग्रह अपनी राशि कुंभ राशि में शश राजयोग का निर्माण करेंगें, वहीँ मंगल सिंह में रुचक राजयोग बनायेंगें। बृहस्पति अपनी मेष राशि में हंस राजयोग बनायेगें। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार उदया तिथि 17 जुलाई को होने से इस दिन व्रत रखना बहुत ही शुभ माना गया है। अमावस्या पर रखे जाने वाले सभी सभी हिन्दू व्रत की जानकारी हम, अमावस्या व्रत तिथि 2023 के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। हरियाली अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र होने से सिद्धि योग और उसके पश्चात् पुष्य नक्षत्र होने से नक्षत्रों के भी दो-दो शुभ योग बनेंगें। 

ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि ग्रह हैं और इसके उप-स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। गुरु पुष्य योग प्रत्येक कार्य में सफलता प्रदान करवाने वाला योग है। इसमें सोना व ज़मीन खरीदना भी बहुत अच्छा माना गया है। 

हरियाली अमावस्या पर करें पितरों को प्रसन्न

प्रत्येक अमावस्या पितरों की तिथि मानी जाती है। और यही कारण है कि अमावस्या को तंत्र व मंत्र की साधना के लिए विशेष फलदायी माना गया है। अमावस्या तिथि के स्वामी भी पितृदेव हैं। इस अमावस्या पर चंद्रमा अपनी ही राशि कर्क में गोचर करेगा। इन शुभ योगों में पितृ कर्म करना जैसे तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि श्रेष्ठकर माने गए हैं। पितरों की स्मृति में वृक्षारोपण करना भी अत्यंत शुभ फल देता है।  पितृदोष निवारण के लिए यह एक अचूक ज्योतिषीय उपाय है, इससे पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं।

 

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पितरों की शांति के लिए अन्य उपाय

  • हरियाली अमावस्या के दिन किसी पुरोहित या योग्य ब्राह्मण को अपने घर बुलवाकर भोजन करवाएं।
  • किसी पवित्र नदी में स्नान करें व श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी करें।
  • गाय को हरा चारा खिलाएं।
  • इस दिन मछलियों के लिए नदी में आटे की गोलियां बना कर डालें।
  • नदी में काले तिल भी प्रवाहित कर सकते हैं।
  • पितरों की शांति के लिए इस दिन गरीबों को वस्त्र और अन्न का दान करें।
  • पीपल, बड़, आंवला और नीम के पौधें लगाएं।

हरियाली अमावस्या पूजा-विधि

  • प्रातः उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरवोर में जाकर स्नान करें नहीं तो घर में ही अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। 
  • पूजा घर में दीप प्रज्वलन करें।
  • सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पण करें।
  • हरियाली अमावस्या पर आप हिन्दू व्रत भी रख सकते हैं।
  • पितरों के लिए ऊपर बताये गए कार्य करें।
  • तुलसी व पीपल की पूजा करें।
  • ईश्वर का अधिक से अधिक ध्यान धरें।
  • भगवान विष्णु व भोले शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
पीपल की पूजा – अत्यंत लाभदायी

धार्मिक मान्यताओं में पीपल के पेड़ में त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। इस धार्मिक दिन पर पीपल की पूजा अवश्य  करें।

 

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तुलसी की पूजा – माँ लक्ष्मी  का आशीर्वाद

हिंदू व्रत/Hindu Vrat में तुलसी के पौधे को बहुत महत्व दिया गया है। पुराणों के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस पावन दिन पर तुलसी की पूजा ज़रूर करें। इससे भगवान विष्णु व उनकी भार्या लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तुलसी को लक्ष्मी का ही स्वरुप कहा गया है। 

हरियाली अमावस्या पर क्यों लगाने चाहिए पेड़-पौधें?

हरियाली अमावस्या पर स्नान, व्रत और दान के बाद वृक्ष लगाने का विशेष महत्व है। पेड़-पौधों को पितृ स्वरूप माना गया है और यदि हम इस दिन अपनी राशि के अनुसार पौधे लगाते हैं, तो हमें पितृ देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।  हमारे पितृ हमें सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। कुलदली में बनने वाला पितृ दोष/Pitru Dosh शांत होता है।  

 

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हरियाली अमावस्या पर आपकी राशि के अनुसार पौधे लगाएं

हमारी राशि के अनुसार किया गया प्रत्येक कार्य हमें बहुत अच्छे फल देता है। आइयें जानें आपकी राशि के अनुसार कौन सा पौधा लगाना आपके लिए श्रेयस्कर है:

मेष राशि: मेष राशि के लोगों को इस दिन आंवले का पौधा लगाना चाहिए। यह अत्यंत शुभ फल देगा। 

वृष राशि: वृष राशि वालों को हरियाली अमावस्या पर जामुन का पौधा लगाना चाहिए जिससे पितर प्रसन्न हो आप पर कृपा बनाये रखेंगें। 

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लिए चंपा का पौधा लगाना सभी ग्रह दोष दूर करने में सक्षम है। इससे पितृ दोष की भी शांति होगी।  

कर्क राशि: कर्क राशि के लोगों को, पीपल का पौधा लगा सकते हैं। पीपल में देवों का वास माना गया है और इसको लगाने से सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा।  

सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को अशोक का पौधा लगाना चाहिए, यह उनके लिए शुभ फल निश्चित करेगा और सभी ग्रह दोष दूर होंगे। 

कन्या राशि: कन्या राशि वाले बेल का पौधा लगाएं जो शिव जी का अतिप्रिय पौधा है। आप जूही का पौधा भी लगा सकते हैं।  

तुला राशि: तुला राशि के लिए अर्जुन या नागकेसर का पौधा ठीक रहेगा। 

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वाले यदि हरियाली अमावस्या पर नीम का पौधा लगायेंगें तो उन्हें शुभ फल प्राप्त होंगें। 

धनु राशि: धनु राशि वाले को कनेर का पौधा लगाना अति लाभकर है।  

मकर राशि: मकर राशि वालों को शमी का पौधा लगाएं। शमी आपकी राशि के स्वामी शनि को दर्शाता है।  

कुंभ राशि: कुम्भ राशि वालों को शमी, कदंब या आम का वृक्ष लगा सकते हैं।  

मीन राशि: मीन राशि के लोगों को बेर का पौधा लगाना चाहिए यह आपके लिए अत्यंत लाभदायी सिद्ध होगा।

 

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