हिंदू धर्म में सभी व्रतो में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों में बताया भी गया है कि एकादशी व्रत से ज्यादा कुछ और भगवान विष्णु को प्रिय नहीं है। हिंदु मान्यता अनुसार सभी तिथियों में से भगवान विष्णु को एकादशी तिथि सबसे ज्यादा प्रिय है। हिंदु पंचांग/Hindu Panchang, के अनुसार हर माह दो एकादशी तिथि और साल में 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि आखिर इस एकादशी तिथि और व्रत की शुरुआत कब और कैसे हुई थी।
इस तरह प्रकट हुईं माता देवी एकादशी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और दैत्य मुर के बीच भिषण युद्ध चला। उस युद्ध में भगवान विष्णु काफि थक गए और कुछ समय के लिए बद्रिकाश्रम की गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। विश्राम करते समय भगवान विष्णु को नींद आगई और उसि वक्त वहां मुर दैत्य भी पहुंच गया और उसने भगवान विष्णु को नींदा में देख मौके का फायदा उठाते हुए जैसे ही उन पर प्रहार करने चहा, तभी उसी समय श्री विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होनें मुर दैत्य का वध कर दिया। जिस दिन मुर दैत्य का वध हुआ और देवी एकादशी की उत्त्पती वह मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि थी/Ekadashi Vrat Date
भगवान विष्णु ने जब देखा की मुर दैत्य का वध देवी एकादशी ने कर दिया। तो वह उनसे प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि आज से आपको एकादशी के रूप में पूजा जाएगा। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन को एकादशी तिथि के नाम से जाना जाएगा और इस दिन जो भी व्रत रखेंगे और साथ ही साथ मेरी पुजा व आराधना करेंगे। उनके ऊपर मेरी विशेष कृपा सदैव बनी रहेगी। इस प्रकार एकादशी देवी का जन्म हुआ और यह विष्णु प्रिय बनीं और तब से मार्गशीर्ष का महीना ही एकादशी के उदय का श्रोत माना जाता है। जिस कारण इस तिथि को उत्पन्ना एकादशी/Utpanna Ekadashi कहते हैं जिसका अर्थ होता है एकादशी का उदगम और साथ हि इस दिन से एकादशी व्रत का प्रारंभ भी किया जाता है।
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एकादशी व्रत का लाभ
- एकादशी के दिन जो भक्त व्रत का नियम पूर्वक पालन करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। उन्हें सदा ही भगवान नारायण की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में कभी भी कोई कष्ट नहीं आता।
- यह तिथि भगवान विष्णु को सबसे ज्यादा प्रिय होने के कारण इस दिन जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक व्रत रखता है और रात्रि जागरण करता है। उसके अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
- उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।
- मान्यता है कि जो लोग प्रत्येक एकादशी का व्रत रखते हैं। उन्हें सारे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत का नियमित पालन करने से व्यक्ति धन-दौलत से भी संपन्न रहता है।
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