भारतीय संस्कृति में विवाह को एक बहुत ही पवित्र रिश्ता माना जाता है। विवाह करने के लिए कुंडली मिलान को बेहद ही अहम माना जाता है। कुंडली मिलान जिसे गुण मिलान या अष्टकूट मिलान भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वर और वधु की कुंडली का मिलान किया जाता है। कुंडली मिलान को एक सुखी वैवाहिक जीवन की नींव माना जाता है। इसमें दोनों पक्षों के गुणों का मिलान होता है और उस आधार पर यह तय किया जाता है कि यह विवाह हो सकता है या नहीं?
आज भी जब विवाह की बात आती है तो कुंडली मिलान को ही प्राथमिकता दी जाती है। कुंडली मिलान को एक सुखी दांपत्य जीवन का आधार माना जाता है। यदि वर-वधू की कुंडली मिलती है तभी विवाह संपन्न किया जाता है क्योंकि विवाह के लिए कुंडली मिलान आवश्यक माना जाता है।
जन्मतिथि से कुंडली मिलान
एक सफल वैवाहिक जीवन के लिए वर और वधु के बीच गुणों का मिलना बेहद ही जरूरी होता है। जन्मतिथि से कुंडली मिलान करना एक वैदिक ज्योतिषीय प्रक्रिया है। जन्मतिथि से कुंडली मिलान करने के लिए वर और वधु दोनों की जन्मतिथि, जन्म का सटीक समय और जन्म स्थान शामिल होता है। इस जानकारी का उपयोग करके जन्म कुंडली तैयार की जाती है। जन्मतिथि के अनुसार कुंडली मिलान करके वर और वधू के बीच की अनुकूलता और प्रतिस्पर्धा के बारे में पता लगाया जा सकता है।
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कुंडली मिलान में कितने गुणों का मिलान करना चाहिए?
कुंडली मिलान वर और वधू दोनों के कुंडली के आधार पर गुणों का मिलान होता है। कुंडली मिलान के आधार पर ही यह तय होता है कि विवाह होगा या नहीं होगा। ज्योतिष शास्त्र में विवाह के मिलान के लिए कुल 36 गुणों के बारे में बताया गया है। कुंडली मिलान को अष्टकूट गुण मिलान भी कहा जाता है। अष्टकूट मिलान 8 अलग-अलग कारकों या गुणों के आधार वर और वधू की अनुकूलता का आकलन करने के लिए किया जाता है। हर गुण का अपना एक अलग अंक होता है। इसके आधार पर ही यह तय किया जाता है कि कुल कितने गुण मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या होते है वो अष्टकूट गुण और उनके कितने अंक दिए जाते हैं:
कूट - अंक
- वर्ण - 1
- वश्य – 2
- तारा – 3
- योनि - 4
- ग्रह मैत्री - 5
- गण - 6
- भकूट - 7
- नाड़ी - 8
अष्टकूट के सभी गुणों को मिलाकर कुल 36 गुण बनते हैं
इन आठ बातों के आधार पर भलि-भांति विचार करके वर और वधू के आने वाले जीवन के बारे में आकलन किया जाता है। इन सभी के अंको का कुल योग 36 होता है यदि इसमें से 18 या फिर उससे ज्यादा गुण मिलते हैं तभी विवाह शुभ माना जाता है।
विवाह के लिए कम से कम 18 गुणों का मिलना ठीक माना जाता है
- 18 से 21 गुण मिलने पर मिलान मध्यम माना जाता है।
- 21 से अधिक गुण मिलना विवाह के लिए बेहद ही शुभ माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि 36 में से 36 गुण मिलना बेहद ही दुर्लभ योग माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री राम और सीता माता के ही 36 में से 36 गुण मिले थे। यदि कुंडली मिलान में 18 से कम गुण आते हैं, तो विवाह नहीं करना चाहिए। ऐसे विवाह की अवधि बेहद ही कम होती है और इसमें कलह-क्लेश बना रहता है इसलिए विवाह से पहले कुंडली मिलान\kundli matching बेहद ही आवश्यक माना जाता है।
वैदिक ज्योतिष में कुंडली मिलान करते समय अष्टकूट के सभी वर्गों का विश्लेषण किया जाता है। इन सभी अष्टकूटों में नाड़ी और भकूट दो बेहद ही महत्वपूर्ण गुण मिलान माने जाते हैं। यदि कुंडली में नाड़ी या भकूट दोष हो तो भी विवाह नहीं किया जाता। कुंडली मिलान में नाड़ी दोष होने से आयु व स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है और भकूट दोष होने से वैवाहिक जीवन में आर्थिक समस्याएं आती है इसलिए गुण मिलान करते समय नाड़ी और भकूट दोष का जरूर ध्यान दिया जाता है।
नाड़ी और भकूट के अलावा कुंडली मिलान करते समय मंगल दोष या मांगलिक दोष पर भी विचार किया जाता है। यदि कुंडली में मंगल दोष हो तो भी वैवाहिक जीवन में टकराव देखने को मिल सकता है, इसलिए जब भी विवाह करें कुंडली मिलान अवश्य करवाना चाहिए।
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