Diwali 2023 - दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

  • 2023-11-03
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हिन्दू धर्मशास्त्र में दिवाली के त्यौहार को ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल बेहद हर्षोउल्लास के साथ इस पर्व को समस्त भारत सहित दुनिया के उन देशों में भी मनाया जाता है जहाँ भारतीय रहते हैं। चूँकि इस दिन चंद्रमा और सूर्य एक साथ तुला राशि में होते हैं और इसलिए अमावस्या का योग बनता है। इस दिन विशेषतौर पर धन और सौभाग्य की देवी लक्ष्मी एवं रिद्धि सिद्धि के दाता श्री गणेश की पूजा हर हिन्दू घर में की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इस दिन लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा ही आखिर क्यों की जाती है ? इस सवाल का जवाब आपको इस ब्लॉग के जरिए मिल जाएगा। तो आइये जानते हैं इस त्यौहार से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य। 

दिवाली के दिन इसलिए की जाती है लक्ष्मी-गणेश की पूजा 

दिवाली के दिन सूर्य और चंद्रमा का एक ही राशि में रहने की वजह से अमावस्या का योग बनता है। जीवन में हर व्यक्ति विशेष रूप से धन संपत्ति प्राप्त करना चाहता है। हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में धन संपत्ति पाना चाहता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र द्वितीय धन और सप्तम भाव का स्वामी माना जाता है। चूँकि तुला राशि के स्वामी शुक्र को माना जाता है और इस राशि में सूर्य और चंद्रमा के एक साथ होने से लक्ष्मी योग बनता है। इसलिए कार्तिक माह की अमावस्या को लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। बात करें इस दिन गणेश पूजन की तो शास्त्रों के अनुसार गणेश जी के विभिन्न स्वरुप हैं और उन्होनें हर स्वरुप में दैत्यों का नाश किया है और देवताओं की रक्षा की है। उन्हें रिद्धि सिद्धि का देवता भी माना जाता है और देवी लक्ष्मी के साथ उनकी पूजा करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। हमेशा गणेश जी की स्थापना लक्ष्मी जी की बायीं तरफ करें। 

दिवाली पर दीप जलाने का क्या है विशेष महत्व 

दिवाली/Diwali के दिन हर साल दीप जलाने की परंपरा हमारे यहाँ वर्षों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन भगवान् श्री राम रावण का वध करने के बाद चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत हज़ारों दीप जालकर किया था। इसके बाद से ही हर साल उस दिन से दिए जलाने की परंपरा चली आ रही है। 

इस दिन दिए जलाने का दूसरा कारण यह भी है कि, लोग लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए अपने-अपने घरों को दिए से सजाते हैं। विशेष रूप से घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन से पितरों की रात शुरू हो जाती है, इसलिए उन्हें मार्ग दिखाने के लिए भी दिए जलाए जाते हैं। 

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दिवाली के दिन इस विधि से करें पूजा 

  • सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से गंगाजल या गौमूत्र से साफ़ कर लें।
  • पूजा में शामिल होने वाले परिवार के सभी सदस्य स्नान के बाद साफ़ कपड़े पहनें।
  • पूजा घर के पूर्व या उत्तर की दिशा में सूती या ऊनि आसन पर बैठें।
  • दिवाली के दिन हर साल नए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
  • पूजा की सभी वस्तुएं जैसे अगरबत्ती, धूप, कपूर, घी, बाती, चंदन, मौली, रोली, पंचामृत, कच्चा दूध, सिन्दूर, मिठाइयां, फल आदि को दूर्वा को पानी में भिगोकर पवित्र कर लें।
  • अब सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें , इसके बाद नवग्रहों की पूजा करें फिर कलश पूजा करें, इसके बाद जिस व्यवसाय से आप जुड़े हैं उस चीज की पूजा करें।

इसके बाद धन के देवता कुबेर की पूजा करें और अंत में महालक्ष्मी जी की पूजा करें। इसके बाद घर के आँगन और मुख्य द्वार पर दीप जलाएं और सभी में प्रसाद बांटें।

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