2023 में कब है दिवाली | Diwali 2023 | Auspicious Time of Diwali

  • 2023-11-06
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दीपावली हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, पूरा देश, दीपों की रौशनी से जगमगाता है। दीपावली को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में आकर धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन लोग मां लक्ष्मी की पूजा करके सुख और समृद्धि की कामना करते हैं। हालांकि इस वर्ष दीपावली की तारीख में असंजस बनी हुई है, आइयें, जानते हैं कि इस साल दीपावली को कब मनाना है और लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त क्या है।

कब मनाई जाएगी दिवाली?

दीपावली 2023 का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है और 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में दीपावली/Diwali 2023 के दिन लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के समय करना शुभ माना जाता है, और इसलिए दीपावली 2023 को 12 नवंबर को मनाने का शुभ मुहूर्त होगा।

 

दीवाली पूजा शुभ मुहूर्त

दीपावली या दीवाली के दिन, पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर को शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसी दिन, लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस मुहूर्त/Shubh Muhurat में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

दीपावली का धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर्व की रात को भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नव स्थापित प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। दीपावली के इस दिन, लक्ष्मी-गणेश के साथ ही कुबेर देवता और बही-खाता की पूजा करने की भी परंपरा है। इस पूजा का महत्व धन और संपत्ति के आगमन में होता है, और मान्यता है कि दीपावली की रात पूजा करने से जीवन में कभी भी धन और समृद्धि की कमी नहीं होती है।

 

क्यों मनाई जाती है दीवाली?

दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार/Hindu Festival है जो हर साल भारत और अन्य हिन्दू समुदायों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसका महत्व भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में है, जो वानवास के बाद अपने गृह अयोध्या लौटे थे।

दीपावली का नाम 'दीप' या दियों से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस त्योहार में घरों और सड़कों को दीपों से रौशन किया जाता है। यह प्रकाश का त्योहार है जिसका मतलब होता है कि अंधकार को दूर किया जाता है और प्रकाश और पॉजिटिविटी का स्वागत किया जाता है।

दीपावली के दौरान, लोग अपने घरों को सजाते हैं, सफाई करते हैं और उन्हें फूलों, दीपों, और रंगीन अर्टिफिशियल दीपों से सजाते हैं। घर के सभी कोनों में दीप जलाने के साथ, लोग अपने घरों की दीवारों पर रंगों से आकृतियाँ बनाते हैं और उन्हें रंगों से सजाते हैं। इससे घरों में खुशी और उत्साह का माहौल बनता है।

दीपावली के त्योहार का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है पूजा और आराधना। इस दिन लोग भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जिन्हें धन, समृद्धि, और खुशियाँ का प्रतीक माना जाता है। वे उनके आगमन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

दीपावली का यह महत्वपूर्ण पर्व हिन्दू संस्कृति में आत्मविश्वास, और पॉजिटिविटी का प्रतीक है, और यह समाज में एकता और एक साथ रहने का महत्वपूर्ण संदेश देता है।

 

मां लक्ष्मी कैसे दीवाली से जुड़ी है?

मां लक्ष्मी कैसे दीपावली से जुड़ी हुई है, इसका अर्थ यह है कि दीपावली के त्योहार के साथ मां लक्ष्मी की गहरी संबंध है। वह धन, धान्यता, और समृद्धि की देवी मानी जाती है और दीपावली के दिन घरों में उनका आगमन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

दीपावली के दिन, लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें साफ-सुथरा रखते हैं। घर के हर कोने में दीपों की रौशनी देने का काम करते हैं, जिससे मां लक्ष्मी का स्वागत किया जा सकता है। लोग मां लक्ष्मी की पूजा करके उनके आगमन के लिए प्रार्थना करते हैं और उनसे अपार धन, संपत्ति, और खुशियाँ प्राप्त करने की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी दीवाली के दिन अपने भक्तों के घरों में पधारती हैं और उन्हें अपने आशीर्वाद से नवाजती हैं।

इसलिए, दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है ताकि घरों में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति हो सके।

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