Dattatreya Jayanti 2023 - ऐसे हुआ त्रिदेव के अंश भगवान दत्तात्रेय का जन्म

  • 2023-12-24
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हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अंश अवतार बताया गया है और कुछ ग्रंथों में भगवान विष्णु का। हिंदु धर्म के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इनका जन्म मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था इसीलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है।

पंचांग/Panchang अनुसार इस साल दत्तात्रेय की जयंती 26 दिसंबर 2023 के दिन मनाया जाएग। इस दिन इनकी पूजा अर्चना करने का विशेष विधान है। मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की वंदना के समान फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं कि इस साल दत्तात्रेय जयंती कब मनाई जाएगी और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त व पुजा विधी

 

दत्तात्रेय जयंती 2023 पूजा शुभ मुहूर्त

दत्तात्रेय जयंती: 26 दिसंबर 2023, मंगलवार

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 26 दिसंबर 2023, मंगलवार सुबह 05:46 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समापन: 27 दिसंबर 2023, बुधवार सुबह 06:02 मिनट तक

पूजा शुभ मुहूर्त: 26 दिसंबर 2023 सुबह 09:46 मिनट से दोपहर 12:21 मिनट तक

दोपहर पूजा मुहूर्त: 26 दिसंबर 2023 दोपहर 12:21 मिनट से दोपहर 01:39 मिनट तक

संध्या पूजा मुहूर्त: 26 दिसंबर 2023 शाम 07:14 मिनट से रात्रि 08:00 मिनट तक

 

26 दिसंबर 2023 के दिन दत्तात्रेय जयंती के अलावा अन्नपुर्णा जयंती, भैरवी जयंती भी मनाया जाएगा साथ ही इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाएगा।

 

दत्तात्रेय जयंती का महत्व

भगवान दत्तात्रेय में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश है। यह महर्षि अत्रि और अनुसूया देवी के पुत्र हैं और इनका जन्म महाराष्ट्र राज्य के माहुर गढ में हुआ था (जो आज नाढेड जिल्हा के माहुर शहर में स्थित है)। भगवान दत्तात्रेय में गुरु और ईश्वर दोनों का ही स्वरूप विद्यमान है। इनके तीन मुख और छह हाथ हैं और इनोहनें अपने 24 गुरु बनाए थे। भगवान दत्तात्रेय के जो भी भक्त इस दिन उनकी विशेष अराधना करते हैं उन्हें अथाह ज्ञान की प्राप्ति होती है और इस दिन इनका व्रत व पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इन्होंने ही भगवान परशुराम जी को श्रीविद्या का मंत्र सिखाया था। मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से रूके हुए सभी कार्य पुर्ण हो जाते हैं। इनकी पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 

दत्तात्रेय जयंती पर ऐसे करें पूजा

मार्गशीर्ष पूर्णिमा/Margashirsha Purnima तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करे और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थान को साफ करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या मूर्ति को मंदिर में स्थापित करें और उनको तिलक लगाएं। फिर उन्हे पीले फूल और पीली चीजें अर्पित करें। इसके बाद उनके मंत्रों का जाप करें और अपनी कामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

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