छठ पूजा एक हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश मनाया जाता है। छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 17 नवंबर 2023 से शुरु हो रही है और इसका समापन 20 नवंबर को होगा। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ होता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत का पारण किया जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है।
2023 में छठ पूजा की तिथियां
नहाय खाय: 17 नवंबर 2023, शुक्रवार
खरना: 18 नवंबर 2023, शनिवार
संध्या अर्घ्य: 19 नवंबर 2023, रविवार
उषा अर्घ्य: 20 नवंबर 2023, सोमवार
नहाय खाय तिथि
पहला दिन नहाय-खाय/Nahay Khay होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। इस दिन व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर सात्विक भोजन करते हैं और व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन करते हैं।
खरना तिथि
खरना छठ पूजा/Chhath Puja का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना/Kharna 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद साईं व्रत शुरू हो जाता है।
संध्या अर्घ्य का मुहूर्त
छठ पूजा का दिन तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर है। 19 नवंबर 2023 को सूर्यास्त का समय शाम 05:26 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाते है। इसके बाद कमर तक पानी में रहकर सुर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
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उगते सुर्य को अर्घ्य का मुहूर्त
चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का सबसे महत्वपूर्ण व अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
छठ पूजा का मुख्य प्रसाद
छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है, व इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुवा को कहा जाता है।
छठ पूजा का महत्व
हिन्दू मान्यता/Hindu Rituals के अनुसार, इस पर्व को बहुत कठिन माना जाता है। इस पर्व में व्रती तीन दिन तक निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा में छठी माता और सूर्य देव की पुजा की जाती है. सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है और छठी माता को संतान की देवी माना जाता है। छठ पूजा के माध्यम से लोग सूर्य देव से सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान के साथ छठ पूजा करता हैं उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
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