Annapurna Jayanti 2023 - अन्नपूर्णा जयंती पर भूलकर भी न करें ये गलतियां

  • 2023-12-25
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अन्नपूर्णा जयंती हिंदू धर्म के विशेष त्योहारों में एक है। हिंदु पंचांग के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता अनुसार इसी तिथि पर माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में  धरती पर प्रकट हुई थीं। इस साल अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा

 

अन्नपूर्णा जयंती 2023 शुभ मुहूर्त

अन्नपूर्णा जयंती: 26 दिसंबर 2023 मंगलवार

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 26 दिसंबर 2023, मंगलवार सुबह 05:46 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समापन: 27 दिसंबर 2023, बुधवार सुबह 06:02 मिनट तक

 

अन्नपूर्णा जयंती की पूजन विधि

अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे घर और रसोई की सफाई कर लें। रसोई में गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल फूल अर्पित करें। इसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करें। माता पार्वती और भगवान शिव जी की पूजा करें। इसके साथ ही मां अन्नपूर्णा की भी पूजा करें। विधि पूर्वक पूजा करने के बाद मां अन्नपूर्णा से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें। इस दिन भूखों और जरूरतमंदों को खाना अवश्य खिलाएं औरअन्न का दान भी करें।

 

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अन्नपूर्ण जयंती का महत्व

मान्यता है कि जिस घर में मां अन्नपूर्णा का वास होता है, वहां हमेशा अन्न के भंडार भरे रहते हैं. इनकी कृपा से कोई भी भूखे पेट नहीं सोता। वहीं मां रुष्ट हैं तो व्यक्ति के पास कितना भी धन क्यों न हो उसे चैन से दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है। इसलिए अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए मां की पूजा करें और हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी अन्नपूर्णा का आह्ववान करें।

 

अन्नपूर्णा जयंती के दिन न करें ये गलती

मार्गशीर्ष पूर्णिमा/Margashirsha Purnima के दिन देवी अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थीं। अन्नपूर्णा जयंती अन्न के महत्व को समझने का त्योहार है। इसलिए इस दिन रसोई की सफाई का खास ध्यान रखें।

इसके अलावा इस दिन अन्न का अपमान नहीं करें। अन्न का अपमान करने से मां पार्वती रुष्ट हो जाती हैं और अन्न भंडार सदैव के लिए खाली हो जाते हैं।

अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर अगर कोई गरीब व्यक्ति, पशु-पक्षी आपके घर आता है, तो उसे भगाएं नहीं। उसे अपनी श्रद्धा अनुसार भोजन या किसी भी चीज का दान दें।

अन्नपूर्णा जयंती के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करें और रसोई में तामसिक भोजन भी नहीं बनाए।

इसका अलावा रात को जूठे बर्तन नहीं छोडे। माना जाता है कि रात को जूठे बर्तन छोड़ने से मां अन्नपूर्णा रुठ कर चली जाती हैं।

 

मां अन्नपूर्णा जयंती की पौराणिक कथा

मां अन्नपूर्णा से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर भयंकर सूखा पडा था। जीस कारण धरती बंजर हो गई और फसलें सूख गई थी। ऐसे में अन्न और जल का अभाव हो गया और चारों ओर हाहाकार मच गया था। समस्त पृथ्वीवासियों का जीवन अन्न-जल की कमी होने से संकट में आ गया। तब पृथ्वीवासियों ने रक्षा के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा करनी शुरू की दी थी।

तब पृथ्वीवासियों की रक्षा के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान शिव भिक्षुक के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए और माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं। भगवान शिव ने भिक्षुक के रूप में देवी अन्नपूर्णा यानी माता पार्वती से भिक्षा मांगी।

देवी अन्नपूर्णा उन्हें दान स्वरूप में अन्न दिए, जिसे भगवान शिव ने समस्त पृथ्वीवासियों में वितरित कर दिया। इस अन्न का प्रयोग कृषि कार्य के लिए किया गया और इस तरह एक बार फिर से पृथ्वी अन्न से भर गई। इसलिए मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथी के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

 

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मां अन्नपूर्णा स्तोत्र

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी

निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥

नानारत्न विचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी

मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ।

काश्मीर गरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी

चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।

सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी

कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।

मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी

लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।

श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी

वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।

सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी

काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी ।

कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी

वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी ।

भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी

चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी ।

मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी

साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी ।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।

ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः ।

बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥

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