Importance Of Anant Chaturdashi And Why It’s Celebrated!

Anant Chaturdashi is celebrated on the Chaturdashi tithi of Shukla Paksha of Bhadrapada month. It is also known as Anant Chaturdarshi or Anant Chaudas. This day is believed bring infinite happiness to the devotees. Worshiping Lord Anant destroys all sufferings and removes sins out of life. Along with worshiping the infinite forms of Lord Vishnu, Ganesh Visarjan is also performed on this day.
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Why Lord Ganesha got the names Morya and Ekdanta

Lord Ganesha has special significance in Hindu traditions and religion. He is the first amongst Hindu pantheons to be invited or worshipped before performing any other required religious formalities. Lord Ganesha is called by several names. He is called “vighnharta” as a remover of all obstacles in life. Similarly, he is the lord of ganas and that’s why is called Ganpati. In the same way, there are interesting stories or legends behind different names of Lord Ganesha which narrates the applicability and importance of that specific name.
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गणेश जी को स्थापित करने के बाद क्यों करते हैं विसर्जन

प्रत्येक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, लेकिन भाद्रपद माह में भगवान श्री गणेश के जन्म को चतुर्थी तिथि से संबंधित माना गया है। साथ ही इसे महाभारत ग्रंथ की उत्पति के साथ भी जोड़ा गया, जिसे श्री वेद व्यास जी भगवान श्री गणेश जी की सहायता से ही पूर्ण कर पाए थे। इसलिए इस समय पर आने वाली चतुर्थी का विशेष महत्व देखने को मिलता है। 
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गणेश जी को दूर्वा और मोदक क्यों अर्पित किया जाता है

वैसे तो दूर्वा  का उपयोग अनेक पूजा कार्यों में किया जाता रहा है, लेकिन गणेश जी को यह अत्यंत ही प्रिय होती है, इसलिए दूर्वा द्वारा पूजन से गणपति जी जल्द प्रसन्न होते हैं। यदि दुर्वा द्वारा गणेश जी का पूजन कर दिया जाए, तो भी यह पूजन संपूर्ण होता है।
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क्यों नहीं चढ़ाई जाती है गणेश जी को तुलसी

आखिर क्यों गणेश भगवान के साथ तुलसी जी को स्थान प्राप्त नहीं होता है? क्यों दोनों एक दूसरे के लिए अनुकूल नहीं माना जाते हैं? इस प्रकार के रहस्य को समझने के लिए पौराणिक ग्रंथों में मौजूद कथाओं को समझने की अत्यंत आवश्यकता होती है। भगवान गणेश जी और तुलसी जी के मध्य संबंधों के बारे में और विस्तार से जानते हैं 
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Dussehra 2023: जानें दशहरा पूजा शुभ मुहूर्त और महत्व

दशहरा का पर्व संपूर्ण भारत में उत्साह व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को विजयादशमी, अपराजिता पर्व, आयुध पूजा, सीमोल्लंघन इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। इसके प्रत्येक नाम का अपना एक अलग अर्थ है। दशहरा अर्थात दस सिर वाले रावण की पराजय का उत्सव
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शरद पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण होंगे साथ-साथ

इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन चार योग गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग और सिद्धि योग का संयोग रहेगा और इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगेगा जो साल का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा। सूतक काल 9 घंटे पूर्व ही यांनी दोपहर से ही प्रारंभ हो जाएगा।
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Karwa Chauth 2023 | करवा चौथ कब 31 अक्टूबर या 1 नवंबर

करवा चौथ का ये पावन त्योहार हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान समेत पूरे उत्तर भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सुहागिन महिलाओं के असीम प्रेम और समर्पण का प्रमाण है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
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Ahoi Ashtami 2023 | जानिए अहोई अष्टमी की पूजन विधि और महत्व

अहोई अष्टमी का पर्व/Ahoi Ashtami Festival संतान सुख की प्राप्ति हेतु भी किया जाता है। इस दिन किया जाने वाला व्रत एवं पूजन निसंतान दंपतियों के लिए वरदान होता है। भक्ति भाव एवं आस्था के साथ किया गया पूजन शुभ फलदायी होता है। निसंतान दंपतियों को इस व्रत के प्रभाव से संतान का सुख प्राप्त होता है।
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Diwali 2023 - दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

Diwali 2023: दिवाली के दिन हर साल दीप जलाने की परंपरा हमारे यहाँ वर्षों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन भगवान् श्री राम रावण का वध करने के बाद चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत हज़ारों दीप जालकर किया था। इसके बाद से ही हर साल उस दिन से दिए जलाने की परंपरा चली आ रही है। 
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2023 में कब है दिवाली | Diwali 2023 | Auspicious Time of Diwali

दीपावली का धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर्व की रात को भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नव स्थापित प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। दीपावली के इस दिन, लक्ष्मी-गणेश के साथ ही कुबेर देवता और बही-खाता की पूजा करने की भी परंपरा है। इस पूजा का महत्व धन और संपत्ति के आगमन में होता है, और मान्यता है कि दीपावली की रात पूजा करने से जीवन में कभी भी धन और समृद्धि की कमी नहीं होती है।
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धनतेरस 2023 का पूजा समय और खरीदारी का शुभ मुहूर्त | Dhanteras 2023

Dhanteras 2023: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। धनतेरस पर शुभ कार्य करने और शुभ खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सोने -चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। इसके अलावा आप वाहन, जमीन-जायदाद और कपड़े की खरीदारी भी कर सकते हैं।
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