अब आप ज्योतिषीय पत्रिका “भाग्य संहिता” की मदद से जान सकते हैं की आपके जीवन का कौन सा वर्ष आपके जीवन में सुनहरे भविष्य की नींव रखेगा। भाग्य संहिता पत्रिका आपके जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण विषय की सम्पूर्ण जानकारी विस्तृत रूप में आपको देती है। आप जीवन के प्रत्येक पहलू से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले भाग्य संहिता को एक मार्गदर्शक के रूप में अपना सकते हैं। आपकी कुंडली के ग्रहों की स्थिति के आधार पर आपके जीवन में कब क्या-क्या घटित होगा इसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको भाग्य संहिता/Bhagya Samhita द्वारा प्राप्त होती है।
कब होगा भाग्योदय ?
एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी कुंडली विश्लेषण के द्वारा बता सकता है कि आपका भाग्योदय कब होगा। कुंडली का नवा भाव हमारे भाग्य को दर्शाता है। इस भाव के स्वामी व इसमें बैठे या सम्बन्ध बना रहे ग्रहों की दशा में व्यक्ति के भाग्योदय की संभावना होती है। यदि कुंडली/Kundli में कोई उच्च का ग्रह हो और अच्छे भाव में स्थित हो तब भी उसकी दशा में व्यक्ति के जीवन में भाग्योदय हो सकता है। अच्छी दशा के समय यदि बृहस्पति या शनि अच्छे भावों से गोचर करें तब भी व्यक्ति के जीवन में भाग्योदय की संभावना बन जाती है।
इन सबका प्रभाव जानने के लिए ग्रहों के बल का निरीक्षण भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि केवल एक बली ग्रह ही अपने प्रभाव देने में सक्षम है। चाहे नवें भाव से सम्बंधित ग्रह की दशा हो और उस ग्रह में बल न हो तो वह दशा कुछ ही अच्छे प्रभाव दे कर निकल जाएगी। व्यक्ति को सच में भाग्योदय का अवसर पाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि सही समय पर सही ग्रह को बल दिया जाए। यदि हम एक अच्छे परन्तु निर्बल ग्रह को बली बनाते हैं तो हम निश्चित ही भाग्योदय का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
कुंडली में भाग्य स्थान कौन सा होता है?
कुंडली में नवां भाव भाग्य का स्थान है। इसके ठीक सामने तीसरा भाव पड़ता है जो हमारे पुरुषार्थ का है। कहीं न कहीं ज्योतिष यह संकेत देता है कि यदि किसी को जीवन में भाग्योदय चाहिए तो वह केवल पुरुषार्थ के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है। तीसरे भाव में बैठे ग्रह भी हमारे भाग्य पर प्रबल असर डालते हैं। हमारे नवें भाव का स्वामी जिस भी भाव से भी सम्बन्ध बनाता है, वह भाव हमारे भाग्योदय का कारण बनता है। उदाहरण के लिए यदि हमारा नवें भाव का स्वामी, दसवें भाव में हो तो व्यक्ति का भाग्योदय उसके कर्मों यानी उसके करियर से होता है/Career Growth as per astrology
ठीक इसी तरह यदि नवें भाव का स्वामी किसी बुरा माने जाने वाले भाव यानि त्रिक भाव में हो तो हम यह कहेंगे कि व्यक्ति का भाग्य कमज़ोर हो गया है। यह बात बिलकुल सच नहीं है। हर घर के कुछ अच्छे तो कुछ बुरे कारकत्व होते हैं। नवें भाव के स्वामी का आठवें में जाना व्यक्ति को ज्योतिष, रिसर्च, टैक्स या पैतृक संपत्ति की ओर से भाग्योदय दे सकता है। व्यक्ति को आवशयकता से बहुत अधिक पैतृक संपत्ति मिल सकती है जो उसके भाग्योदय का कारण बनेगा। अतः भाग्योदय कब और कैसे होगा बहुत सी बातों पर निर्भर करेगा जिसे एक अनुभवी ज्योतिषीय विश्लेषण के माध्यम से ही जाना जा सकता है।
कौन सा ग्रह नौवें भाव में अच्छा परिणाम देता है?
काल–पुरुष कुंडली में नवें भाव का स्वामी देवगुरु बृहस्पति बनते हैं। गुरु ग्रह को ज्योतिष में भाग्यवर्धक ग्रह कहा गया है। ऐसा माना गया है कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह एक शक्तिशाली स्थिति में होता है उस व्यक्ति को जीवन में कभी भी अभाव का सामना नहीं करना पड़ता है। गुरु ग्रह, अच्छे वैवाहिक जीवन, अच्छी संतान व जीवन में हर तरह की सुख समृद्धि का कारक है। इसका नवें भाव का नैसर्गिक स्वामी होने के कारण ही इसे सबसे अधिक शुभ ग्रह माना गया है।
इसलिए यदि किसी की कुंडली में गुरु स्वयं नवें भाव में हो तो यह उस व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है क्योंकि यहां से वह लगन, तीसरे पुरुषार्थ के भाव व पांचवें बुद्धि के भाव को भी देखता है। बृहस्पति ग्रह जहां भी देखता है वहाँ वृद्धि करता है और व्यक्ति के पुरुषार्थ को बढ़ाकर, उसके भाग्योदय में सहायक होता है।
नवें भाव में सभी ग्रह अच्छे प्रभाव दे सकते है अगर वे शक्तिशाली हों। एक कमज़ोर ग्रह किसी भी भाव के प्रभाव देने में असमर्थ है। तो भाव की स्थिति से ज़्यादा ग्रह का बल को देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कोई ग्रह नौवें भाव में अच्छे प्रभाव देगा या बुरे प्रभाव। एक समझदार ज्योतिषी आपकी कुंडली के नवें भाव का विश्लेषण कर आपके भाग्योदय का सही सही समय आपको बता सकता है। भाग्य संहिता एक ऐसी ही पत्रिका है जो न केवल आपके अच्छे पर बुरे समय की भी जानकारी देती है ताकि आप समय रहते ज्योतिषीय उपायों से बुरे प्रभावों पर नियंत्रण पा सकें।
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