गुरु-मंगल योग, ज्योतिष के शुभ योगों में से एक प्रमुख योग है। ज्योतिष में रूचि रखने वालों की जानकारी के लिए बता दें कि यदि किसी कुंडली में, गुरु व मंगल ग्रह की आपस में किसी भी भाव में युति होती हो तो उसे गुरु-मंगल योग/Guru Mangal Yoga कहा जाता है। ज्योतिष में गुरु सबसे अधिक लाभकारी व शुभ ग्रह है, यह सदैव ही जातकों को शुभ परिणाम देता है पर कुंडली में ये पाप प्रभाव से मुक्त होना चाहिए और अच्छे घरों में बैठा होना चाहिए। वहीँ मंगल, जातक की ऊर्जा, कार्य करने की क्षमता और उसके पराक्रम को दर्शाता है। ये दोनों ग्रह ज्योतिष की दृष्टि से परस्पर मित्र माने गए हैं और दोनों ही ग्रह देवता ग्रहों की श्रेणी में आते हैं। हालांकि मंगल को अशुभ ग्रह माना गया है पर देवत्व पर इसका अधिकार भी है।
कैसे होता है गुरु मंगल योग का निर्माण?
कुंडली के किसी भी भाव में यदि गुरु व मंगल एक साथ बैठे तो गुरु मंगल योग/Jupiter Venus Conjunction का निर्माण हो जाता है। यदि दोनों ग्रहों की डिग्रीयां भी पास-पास हो तो यह अत्यंत प्रभावी योग बन जाता है। साथ-साथ यह देखना भी ज़रूरी होता है की यह योग कुंडली/Kundli के अच्छे भावों में बना है या बुरे भावों यानि त्रिक भावों 6,8,12 में। बृहस्पति ग्रह, सौरमंडल का सबसे शुभ और महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। बृहस्पति को गुरु का ओहदा प्राप्त है और ज्योतिष में इसे सौभाग्य, शिक्षा, धर्म, पैसा, संतान, दान-पुण्य आदि का कारक माना जाता है। गुरु की शुभता असीम है और जो भी ग्रह इसके सानिध्य में आता है उसकी शुभता भी बढ़ जाती है। यदि अशुभ ग्रह हो तो उसकी अशुभता में कमी आती है। इसीलिए गुरु के साथ बने ग्रहों की युति अधिकतर शुभ परिणाम ही लाती है। गुरु विशालता का कारक है, ज्योतिष में इसे वृद्धिकारक माना गया है और यह जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके कारक तत्वों में वृद्धि कर देता है।
कुंडली में गुरु–मंगल योग का प्रभाव
- गुरु-मंगल युति शुभ श्रेणी में आती है। मंगल आपके साहस व जीवटता का प्रतीक है और जब यह वृद्धि कारक बृहस्पति से युति करता है तो जातक के इन गुणों का विकास होता है। ऐसा जातक बहुत अधिक ऊर्जा से भरा रहता है और अपना हर कार्य सुगमता से पूरा करता है जो उसे सफलता की और अग्रसर करता है।
- गुरु-मंगल योग के बनने से जातक को पुलिस, अग्नि-संस्थान, बिजली, खेल आदि क्षेत्रों में उच्चपद की प्राप्ति होती है साथ ही साथ वह वित्त, तर्कशील, बुद्धिमान, भाषण में निपुण, शिक्षा से जुड़े क्षेत्र व लेखन के क्षेत्र में भी नाम कमा सकता है। यह योग/Yoga धनलाभ देने वाला योग होता है।
- गुरु-मंगल योग/Guru Mangal Yoga वाला जातक हस्तकला में निपुण होता है और हर काम अपने-आप करने के लिए आतुर रहता है। वह किसी पर निर्भर नहीं रहता और जीवन में अपने अथक प्रयासों से सफलता प्राप्त करता है।
- गुरु मंगल की युति वाला जातक अपने बड़े भाई-बहनों के लिए अत्यंत शुभ परिणाम लाता है। उसके बड़े भाई-बहन उससे अत्यधिक प्रेम करते हैं और वह उनसे विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त करता है।
- गुरु मंगल योग वाले जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जीवन भर प्रयासरत रहते हैं, वे पूरे जीवन कुछ न कुछ नया सीखते ही रहते हैं। गुरु शिक्षा है और मंगल साहस, तो ऐसे जातक शिक्षा प्राप्त करने में अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हैं।
- ऐसे जातक बहुत धार्मिक भी होते हैं और धार्मिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं। इनका पूजा-पाठ व दान-धर्म में अत्यधिक मन लगता है। इनका दान धर्म व हृदय की विशालता ही इन्हे संसार में ख्याति दिलवाता है।
- कुंडली में गुरु न्याय का द्योतक है और मंगल आर्मी व पुलिस का, ऐसे में गुरु-मंगल योग/Guru Mangal Yoga से जातक को कानून और पुलिस का पूर्ण सहयोग मिलता है।
- मंगल ज्योतिष में पाप ग्रह कहा गया है और यह गुस्सा, जलन, ईर्ष्या, उतावलापन व हिंसा का भी कारक है। हर योग सम्पूर्ण शुभ परिणाम नहीं लाता, ऐसा ही गुरु-मंगल योग के साथ व्यक्ति में अत्यधिक आक्रोश उत्पन्न हो जाता है। ऐसा जातक सदैव बदला लेने के लिए आतुर भी रह सकता है यह और बात है की उसका आक्रोश हिंसात्मक न होकर वाणी के द्वारा प्रदर्शित होता है। चाहे कितना भी नकारात्मक व्यवहार हो जाये पर गुरु का ज्ञान व संयम फिर भी ऐसे व्यक्ति को आपे से बाहर नहीं होने देता।
- गुरु, ज्ञान का कारक है पर साथ ही साथ यह ज्ञान से उत्पन्न हुए अहंकार को भी दर्शाता है। मंगल खुद व्यक्ति में अहंकार पैदा करता है। तो इस योग का सबसे नकारात्मक पहलु है की जातक बहुत अहंकारी बन जाता है और आसानी से किसी की भी बात न सुनता न मानता है।
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