Home › Forums › आयु से सम्बंधित – प्रश्न और उत्तर › आयु और मृत्यु का निर्धारण – प्रश्न और उत्तर › किसी कष्टदायक दशा की पहचान करने में शनि और गुरु के गोचर का उपयोग कैसे किया जाता है ?
Tagged: आयु, कष्टदायक दशा, गोचर, जन्मकुंडली, मृत्यु
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October 23, 2018 at 7:00 am #778
शनि का गोचर :
- यदि शनि जन्म चन्द्र या उससे अष्टम भाव अथवा द्वादशम भाव में गोचर करे तो स्वास्थ्य खराब हो सकता है या मृत्यु हो सकती है। साथ ही इन स्थानों में मंगल अथवा गुरु भी गोचर कर रहा हो। तो कष्ट में वृद्धि हो सकती है।
- शनि अप्रतिबन्धित मारक या यम स्वयं है इसलिए मृत्यु के समय उसकी भमिका भी किसी न किसी रूप में रहती है।
- यदि शनि निम्नांकित बिन्दुओं अथवा उनसे त्रिकोणों (प्रथम, पंचम, नवम) में गोचर करे तो कष्ट अथवा मृत्यु हो सकती है।
- जन्म शनि
- जन्म चन्द्र
- चन्द्र का राशि स्वामी
- बाइसवें द्रेष्काण का स्वामी
- 64 वां नवांश का स्वामी
- लग्न स्वामी
- अष्टम भाव स्वामी
- गुलिक
- सूर्य से षष्ठम अथवा अष्टम भाव कार्य से यदि कछ खास अंशों पर गोचर करे तो भी ऐसे फल दे सकता है।
- आठवें और बारहवें भावों के भोगांशों को जोड़ने पर एक निश्चित भोगांश प्राप्त होगा। यह बारह राशियों से अधिक हो तो राशि का फल प्राप्त करने के लिए इसमें से बारह अथवा तरह का गुणज घटाएं। इस भोगांश पर शनि का गोचर प्रतिकूल होगा।
- लग्न स्वामी, शनि तथा गुलिक के भोगांशों को जोड़ने पर एक निश्चित भोगांश प्राप्त होगा। इस भोगांश पर शनि का गोचर प्रतिकूल होता है।
अष्टक वर्ग विधि : त्रिकोण तथा एकाधिपति शोधन के पूर्व शनि के अष्टकवर्ग में शनि से सप्तम अथवा अष्टम राशि में शुभ बिन्दुओं की संख्या से शनि के शोध्यपिण्ड का गुणा करें और गुणनफल को 27 से भाग दें। शेष अश्विनी से गणना करने पर किसी निश्चित नक्षत्र को निर्दिष्ट करेगा। शोध्य पिण्ड शनि x शोधन पूर्व शनि के अष्टक वर्ग में शनि से सप्तम या अष्टम राशि में शुभ ।
– शेष की गणना अश्विनी से की जाती है।
गोचर में जब शनि इस नक्षत्र पर, या इसके त्रिकोण नक्षत्रों पर आता है। तब कष्ट की संभावना होती है।
गुरु का गोचर :
- यदि गुरु निम्नलिखित में से किसी पर गोचर करे तो मृत्यु अथवा गम्भीर कष्ट की सम्भावना होती जाती है।
- (i) अष्टम भाव स्वामी।
- (ii) चन्द्र राशि
- (ii) लग्न
- (iv) 22 वां द्रेष्काण स्वामी
- (v) 64 वां नवांश स्वामी
- (vi) राहु
- अष्टक वर्ग विधि
शोधन के पूर्व शनि के अष्टक वर्ग में गुरु के द्वारा अधिकृत राशी के बिन्दुओं को शनि के शोध्य पिंड से गुणा करें। गुणनफल को 12 से भाग दें। शेष की मेष से गणना करने पर एक राशि प्राप्त होती है| बिंदु इस राशि अथवा इसकी त्रिकोण राशियों पर गुरु का गोचर घातक सिद्ध हो सकता है।
शनि का शोध्यपिण्ड x शोधन के पूर्व शनि के अष्टक वर्ग में गुरु के द्वारा अधिकृत राशि बिन्दु
1 2
शेष की मेष से गणना की जाती है।
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए देखिये यह वीडियो-
https://www.youtube.com/watch?v=U88dWej7-so
सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए वेबसाइट पर क्लिक कीजेए |
https://www.vinaybajrangi.com/
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