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ग्रहों का गोचर

सूर्य गोचर

सूर्य एक राशि में लगभग तीस  दिनों तक रहता है, और फिर दूसरी राशि में गोचर कर जाता है। आइए जानते हैं कि सूर्य के इस गोचर का क्या अर्थ है, सूर्य का गोचर/ Sun Transit कितने समय तक रहता है और सूर्य का गोचर आपको और आपकी राशि को किस प्रकार प्रभावित करता है।

सूर्य गोचर का क्या अर्थ है?/ What does Sun transit mean? 

सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में गमन को विभिन्न राशियों में सूर्य का गोचर कहा जाता है। सूर्य का यह गोचर आमतौर पर वर्ष में बारह बार होता है। विभिन्न राशियों के जातकों पर इसका भिन्न-भिन्न प्रभाव होता है।

सूर्य का गोचर कितने समय तक चलता है?/ How long do Sun transits last?

सूर्य एक राशि में लगभग तीस दिनों तक रहता है। फिर वह दूसरी राशि में गोचर करता है। तीस दिनों के उपरान्त बारह राशि बदलने का अर्थ है कि सूर्य का गोचर/ Sun transit एक वर्ष में बारह बार होता है।

सूर्य का गोचर आपको  किस प्रकार प्रभावित करता है?/ How does sun transit affect you?

सूर्य के गोचर का प्रभाव आपकी चंद्र राशि पर निर्भर करता है। मूल रूप से जन्म समय के चंद्रमा से तीसरे/third house, छठे/sixth house, दसवें/ tenth house और ग्यारहवें भाव/ eleventh house में स्थित सूर्य जातक के लिए लाभकारी होता है। परन्तु शेष भावों में सूर्य का होना जातक के लिए प्रतिकूल परिणाम ला सकता है। सूर्य अधिकार, शक्ति, पिता और सम्मान का कारक होने के कारण करियर और वैवाहिक जीवन पर विशिष्ट प्रभाव डालता है जहां जातक को लोगों के साथ मेल-मिलाप करना होता है। सूर्य का सकारात्मक गोचर सभी संबंधों और कार्यक्षेत्र में प्रगति करने में असाधारण परिणाम दे सकता है। उसी प्रकार सूर्य का प्रतिकूल गोचर जातक के आताम्विश्वास पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और वह दूसरों के दबाव में आ सकता है।

विभिन्न चंद्र राशियों पर सूर्य के गोचर का प्रभाव/Effect of Sun transit on different Moon Signs

जब सूर्य विभिन्न राशियों में गोचर करता है तो सूर्य के गोचर/ Sun Transit का हर राशि पर  अलग प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि में सूर्य के प्रत्येक गोचर जातक को अलग प्रकार से प्रभावित करता है। हमने ऊपर प्रत्येक राशि पर इन गोचरों के प्रभाव के विषय में विस्तारपूर्वक विवरण किया है।

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मंगल गोचर

मंगल एक ऐसा  ग्रह है जो एक राशि में लगभग 45 दिन तक रहता है, और फिर यह दूसरी राशि में गमन करता है। आइए पढ़ें कि इस मंगल के गोचर/ Mars Transit का क्या अर्थ है, मंगल का गोचर कितने समय तक रहता है, और मंगल का गोचर आपकी राशि को कैसे प्रभावित करता है।

मंगल  के गोचर का क्या अर्थ है?/ What does Mars transit mean?

मंगल का एक राशि से दूसरी राशि में इस गमन को विभिन्न राशियों में मंगल का गोचर कहा जाता है। मंगल का यह गोचर स्वाभाविक रूप से एक वर्ष में आठ से नौ  बार होता है, जो लगभग 72 वर्षों में मंगल ग्रह की गति पर निर्भर करता है। विभिन्न राशियों के जातकों पर इसका भिन्न प्रभाव पड़ता है।

मंगल का गोचर कितने समय तक चलता है?/ How long do Mars transits last?

मंगल ग्रह लगभग 45 दिनों तक एक राशि में रहता है। फिर यह दूसरी राशि में गोचर करता है। 45 दिनों के बाद प्रत्येक 9 राशियों को परिवर्तन के मायने है कि मंगल का गोचर एक वर्ष में 9 बार होता है। हालाँकि, 72/73 वर्षों के उपरान्त , मंगल ग्रह एक वर्ष में 10 गोचर कर सकता है।

मंगल का गोचर आपको कैसे प्रभावित करता है?/ How do Mars transits affect you?

मंगल को एक लाल ग्रह भी कहा जाता है। मंगल एक ऐसा ग्रह है जो पराक्रम, उग्रता और छोटे भाई को दर्शाता है। यह ईमानदारी, साहस, उद्यमी प्रकृति, रणनीति नियोजन की प्रतिभा और गतिशीलता का भी प्रतीक है। परन्तु यह अविवेकी, नष्ट करने या तोड़ने की प्रवृत्ति और आवेग का भी प्रतीक है। इसलिए सकारात्मक मंगल का गोचर एक व्यक्ति को लाभ के लिए उपरोक्त लक्षणों का उपयोग करने में सहायता करता है। परन्तु  मंगल की कमज़ोर स्थिति व्यक्ति को जीवन के उपरोक्त लक्षणों से वंचित कर देगा।

विभिन्न चंद्र राशियों पर मंगल के गोचर का प्रभाव/Effect of Mars transit on different Moon Signs

मंगल के विभिन्न राशियों में गोचर करने पर मंगल के गोचर का एक पृथक प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि में मंगल के गोचर का जातक पर अलग-अलग प्रभाव होता है। मैंने अपने लेखों में प्रत्येक राशि में मंगल के इन गोचर के प्रभाव के विषय में बताया है।

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बुध गोचर

किसी विशेष राशि में बुध ग्रह लगभग तीस दिन स्थित रहने के बाद, दूसरी राशि में गतिमान हो जाता है। बुध के इस गोचर का क्या अर्थ होता है? बुध गोचर कितने समय तक रहता है? बुध गोचर/Mercury transit व्यक्ति और उसकी राशि को कैसे प्रभावित करता है? इन सब सवालों के जवाब समझने की कोशिश करते हैं। 

बुध गोचर का क्या अर्थ है?/ What does Mercury transit mean? 

बुध का एक राशि से दूसरी राशि में गतिमान होना ही विभिन्न राशियों में बुध गोचर/Mercury transit माना जाता है। बुध का गोचर लगभग तीस दिनों के अंतराल पर होने के कारण, एक कैलेंडर वर्ष में इसके बारह गोचर होते हैं लेकिन किसी विशेष वर्ष में बुध के तेरह गोचर भी हो सकते हैं जिस कारण विभिन्न राशियों के जातकों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

बुध का गोचर कितने समय तक चलता है?/ How long does Mercury transits last? 

बुध एक राशि में लगभग तीस दिनों तक रहने के बाद दूसरी राशि में गोचर करता है अर्थात् बुध एक वर्ष में बारह बार राशि बदलता है तथा कुछ विशेष वर्षों में तेरह गोचर भी हो सकते हैं।

बुध का गोचर कैसे प्रभावित करता है?/ How do Mercury transits affect you? 

बुध एक ऐसा ग्रह है जो वाक्-कौशल, बुद्धिमत्ता, मनोवृति, अभिव्यक्ति और संचार कौशल को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र में, बुध एक निष्पक्ष ग्रह है। फिर भी उपरोक्त अनुसार, मुख्य अभिप्राय यह है कि बुध का सकारात्मक गोचर जातकों के लिए अत्यधिक लाभकारी परिणामों वाला हो सकता है। हालांकि, किसी नकारात्मक ग्रह और भाव में बुध गोचर/Mercury transit जातकों को हानिकारक परिणाम भी दे सकता है। मुख्य रूप से, इन परिणामों का व्यावसायिक जीवन, करियर, व्यवसाय, बच्चों और विवाहित जीवन में जातकों की पारस्परिक विचारधाराओं पर प्रभाव पड़ता है जो संचार-कौशल और बुद्धिमत्ता द्वारा संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विभिन्न चंद्र राशियों पर बुध के गोचर का प्रभाव / Effect of Mercury transit on different Moon Signs 

बुध के अगली राशि में गोचर करने पर बुध गोचर के विभिन्न प्रभाव होते हैं। बुध के प्रत्येक गोचर का जातकों की राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। जैसा कि उपरोक्त वर्णित किया गया है कि बुध गोचर का प्रभाव/impact of Mercury's transit वर्ष में बारह बार होता है तथा कुछ विशेष वर्षों में, एक वर्ष में तेरह गोचर हो सकते हैं जैसा कि प्रत्येक राशि में बुध के इन गोचरों के प्रभावों को ऊपर वर्णित किया गया है।

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बृहस्पति गोचर

बृहस्पति ग्रह लगभग बारह से तेरह माह एक राशि में स्थित होने के बाद दूसरी राशि में गतिमान हो जाता है।  बृहस्पति गोचर/Jupiter transit का क्या अर्थ होता है? बृहस्पति गोचर कितने समय तक रहता है? बृहस्पति गोचर आपको और आपकी राशि को कैसे प्रभावित करता है

बृहस्पति पारगमन/ Jupiter transit का क्या अर्थ है? आइए, इन सब सवालों के जवाब समझने की कोशिश करते हैं।

बृहस्पति गोचर का क्या अर्थ होता है?/ What does Jupiter transit mean? 

बृहस्पति के एक राशि से दूसरी राशि में गतिमान होने को, विभिन्न राशियों में बृहस्पति गोचर/Jupiter transit के रूप में जाना जाता है। व्यावहारिक रूप से बृहस्पति गोचर वर्ष में एक बार या तेरह माह में होने के कारण, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में बृहस्पति का अधिकतम एक गोचर होता है जिसका विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

बृहस्पति गोचर कितने समय तक रहता है?/ How long does Jupiter transit last?

बृहस्पति एक राशि में लगभग बारह से तेरह माह तक स्थित रहने के बाद, लगभग बारह से तेरह माह बाद दूसरी राशि में गोचर करता है। इसका मतलब यह है कि बृहस्पति एक वर्ष में अधिकतम एक राशि परिवर्तित करता है।

बृहस्पति गोचर कैसे प्रभावित करता है?/ How does Jupiter transit affect you?

बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो गुरु, ज्ञान और बच्चों को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति अत्यधिक लाभकारी ग्रहों में से एक है। बृहस्पति ग्रह को संपत्ति, प्रतिफल, भाग्य और प्रतिष्ठा की भावनाओं का उत्तरदायित्व दिया गया है। अनुकूल बृहस्पति गोचर के साथ, जातक पूर्ण रूप से नए क्षेत्रों में मिलने वाले अवसरों द्वारा उत्साह बनाए रख सकते हैं। बृहस्पति गोचर जातकों को पेशे, व्यवसाय, करियर, विवाह और वैवाहिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में लाभ प्रदान कराता है।

विभिन्न चंद्र राशियों पर बृहस्पति गोचर का प्रभाव / Effect of Jupiter transit on different Moon Signs

बृहस्पति के अगली राशि में गोचर करने पर, बृहस्पति गोचर का विभिन्न चंद्र राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। एक राशि में बृहस्पति के प्रत्येक गोचर का अलग अलग व्यक्तियों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है। हमारे द्वारा बृहस्पति गोचर से संबंधित जानकारियों का वर्णन किया गया है, जिसमें उपरोक्त बताए गए नियम के अनुसार, बृहस्पति गोचर/ Jupiter transit का प्रभाव प्रत्येक राशि में वर्ष में अधिकतम एक बार होता है।

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शुक्र गोचर

शुक्र ग्रह एक राशि में लगभग 23 से 60 दिन तक  रहता है, और फिर दूसरी राशि में प्रवेश कर  जाता है। आइए जानते हैं कि शुक्र का गोचर क्या होता है, शुक्र का गोचर/ Venus transit कितने समय तक रहता है और यह गोचर आपको और आपकी राशि को किस प्रकार प्रभावित करता है।

शुक्र का गोचर क्या होता है?/ What does Venus transit mean?

शुक्र ग्रह  का एक राशि से दूसरी राशि में गमन विभिन्न राशियों में शुक्र का गोचर कहलाता है। शुक्र का गोचर 23 दिनों से 60 दिनों के उपरान्त  होता है, इसलिए एक वर्ष में इसके गोचर की संख्या परिवर्तित होती रहती है। एक वर्ष में शुक्र के न्यूनतम छह और अधिकतम 15 गोचर हो सकती हैं। विभिन्न राशियों के व्यक्तियों पर इसका भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। शुक्र एक ऐसा ग्रह है जो कभी भी सूर्य से दो राशियों से दूर नहीं जाता ।

शुक्र का गोचर कितने समय तक चलता है?/ How long does Venus transit last?

शुक्र एक राशि में कम से कम 23 दिन और अधिकतम 60 दिन व्यतीत करता है। फिर यह दूसरी राशि में गोचर करता है। इसका तात्पर्य है कि शुक्र एक वर्ष में कम से कम 6 और अधिकतम 15 राशियां परिवर्तित करता है । आप इस वेबसाइट पर वार्षिक शुक्र गोचर के विषय में पढ़ सकते हैं।

शुक्र का गोचर आपको कैसे प्रभावित करता है?/ How do Venus transits affect you?

शुक्र एक ऐसा ग्रह है जिसे प्रेम के ग्रह के रूप में जाना जाता है। तुला और वृषभ राशि पर द्वैत प्रभुत्व वाला शुक्र प्रेम और धन का प्रतिनिधित्व करता है। यह सांसारिक आकर्षण, स्त्री, विलासिता और व्यक्ति के जीवन में सुखों को भी इंगित करता है। शुक्र का मित्र राशि में गोचर व्यक्ति को धन और रिश्तों के सम्बन्ध में प्रेम, रोमांस और विलासिता के साधन प्राप्त करना आदि जैसे कई बेहतर परिणाम देता है। हालांकि, शुक्र का शत्रु राशि में गोचर धन, सौंदर्य, प्रेम संबंध, जीवनसाथी, माता के साथ संबंध, रचनात्मक क्षमता आदि को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

विभिन्न राशियों पर शुक्र के गोचर का प्रभाव/Effect of Venus transit on different Moon Signs

एक से दूसरी राशि में गोचर करने पर शुक्र के गोचर का हर एक राशि पर भिन्न प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि में शुक्र के गोचर का एक व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। यह मुख्य तौर पर विलासिता, सांसारिक सुखों, सुंदरता और व्यक्ति के जीवन में स्त्री से संबंधित कारकों पर प्रभाव डालता है। विभिन्न राशियों में शुक्र के गोचर का प्रभाव पढ़ने लायक होगा।

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शनि गोचर

शनि ग्रह सबसे धीमा ग्रह माना जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह ग्रह लगभग 2.5 साल एक राशि में रहते हैं और फिर वह दूसरी राशि में विराजमान होते हैं। चलिए शनि गोचर/Saturn transit को विस्तार में समझाते हैं और जानते हैं कि इस ग्रह के गोचर से आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

शनि गोचर का क्या अर्थ होता है?/ What does Saturn transit mean?

जब शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे शनि गोचर कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि गोचर लगभग 2.5 साल तक एक राशि में होता है। यही कारण है कि शनि गोचर किसी भी व्यक्ति के जीवन काल में सबसे कम अवधि के लिए होता है।

शनि का गोचर कितने समय तक रहता है?/ How long does Saturn transit last?

शनि एक चंद्र राशि में कम से कम 2.5 वर्ष तक रहता है। इस अवधि के बाद शनि दूसरी राशि में प्रवेश/Gochar करते हैं। इससे आप यह समझ सकते हैं कि अगले दो वर्ष तक शनि किसी एक राशि में रहेंगे और आप इसके प्रभाव से दूर रहेंगे। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का गोचर हर व्यक्ति के जीवन में बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह किसी भी एक व्यक्ति को लगभग 2.5 वर्ष तक प्रभावित करता है।

शनि गोचर का प्रभाव कब तक रहता है?/How does Saturn transit affect you?

शनि को कर्म का ग्रह भी माना जाता है। यह एक ऐसा ग्रह है जिसमें दो भी व्यक्ति जिस भी प्रकार का कार्य करता है उसकी सीमाओं और सीमाओं को परिभाषित करता है। शनि का गोचर एक ऐसा गोचर है जो एक कहावत को सिद्ध करता है – राजा को रंक बना देना। जब यह गोचर अनुकूल राशि में गोचर करते हैं तो जबरदस्त दबाव और अवसाद से जूझ रहे लोगों को अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं। और जब यह प्रतिकूल स्थिति में हो तो इसका परिणाम आपको घाटे से भुगतना पड़ सकता है।

चंद्र राशियों पर शनि के गोचर का प्रभाव/ Effect of Saturn transit on different Moon Signs

शनि जब अगली राशि में गोचर करते हैं तो वहां पर वह अलग प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष के अनुसार, शनि गोचर सबसे धीमा और सबसे महत्वपूर्ण गोचर होता है जो किसी भी व्यक्ति को सबसे ज्यादा अवधी (2.5 वर्ष) तक प्रभावित करता है। इस विषय में आप किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं और जान सकते हैं कि इस ग्रह के गोचर के दौरान आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

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राहु गोचर

वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। राहु ग्रह किसी एक राशि में 18 माह तक रहते हैं और फिर वह दूसरे राशि में चले जाते हैं। चलिए जानते हैं कि राहु का गोचर क्या है, यह एक राशि में कितने समय तक रहता है और राहु का गोचर/Rahu Transit अलग अलग राशि को कैसे प्रभावित करता है।

राहु गोचर का क्या अर्थ है?/ What does Rahu transit mean?

जब राहु ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में विराजमान होते हैं या यूं कहें कि राशि परिवर्तन करते हैं तो उसे हम विभिन्न राशियों में राहु का गोचर कहते हैं। राहु का गोचर लगभग 18 माह में एक राशि में होता है, इसका अर्थ यह है कि 2 वर्ष में 3 राहु के गोचर होते हैं।

राहु का गोचर कितने समय के लिए रहता है?/ How long does Rahu transit last?

जैसा कि हमने पहले बताया था कि राहु ग्रह एक चंद्र राशि में 18 माह तक रहता है। इसके पश्चात राहु दूसरी राशि में गोचर करते हैं। कभी भी राहु एक साथ दो वर्ष तक गोचर नहीं करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु का गोचर भी एक महत्वपूर्ण गोचर है, जो किसी व्यक्ति के जीवन के 18 माह के दौरान दोनों लाभकारी और हानिकारक प्रभाव डालता है।

राहु का गोचर आपको कैसे प्रभावित करता है?/ How does Rahu transit affect you?

राहु एक वायु और छाया ग्रह है। यह एक ऐसा ग्रह है, जिसे बिजनेस में विस्तार, भ्रम, दादा के ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। नकारात्मक राहु व्यक्ति की उन इच्छाओं को प्रबल करता है जो उसे ज्यादा धन कमाने और बिजनेस में विस्तार करने के लिए उत्साहित हैं। यह एक ऐसा ग्रह है जो एक बार सक्रिय हो जाए, तो व्यक्ति की सीमाओं को परिभाषित नहीं करता है और उनके मन में भ्रम पैदा कर सकता है।

राहु के गोचर का अन्य चंद्र राशियों पर प्रभाव/Effect of Rahu transit on different Moon Signs

राहु जब भी अगली चंद्र राशि में कदम रखते हैं तो उसका प्रभाव दूसरी राशि पर अलग पड़ता है। राहु के गोचर के शुरू में जो भी आपके साथ घटित होता है, वही आप अगले आने वाले 18 माह तक देखते हैं। यही कारण है कि जब इस गोचर की शुरुआत होती है तो आपको किसी अच्छे ज्योतिष से मिलने की सलाह दी जाती है। राहु के गोचर का विभिन्न चंद्र राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव को ऊपर विस्तार से बताया गया है।

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केतु गोचर

केतु ग्रह किसी एक राशि में 18 माह तक रहते हैं और फिर वह दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। चलिए समझते हैं कि केतु का गोचर किसे कहते हैं और यह गोचर/Ketu Gochar कितने समय एक राशि को प्रभावित कर सकता है और इस गोचर का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

केतु के गोचर का क्या अर्थ है?/ What does Ketu transit mean? 

जब भी केतु एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे केतु गोचर कहते हैं। केतु ग्रह का गोचर लगभग 18 माह तक एक राशि में होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि 2 वर्ष में 3 गोचर होते हैं।

केतु गोचर कब तक रहता है?/ How long does Ketu transit last?

केतु एक चंद्र राशि पर 18 माह तक प्रभाव डालता है। इसके पश्चात केतु दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इसका एक अर्थ यह भी निकाल सकते हैं कि केतु एक साथ एक ही राशि पर लगातार दो वर्ष तक प्रभाव नहीं डालते हैं। यदि हम इस गोचर को वैदिक ज्योतिष/Vedic Astrology के नजरिए से देखें तो इसका भी महत्व अन्य गोचरों के बराबर होता है। इसका महत्व थोड़ा ज्यादा होता है, क्योंकि इस गोचर के दौरान जो भी आपके साथ होगा वह लगातार 18 माह तक होता रहेगा।

केतु गोचर आपको कैसे प्रभावित करता है?/ How does Ketu transit affect you?

केतु एक काल्पनिक लेकिन प्रभावशाली एवं ताकतवर ग्रह है। इसका प्रभाव आपकी राशि पर हमेशा रहेगा और कभी कभी यह एक साथ अन्य राशियों पर भी प्रभाव डालेगा। आम तौर पर केतु ग्रह को पीडित ग्रह के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कुंडली के अलग अलग भावों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। लेकिन इस बात को भी झठलाया नहीं जा सकता कि केतु सकारात्मक परिणाम भी देने में सक्षम होता है। इस स्थिति में मेरा पक्ष यह है कि यदि केतु ग्रह को सही ढंग से नहीं देखा या संभाला गया तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है। यह राहु के ठीक विपरीत संकुचन ग्रह है, जिसे विस्तार का ग्रह भी कहते हैं।

केतु यह दिखाता है कि उससे आपको लाभ हो रहा है, लेकिन जो कुछ भी आपको इस ग्रह से मिलेगा वह स्थायी नहीं होता, इसलिए केतु जो कुछ भी देता है उस पर कभी  भी निर्भर नहीं रहना चाहिए। केतु ग्रह के कारण मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं, खर्च में वृद्धि, कर्ज को ना चुका पाना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। लेकिन आपको डरने की आवश्यकता नहीं है। इस गोचर के दौरान कुछ भाव और चंद्र राशि अत्यंत लाभकारी परिणाम दे सकते हैं जैसे – धन संपत्ति में वृद्धि, विदेश यात्रा का मौका, पेशे में वृद्धि, वैवाहिक जीवन/Married life में सुख, और अन्य फायदे। लेकिन जो भी परिणाम आपको मिलेंगे वह स्थाई नहीं होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि केतु गोचर के दौरान केतु, एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।

केतु ग्रह का अलग अलग चंद्र राशि पर प्रभाव/Effect of Ketu transits on different Moon Signs

जब केतु अगली राशि में गोचर करता है, तो उस राशि पर केतु के गोचर का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया था कि यह लाभ तो देता है, लेकिन कुछ भी स्थायी नहीं मिलता, इसलिए इस गोचर के दौरान बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए।

अब इस बात को हम बार-बार बता रहें है कि इस गोचर का प्रभाव एक साथ 18 माह तक पड़ता है तो इस स्थिति में आपको गोचर की शुरुआत में एक अच्छे ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए ताकि इस गोचर के दौरान आपको सकारात्मक परिणाम मिल सकता है।

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ग्रहण

“ग्रहण” एक ऐसा शब्द है जिसे हम बचपन से ही सुनते आ रहे है। हमारे रीति रिवाजों में भी इस शब्द का विशेष महत्व होता है। बहुत सारे व्यक्ति ग्रहण को अपनी किस्मत से जोड़ते हैं और कुछ लोग ग्रहण से भयभीत भी होते हैं। जिस दिन या जिस समय यह ग्रहण होता है वह घर से बाहर नहीं निकलते हैं। विज्ञान के अनुसार, जब एक ग्रह या उपग्रह किसी रोशनी के स्रोत या अन्य ग्रहों के बीच में आ जाए तो उस स्थिति को ग्रहण/Eclipse कहते हैं।

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहण तब होता है जब दो छाया ग्रह, राहु और केतु, सूर्य और चंद्रमा को निगल जाते हैं। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं – चंद्र ग्रहण/Lunar Eclipse और सूर्य ग्रहण/Solar eclipse दोनों को होता है। इन ग्रहणों का अर्थ है कि सूर्य और चंद्रमा दोनों ही पृथ्वी और पर्यावरण पर अपनी शक्ति और प्रभाव खो देते हैं।

क्या है ग्रहण?

दोनों प्रकार के ग्रहण मानव जीवन पर महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हैं, लेकिन यह परिवर्तन अच्छे नहीं होते हैं। ग्रहण की अवधि के दौरान कुछ भी शुरू करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय के दौरान आपकी शक्ति (अर्थात सूर्य) और आपका दिमाग (अर्थान चंद्रमा) दोनों का प्रभाव राहु और केतु के कारण पूरी तरह से कम हो जाता है।

ग्रहण का प्रभाव

इन दोनों ही ग्रहणों का प्रभाव अनुकूल और हानिकारक दोनों ही होगा। यदि आप ग्रहण के दौरान पूर्ण सावधानी रखते हैं तो इस अवधि के दौरान आप प्रतिकूल परिणामों से बच सकते हैं। चूंकि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं, इसलिए हमें इनके बारे में अलग अलग विचार करना चाहिए।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार क्या है चंद्र ग्रहण?

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ग्रहों का संयोजन

ग्रहों के संयोजन का प्रभाव

जब दो या दो से अधिक ग्रह एक ही भाव में आ जाते हैं तो ग्रहों का संयोजन/ planetary conjunction बनता है। परन्तु एक सवाल जो लोगों के मन में आता है, वह है कि जब ग्रह एक-दूसरे के भाव  में एक-दूसरे की के साथ युति करेंगे तो क्या होगा? वह आपके जीवन के विषय में एक संक्षिप्त विवरण देते हैं। ग्रहों के मध्य बनने वाला संयोजन ग्रहों की प्रकृति, एक-दूसरे के साथ उनके संबंध और जिस भाव /राशि में वह स्थित है, उसके आधार पर या तो अशुभ या शुभ हो सकते हैं । ग्रह की शक्ति को यह जानने के लिए भी देखा जाता है कि ग्रह वक्री, अस्त, अथवा मार्गी है ।

विभिन्न भावों में ग्रहों का संयोजन/ Conjunction of Planets in different houses

ग्रहों के संयोजन के संबंध में एक ही भाव में पांच या छह ग्रह स्थित हो सकते हैं। परन्तु ऐसी स्थिति  कम ही होती है। इस प्रकार के ग्रह संयोजन वाली कुंडली को समझना बहुत कठिन होता है। इसलिए, यह निर्धारित करने के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए कि ग्रह एक दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। साथ ही इस संयोजन के कारण ग्रह युति अथवा योग बन सकता है। यदि एक ही भाव में पाप ग्रह हो तो इस योग से व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता है। इसके विपरीत, जब किसी भाव में अशुभ या कमजोर ग्रहों का संयोजन होता हैं, तो एक लाभकारी ग्रह की उपस्थिति  ऐसी स्थिति को संतुलित कर सकती है। हालांकि, किसी अन्य ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण इसकी प्रबलता कम होगी। इस प्रकार की कुंडली/Kundli औसत मानी जाती है।

व्यक्ति का जीवन ग्रह संयोजन द्वारा कैसे चित्रित किया जाता है?/ How is the Native’s Life Characterized by Conjunction?

किसी के जीवन का वैचारिक क्षेत्र एक भाव में कई ग्रहों के संयोजन/planetary conjunction की विशेषता है। इसका अर्थ है, जिस भाव में कई ग्रह स्थित हों। हालांकि, किसी एक भाव की प्रबलता के कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व में असंतुलन आ सकता है। जिस भाव में ग्रहों का संयोजन होता है उस भाव के स्वामी पर भी नज़र रहती है। यदि इसकी किसी कुंडली में स्थिति बेहतर हो तो यह एक व्यक्ति पर लाभकारी प्रभाव डालता है। यह अन्य ग्रहों को भी प्रबल करता है।और , यदि यह अशुभ स्थिति  में है या कमज़ोर में है, तो यह केवल नकारात्मक परिणाम देता है, और स्थिति खराब हो सकती है।

आइए विभिन्न ग्रहों के संयोजन के प्रभाव पर चर्चा की जाए/ Let us discuss the impact of various planetary combinations

ग्रहों का संयोजन ग्यारहवें भाव/ Eleventh house (आय और विस्तार को नियंत्रित करने वाली) में होता है, इसलिए व्यक्ति अपनी आय बढ़ाने पर ध्यान देगा।

पंचम भाव (शिक्षा काभाव ) का स्वामी बुध विद्या और बुद्धि से आय में वृद्धि करेगा। क्योंकि यह अष्टम भाव का स्वामी भी है, यह व्यक्ति को अचानक लाभ दिला सकता है, परन्तु इसके साथ ही जीवन में बाधाएं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

यदि चंद्रमा, छठे भाव का स्वामी/ sixth house lord (कठिनाई का सूचक) धनु राशि में स्थित हो, तो व्यक्ति को अपने जीवन में कई संघर्ष करने पड़ेंगे, परन्तु  वह बहुत मेहनत करेगा और अपनी आय बढ़ाने के लिए जी तोड़ कोशिश करेगा ।

सूर्य, जो की सप्तम भाव का स्वामी/ seventh house lord होकर, मित्र राशि में हो तो, व्यक्ति को जीवनसाथी और साझेदारियों से लाभ देगा।

शुक्र, जो चौथे और नौवें भाव का स्वामी है, यदि किसी कुंडली के लिए योगकारक है, यह व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में धन कमाने के पर्याप्त अवसर देगा। यदि यह सूर्य और चंद्रमा, अपने शत्रु ग्रहों के साथ स्थित हो, तो इसके  द्वारा मिलने वाले लाभ कम प्रभावी होंगे। परन्तु इस प्रकार की कुंडली/Kundli के लिए शुक्र बहुत ही शुभ होता है।
आप ग्रहों के गोचर और उसके प्रभाव और आने वाले ग्रहणों के विषय में  भी पढ़ सकते हैं।